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लोकसभा की तीन सीटों आजमगढ़, रामपुर और पंजाब की संगरूर सीट (By-elections Azamgarh, Rampur, Sangrur) पर आज उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. वोटों की गिनती 26 जून को होगी. रामपुर की सीट (Rampur Seat) आजम खान (Azam Khan) के लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी, जबकि आजमगढ़ से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस्तीफा दिया था. विधानसभा चुनाव में इन दोनों जगहों से एसपी को जीत मिली थी.
सबसे पहले बात यूपी के आजमगढ़ लोकसभा सीट (Azamgarh Lok Sabha Seat) की. यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं. पिछले 4 लोकसभा चुनावों के नतीजे देखें तो 2014 और 2019 में मोदी लहर में भी एसपी की जीत हुई. लेकिन 2009 में बीजेपी और 2004 में बीएसपी ने जीत हासिल की.
आजमगढ़ सीट से अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) चुनावी मैदान में हैं. धर्मेंद्र यादव पहले मैनपुरी और बदायूं से सांसद रह चुके हैं और अब उन्हें आजमगढ़ संसदीय उप चुनाव मे उतारा गया है. धर्मेंद्र यादव ने 2017 में शिवपाल यादव बनाम अखिलेश यादव के मतभेद में भी अहम भूमिका निभाई थी और बताया जाता है कि उन्होंने कई नेताओं को अखिलेश यादव के पाले में रखा था.
बीएसपी ने आजमगढ़ सीट पर गुड्डू जमाली पर दांव लगाया है. यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) से पहले बीएसपी नेता (BSP Leader) रहे गुड्डू जमाली (Guddu Jamali) एसपी में शामिल हो गए थे, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो ओवैसी (Owaisi) के साथ चले गए. हालांकि चुनाव में जीत नहीं मिली. कुछ महीनों बाद ही वापस अपनी पुरानी पार्टी बीएसपी में शामिल हो गए.
ऐसा नहीं है कि गुड्डू जमाली पहली बार आजमगढ़ की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2014 में ऐसी ही स्थिति थी. तब मुलायम सिंह यादव के सामने बीजेपी के रमाकांत यादव और बीएसपी से गुड्डू जमाली मैदान में थे.
अखिलेश यादव के लिए 'आजमगढ़ सीट' होम ग्राउंड पिच जैसी है. वह इसे खोना नहीं चाहेंगे. वहीं बीजेपी के लिए आजमगढ़, पूर्वांचल में घुसपैठ का गेट है, जिसके जरिए पूर्वांचल पर पकड़ मजबूत की जा सकती है. मायावती मुस्लिम उम्मीदवार के जरिए दलित-मुस्लिम गठजोड़ का लिटमस टेस्ट करती दिख सकती हैं. तीनों पार्टियों ने आजमगढ़ उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है. मामला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है. इसलिए अखिलेश यादव के चुनौती बड़ी है.
रामपुर सीट की गिनती मुस्लिम बहुल सीटों में से होती है. 52% आबादी मुस्लिम है. यहां 1999 के बाद से एसपी और बीजेपी की टक्कर देखने को मिली है. पिछले 5 लोकसभा चुनावों में 3 बार एसपी और 1 बार बीजेपी और 1 बार कांग्रेस की जीत हुई. साल 2019 के चुनाव में आजम खान ने 52% वोटों के साथ जीत हासिल की थी, लेकिन बीजेपी ने भी कड़ी टक्कर दी थी. जया प्रदा 42% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहीं. हालांकि जब 2004 और 2009 में जया प्रदा ने एसपी के टिकट से रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, तो जीत गई थीं.
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Published: 27 May 2022,07:29 AM IST