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25 में 7 मुस्लिम, 8 सवर्ण: मायावती की 'सोशल इंजीनियरिंग' से SP-BJP को कितनी चुनौती?

Lok Sabha Election 2024: BSP के 25 प्रत्याशियों में से 8 सवर्ण, 7 मुस्लिम, 7 SC और 3 OBC हैं.

पीयूष राय
पॉलिटिक्स
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<div class="paragraphs"><p><strong>25 में 7 मुस्लिम, 8 सवर्ण: मायावती की 'सोशल इंजीनियरिंग' से SP-BJP को कितनी चुनौती?</strong></p></div>
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25 में 7 मुस्लिम, 8 सवर्ण: मायावती की 'सोशल इंजीनियरिंग' से SP-BJP को कितनी चुनौती?

(फोटो: क्विंट)

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यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी की कभी उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहने वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है. समाजवादी पार्टी (एसपी) के साथ गठबंधन में बीएसपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी. हालांकि अब उनके जीते हुए सांसदों में से कई चेहरे दूसरी पार्टी में चले गए है. गाजीपुर से बीएसपी सांसद अफजाल अंसारी को एसपी ने टिकट दिया. अंबेडकर नगर से बीएसपी सांसद रितेश पांडे अब बीजेपी से प्रत्याशी हैं. अमरोहा से सांसद दानिश अली को बीएसपी पहले ही पार्टी से निकाल चुकी है. अब वह अमरोहा से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. लालगंज से बीएसपी सांसद संगीता आजाद ने अभी हाल ही में बीजेपी ज्वाइन किया है.

वहीं अगर 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के तैयारी की बात करें तो बीएसपी ने अभी तक 25 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इनमें पश्चिमी यूपी के 7 ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं जहां पर पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में बीएसपी के साथ गठबंधन करने वाली समाजवादी पार्टी की राह इस बार आसान नजर नहीं आ रही है. वहीं मुस्लिम बाहुल्य कुछ लोकसभा सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवारों के चयन से बीजेपी के राह में भी कांटे बो दिए हैं. मायावती द्वारा घोषित 25 प्रत्याशियों में से 8 सवर्ण, 7 मुस्लिम, 7 अनुसूचित जाति और 3 ओबीसी प्रत्याशी मैदान में हैं.

25 में से 7 मुस्लिम प्रत्याशी बिगाड़ रहे INDIA गठबंधन का खेल

कई बार राजनीतिक गलियारों में चर्चा रही कि मायावती इंडिया गठबंधन का हिस्सा हो सकती हैं. इन चर्चाओं में तर्क भी दिया गया कि मायावती को नाराज न करने के लिए इंडिया गठबंधन में चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी को शामिल नहीं किया गया. लेकिन मायावती ने अब साफ कर दिया है कि वह किसी भी गुट- एनडीए या इंडिया- का हिस्सा नहीं बनेंगी. पार्टी ने 25 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान भी कर दिया है. इन उम्मीदवारों के आकलन से एक बात साफ हो रही है कि इनमें से कई खुद जीतते हुए कम और दूसरे प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ते हुए ज्यादा नजर आ रहे हैं.

पार्टी ने सहारनपुर से माजिद अली, मुरादाबाद से मोहम्मद इरफान सैफी, रामपुर से जीशान खान, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन, पीलीभीत से अनीस अहमद खान और संभल से शौकत अली को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश कि यह वो लोकसभा सीटें हैं जहां पर मुस्लिम वोटरों की संख्या 30% से ज्यादा है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इंडिया गठबंधन की तरफ से भी यहां पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित किए जाएंगे. अगर ऐसा होता है तो इन सीटों पर मुस्लिम वोट बैंक बट जाएगा जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा.
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इसका आकलन 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम से भी लगाया जा सकता है. मुरादाबाद सीट पर 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने कुंवर सर्वेश कुमार को मैदान में उतारा था. अलग-अलग चुनाव लड़ रही एसपी, बीएसपी और कांग्रेस ने अपने मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे. इस चुनाव में 45,225 वोटों के साथ कुंवर सर्वेश कुमार ने जीत दर्ज की थी. इनका वोट शेयर 27.38% परसेंट था. वहीं दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार एसटी हसन का वोट शेयर 22.4% परसेंट था. बीएसपी के उम्मीदवार हाजी मोहम्मद याकूब का वोट शेयर 9.08% था.

