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Gola Gokarannath By Election: कांग्रेस-BSP गायब, जानें एसपी-बीजेपी में कौन भारी?

Gola Gokarannath By Election: बीजेपी विधायक अरविंद गिरी का 6 सितंबर को हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया था.

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चुनाव
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की गोला गोकर्णनाथ विधानसभा (Gola Gokrannath Assembly) में 3 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आज आने वाले हैं. इस सीट पर उपचुनाव क्यों हो रहा है? किसके बीच टक्कर है. यह सब आपको बताते हैं.

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गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव के मुख्य बिंदु 

स्नैपशॉट

बीजेपी विधायक अरविंद गिरी का इसी साल 6 सितंबर हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया था और तब यह सीट खाली है.

अक्टूबर में भारत निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी.

बीजेपी ने दिवंगत विधायक अरविंद गिरी के बेटे अमन गिरी को प्रत्याशी बनाया.

समाजवादी पार्टी ने 2022 के आम चुनाव में अरविंद गिरी से ही हारे हुए पूर्व विधायक विनय तिवारी को चुनावी मैदान में उतारा.

गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को मतदान कराया जाएगा और 6 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे.

गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में कौन से मुद्दे?

भारतीय जनता पार्टी ने दिवंगत विधायक अरविंद गिरी के पुत्र अमन गिरी पर दांव लगाया है. अमन गिरी अपने दिवंगत पिता के अधूरे सपने पूरे करने को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं. एसपी के प्रत्याशी की ओर से महंगाई, बेरोजगारी, गन्ना भुगतान, आवारा जानवर, बाघ के हमले से हो रही मौतें मुद्दे में शामिल हैं.

बीजेपी के कद्दावर मंत्री विधायक प्रचार में उतरे

सियासत में अपनी पहली पारी खेलने उतरे अमन गिरी के साथ पिता की विरासत है तो पार्टी का विनिंग फार्मूला भी. उधर समाजवादी पार्टी ने भी इस उप चुनाव के लिए कमर कस ली है.

बीजेपी संगठन और प्रदेश सरकार ने गोला के इस उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा है. यही वजह है कि प्रदेश के कद्दावर से कद्दावर मंत्री, विधायक और पार्टी के पदाधिकारी दिन-रात गोला में प्रचार कर रहे हैं. यहां तक कि 31 अक्टूबर को खुद सीएम योगी आदित्यनाथ गोला पहुंच कर जनता के बीच गन्ना भुगतान का वादा करन चुके हैं. लेकिन ऐसे वायदों पर क्या जनता यकीन करेगी यह असल सवाल है?

कौन थे अरविंद गिरी?: जिले की राजनीति में अरविंद गिरी का कद काफी बड़ा था. वह गोला नगर पालिका के अध्यक्ष रहे. इसके बाद समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़े तो लगातार तीन बार विधायक चुनकर सदन में पहुंचे. 2012 के चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़ कर कांग्रेस के टिकट पर अपना भाग्य आजमाया, लेकिन यह चुनाव वह हार गए. 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने गिरी को टिकट दिया, पर यह चुनाव मोदी लहर के सामने गिरी के हाथों से निकल गई.

इसके बाद 2017 के चुनाव से पहले ही अरविंद गिरी ने बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद एक बार फिर उनका सिक्का सियासत में चमक गया. 2017 और 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को हरा कर सदन तक पहुंचने में कामयाब रहे. इस बार गिरी को योगी सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद थी लेकिन उम्मीद पूरी ना हो सकी.

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बीजेपी बनाम समाजवादी पार्टी 

अरविंद गिरी अपने पीछे एक बेटा अमन और दो बेटी छोड़ गए थे. दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है. एक बेटी सेना में अफसर है. अमन गिरी के बारे में बताया जाता है कि वह अब तक राजनीति से दूर रहे हैं. हैदराबाद से एमबीए और एलएलबी की पढ़ाई कर चुके 26 वर्षीय अमन पहली बार राजनीति के मैदान में उतरे हैं.

उनके घर में लंबे समय तक सियासत का माहौल रहा है. उनके पिता विधायक थे और मां नगर पालिका की अध्यक्ष, जबकि ताऊ ग्राम प्रधान अभी भी हैं. टिकट पाने के बाद अमन गिरी ने पार्टी और समर्थकों का धन्यवाद किया है. उनका कहना है कि वह राजनीति में अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए ही आए हैं.

उधर समाजवादी पार्टी ने पूर्व विधायक विनय तिवारी को एक बार फिर मैदान में उतार दिया है. तिवारी 2012 के चुनाव में अरविंद गिरी को हराकर विधायक बने थे, लेकिन 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में अरविंद गिरी के हाथों पराजित हो गए. इस बार उपचुनाव में वह और उनकी पार्टी पूरी ताकत के साथ लगी है जनता का आशीर्वाद मिल गया तो वह यह चुनाव जीत सकते हैं.

अमन को कम है सियासी अनुभव, पिता के नाम पर लड़ेंगे चुनाव

बीजेपी प्रत्याशी अमन गिरि का राजनीतिक अनुभव ना के बराबर ही रहा है. उन्होंने कभी किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया. पर उनके साथ अपने पिता अरविंद गिरि का नाम जुड़ा है. यह उनके लिए मजबूत बिंदु जरूर है. वहीं उनके सामने चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे एसपी के विनय तिवारी पूर्व विधायक हैं. वह 2012 में एसपी के टिकट पर चुनाव जीते थे.

2012 में पहली बार परिसीमन के बाद बनी गोला विधानसभा सीट पर विनय तिवारी ने जीत हासिल की थी. उसके बाद 2017 और 2022 के चुनाव में उन्हें अरविंद गिरी ने हराया था.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट? 

गोला की राजनीति को लंबे समय से कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अविनाश वर्मा का कहना है कि, "वैसे तो इस बार अमन गिरि को संवेदनाओं का लाभ मिल सकता है. लेकिन उनको अपना चुनाव प्रबंधन बेहतर करना होगा. राजनीति में नए होने के कारण अमन के सामने यह चुनौती जरूर है पर बीजेपी के मत और उनके नेताओं की सक्रियता मजबूती दे सकती है. अरविंद गिरि पांच बार के विधायक रहे हैं, लेकिन विनय तिवारी के मैदान में आने से ब्राह्मण मतों में विभाजन हो सकता है.

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