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Mulayam Singh Yadav के बिना मैनपुरी का रण: डिंपल यादव की राह आसान नहीं

Mainpuri: यादव वोट के अलावा शाक्य भी महत्वपूर्ण है, जिसे साधने के लिए बीजेपी इसी समुदाय से उम्मीदवार उतार सकती है.

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Mulayam Singh Yadav के बिना मैनपुरी का रण: डिंपल यादव की राह आसान नहीं</p></div>
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Mulayam Singh Yadav के बिना मैनपुरी का रण: डिंपल यादव की राह आसान नहीं

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी (Mainpuri By Elections) लोकसभा सीट पर घोषित उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने यादव कुनबे पर ही दांव लगाया है. इस सीट पर पार्टी ने आधिकारिक तौर पर डिंपल यादव (Dimple Yadav) के नाम की प्रत्याशी के तौर पर घोषणा की है. इसी के साथ कई दिनों से चल रहा अटकलों का दौर भी समाप्त हो गया. कयास लगाए जा रहे थे पार्टी की तरफ से तेज प्रताप यादव के नाम की घोषणा हो सकती है.

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का चुनावी करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है.

  • 2009 में फिरोजाबाद में हुए लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव को पहली बार आधिकारिक तौर पर प्रत्याशी बनाया गया था. इस चुनाव में उन्हें कांग्रेस के राज बब्बर से शिकस्त मिली थी.

  • 2012 में कन्नौज के उपचुनाव में डिंपल यादव को एक बार फिर मौका मिला और यहां पर निर्विरोध चुनी गई.

  • इसके बाद 2014 में वह सीट बचाने में कामयाब रहीं.

  • लेकिन 2019 में बीजेपी के सुब्रत पाठक ने उनको कड़े मुकाबले में हराया.

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जाति समीकरण में समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी, लेकिन राह आसान नहीं

1996 से लेकर अब तक मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी के उस गढ़ की तरह रही है जिसको अभी तक कोई पार्टी भेद नहीं पाई है. हालांकि पहली बार ऐसा होगा जब मैनपुरी में लोकसभा चुनाव मुलायम सिंह यादव की सरपरस्ती में नहीं होगा.

यहां अगर जातीय समीकरण की बात करें तो तकरीबन छह लाख यादव मतदाता है. इसके बाद शाक्य बिरादरी के लोग है जिनकी आबादी तीन लाख के आसपास बताई जाती है. समाजवादी पार्टी अपने पारंपरिक यादव वोट बैंक के अलावा शाक्य बिरादरी को साधने के लिए अपने पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को मैनपुरी में पार्टी का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी सूत्रों की माने तो यह कदम शाक्य बिरादरी को एकजुट करने की दिशा में लिया गया है.

बीजेपी दे सकती है कड़ी टक्कर

वहीं अगर बीजेपी की बात करें तो एसपी के गढ़ मैनपुरी में पार्टी जल्द ही चुनावी ताल ठोक सकती है. बीजेपी ने इस साल हुए उपचुनावों में एसपी के दो गढ़ - आजमगढ़ और रामपुर पर अपना कब्जा जमाया था और पार्टी सूत्रों की माने तो मैनपुरी में भी पार्टी अपना प्रत्याशी खड़ा करेगी और पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी.

कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी शाक्य बिरादरी के किसी नेता को टिकट दे सकती है. कई नाम चर्चा में शामिल है जिसमें प्रेम शंकर शाक्य और तृप्ति शाक्य शामिल हैं. प्रेम शंकर शाक्य को 2014 और 2019 में पार्टी ने मुलायम सिंह के खिलाफ मैदान में उतारा था. मैनपुरी में अगर सवर्णों की बात करें तो क्षत्रिय और ब्राह्मण मिलाकर मतदाताओं की संख्या दो लाख से ऊपर है और ऐसे में पार्टी किसी सवर्ण प्रत्याशी पर भी दाव लगा सकती है लेकिन अभी तक आधिकारिक नाम की घोषणा नहीं हुई है.

शिवपाल फैक्टर

मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल यादव एक सात दिखाई दिए और राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी चाचा भतीजा फिर से एक साथ हो सकते हैं. हालांकि इसकी संभावना कम ही दिखाई दे रही है क्योंकि गोरखपुर में एक पत्रकार वार्ता के दौरान शिवपाल यादव ने तंज कसते हुए कहा कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ही असली समाजवादी पार्टी है.

समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका तब लगेगा अगर पीएसपी अपना कोई प्रत्याशी मैनपुरी के लोकसभा उपचुनाव में उतार देती है. अगर ऐसा होता है तो समाजवादी पार्टी के यादव वोट बैंक में सेंध लग जाएगी जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.

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