तस्वीर 2019 में बदल जाती है. लोकसभा चुनाव में एसपी और बीएसपी गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे. चुनाव के नतीजे में एसपी के डॉक्टर एसटी हसन को 6,49,416 मत प्राप्त हुए और उनका वोट शेयर 50.65% था. 2014 में चुनाव जीतने वाले कुंवर सर्वेश कुमार 43.01% वोट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे.

कुछ ऐसा ही हाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अन्य मुस्लिम बाहुल्य सीट जैसे अमरोहा, बिजनौर, संभल, सहारनपुर और रामपुर में रहा जहां मुस्लिम वोटों को एक जुट कर गठबंधन ने बीजेपी को शिकस्त दी थी.

कई जगह बीजेपी को चोट दे सकते हैं बीएसपी प्रत्याशी

बीएसपी ने कई प्रत्याशियों के नाम ने विश्लेषकों को चौकाया भी है. 25 प्रत्याशियों की लिस्ट में पार्टी ने 8 सवर्ण प्रत्याशी अलग-अलग लोकसभा सीटों पर उतरे हैं. आलोचकों द्वारा बीजेपी का "टीम बी" कहे जाने वाली बीएसपी ने मुस्लिम-दलित-जाट बाहुल्य कैराना, बागपत और मेरठ सीट पर बतौर प्रत्याशी क्रमशः श्रीपाल सिंह, प्रवीण बंसल और देवव्रत त्यागी के नामों की घोषणा की है.

मुस्लिम और दलित बाहुल्य मेरठ सीट पर बीएसपी के हाजी मोहम्मद याकूब गठबंधन प्रत्याशी थे. एक कड़े मुकाबले में बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल ने बीएसपी के मोहम्मद याकूब को 4729 वोटो से हराया था. 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बीएसपी से देवव्रत त्यागी मैदान में हैं.

मेरठ लोकसभा सीट पर 40 से 50 हजार त्यागी हैं. पारंपरिक रूप से पिछले कई चुनावों में त्यागी समाज ने बीजेपी का साथ दिया है. लेकिन 2022 नोएडा में एक महिला से गाली गलौज और बदसलूकी करने वाले श्रीकांत त्यागी के समर्थन में त्यागी समाज के कई गुट बीजेपी के खिलाफ हो गए थे. बीएसपी अगर अपने प्रत्याशी के माध्यम से इस नाराजगी को भुनती है तो 2019 में मेरठ में हुए कड़े मुकाबले जैसे स्थिति उत्पन्न होती है तो बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

कुछ ऐसी ही स्थित कैराना लोकसभा सीट पर भी है. मुस्लिम दलित और जाट बाहुली सीट पर तकरीबन 1 लाख से ज्यादा ठाकुर मतदाता है. यहां पर बीएसपी ने श्रीपाल सिंह को मैदान में उतारा है. स्वर्गीय बाबू हुकुम सिंह और स्वर्गीय मुनव्वर हसन के परिवारों के बीच राजनीतिक वर्चस्व के हर बार एक नए अध्याय का साक्षी इस सीट पर बीएसपी उम्मीदवार जीतते हुए तो नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन बीजेपी के ठाकुर वोट बैंक में सेंध जरूर लगा सकते हैं. ऐसे में करीबी मुकाबले में बीजेपी को कैराना में नुकसान उठाना पड़ सकता है.

बागपत में पार्टी ने गुर्जर जाति के प्रवीण बंसल को चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट पर साढ़े चार लाख जाट, 2.9 लाख मुस्लिम, तकरीबन 2.5 लाख दलित और 70 से 80 हजार गुर्जर वोटर हैं. पिछले कुछ चुनावों में गुर्जर वोटरों का झुकाव बीजेपी की तरफ ही रहा है.

बीएसपी द्वारा गुर्जर उम्मीदवार उतारे जाने से अंतिम नतीजे में बीजेपी को हल्की चोट लगती तो नजर आ रही है लेकिन क्या यह जीत या हार का कारण बन पाएगा इसका फैसला जून 4 को ही हो पाएगा.

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