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लोकसभा चुनाव: मनोज तिवारी को 'दिल्ली के पूर्वांचल' में कन्हैया कुमार चुनौती दे पाएंगे?

North East Delhi Lok Sabha Election: उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर बिहार और पूर्वांचल से आकर बसी आबादी ज्यादा है.

चंदन सिंह राजपूत
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>लोकसभा चुनाव: मनोज तिवारी को 'दिल्ली के पूर्वांचल' में कन्हैया कुमार चुनौती दे पाएंगे?</p></div>
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लोकसभा चुनाव: मनोज तिवारी को 'दिल्ली के पूर्वांचल' में कन्हैया कुमार चुनौती दे पाएंगे?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के छठे चरण (6th Phase) में देश भर के 8 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेश की 58 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. इसमें राष्ट्रीय राजधानी की सभी सात सीटें भी शामिल हैं. दिल्ली की सात सीटों में जिस सीट को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हैं, वह है उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट (North East Delhi Lok Sabha Seat).

ये सीट बीते कुछ दिनों से बड़े नेताओं और विशाल रैलियों की वजह से आकर्षण का केंद्र रहा है.

बीजेपी की ओर से इस सीट से मौजूदा सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) प्रत्याशी हैं. मनोज तिवारी लगातार दो बार इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. वहीं कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) को मैदान में उतारा है.

दिल्ली लोकसभा में क्या है माहौल?

उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है. दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के लिए भी ये सीट साख बचाने की लड़ाई बन गई है. दोनों ओर से नेता इस सीट पर ताबड़तोड़ रैली कर चुके है.

बीते कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां रैली की थी. गुरुवार को राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया. इसके साथ ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बीते दिन इस इलाके में रोड शो किया था.

सीएम केजरीवाल ने बिना नाम लिए कहा था कि कन्हैया कुमार को जिताना है और 'रिंकिया के पापा' को हराना है.

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बिहार-पूर्वांचल फैक्टर कितना काम करेगा?

उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर बिहार और पूर्वांचल से आकर बसी आबादी ज्यादा है. 2011 की जनगणना के अनुसार, इस निर्वाचन क्षेत्र का औसत जनसंख्या घनत्व 36,155 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है - जो भारत में सबसे अधिक है. 62 वर्ग किमी क्षेत्र में कम से कम 22.42 लाख लोग रहते हैं. इस वजह से ही बीजेपी और कांग्रेस ने बिहार और पूर्वांचल से ताल्लुक रखने वाले नेताओं को यहां से प्रत्याशी बनाया है.

मनोज तिवारी पिछले 2 लोकसभा चुनाव इस सीट से जीत रहे हैं. साल 2019 में उनका मुकाबला कांग्रेस की पूर्व सीएम शीला दीक्षित से था. ये चुनाव मनोज तिवारी जीते थे. मनोज तिवारी को 53.90 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि शीला दीक्षित को 28.85 प्रतिशत वोट मिले थे.

साल 2014 के चुनाव में भी बीजेपी के मनोज तिवारी इस सीट से चुनाव में थे. उन्होंने आम आदमी पार्टी के आनंद कुमार को 11 प्रतिशत वोट के अंतर से हराया था. मनोज तिवारी को 2014 लोकसभा चुनाव में 45.3% प्रतिशत वोट मिले थे.

ऐसे में सवाल उठता है कि कन्हैया कुमार को क्या बिहार के होने का फायदा चुनाव में मिलेगा या मनोज तिवारी उनपर भारी पड़ेंगे?

जवाहलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के प्रोफेसर हिमांशु रॉय कहते हैं, "कन्हैया कुमार को इस सीट पर बहुत फायदा मिलने की उम्मीद नहीं दिखती है. लेकिन हां, ये तय है कि उन्हें कांग्रेस के पिछले उम्मीदवारों से बेहतर वोट प्रतिशत मिलेगा. इसकी वजह ये है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं."

"जहां तक कन्हैया के जीतने का सवाल है, इसपर बहुत कॉन्फिडेंस नहीं है. ऐसा इसलिए भी है कि दिल्ली की जनता चुनाव के मूड को समझती है. यानी विधानसभा चुनाव में वे भले ही मुद्दों के आधार पर वोट करते हैं लेकिन जब लोकसभा का चुनाव आता है तो राष्ट्रीय चेहरे के आधार पर वोट डालते हैं. दिल्ली के लोगों के पता है कि किस चुनाव में किसे वोट देना है."
हिमांशु रॉय, प्रोफेसर, सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज, JNU

हालांकि पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर आशुतोष कुमार मानते हैं कि उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी को कमतर नहीं देखना चाहिए.

प्रोफेसर आशुतोष कुमार कहते हैं, "कन्हैया कुमार को हम एकदम साइडलाइन नहीं कर सकते हैं. उनकी उम्मीदवारी इसलिए भी मजबूत है कि क्योंकि उन्हें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का साथ मिला हुआ है. इसके साथ कन्हैया को मुस्लिम वोटर्स का साथ भी मिलेगा."

2020 दंगों के बाद पहला लोकसभा चुनाव? 

साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगे का केंद्र इसी लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है. दंगों के बाद पहली बार इस सीट पर लोकसभा चुनाव हो रहे हैं.

प्रोफेसर हिमांशु रॉय कहते हैं, "2020 दंगों में जिन परिवारों को सीधे तौर पर असर हुआ था वह कन्हैया के पक्ष में जा सकते हैं क्योंकि मनोज तिवारी मौजूदा सासंद थे और मुस्लिम वोटर्स बीजेपी को वोट नहीं देगी. खासकर पुरुष मुस्लिम वोटर्स बीजेपी को वोट नहीं देंगे, भले ही महिलाएं साइलेंट वोटर की तरह बीजेपी को वोट कर दें. हालांकि इसकी गुंजाइश कम ही है."

गौरतलब है कि दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली की 10 विधानसभा सीट में से 7 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं.

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