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प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने आखिरकार अपनी नई सियासी पारी के संकेत दे दिए हैं. हाल ही में कांग्रेस के साथ चर्चा फेल हो जाने के बाद इस चुनावी रणनीतिकार ने सोमवार को एक ट्वीट करके बिहार से अपनी नई राजनैतिक 'शुरुआत' करने की बात कह डाली है. लेकिन पीके का प्लान क्या है?
पीके की कंपनी आई-पैक के पॉलिटिकल इंटेलिजेंस सेक्शन से पिछले डेढ़ साल से जुड़े एक शख्स ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि प्रशांत की नई पार्टी का ब्लूप्रिंट उनके हर चुनावी अभियान की तरह कागजों पर पूरी तरह तैयार है. उनका कहना है कि प्रशांत किशोर की पार्टी का नाम भी वही होगा जिस शब्द का उन्हेांने ट्वीट में उल्लेख किया है-'जन सुराज'. इस नाम के बारे में प्रशांत की कोर टीम के कुछ चुनिंदा मेंबर्स के साथ पहले से कुछ चर्चाएं हुई थीं, हालांकि नाम खुद उन्होंने ही तय किया है. सूत्र ने आगे बताया-
इस सूत्र ने हमें बताया कि पार्टी की फॉर्मल लाॅन्चिंग पर भी उनकी साथियों से बात हुई है. इसकी भी तैयारी चल रही है. पटना में ही पार्टी की लांचिंग की जाएगी. पटना में ही पार्टी का तीन फ्लोर का शानदार ऑफिस तैयार हो गया है. इसमें कुछ लोगों की टीम बैठने भी लगी है, वे इसमें चुनावी विश्लेषण का काम कर रहे हैं या नई पार्टी से जुड़े फंक्शन देख रहे हैं. इस पार्टी में आई पैक से जुड़े उनके काफी साथी दिखेंगे.
प्रशांत किशोर ने अपने आज के ट्वीट में स्पष्ट कर दिया है कि उनका अपनी पार्टी को केवल बिहार तक सीमित रखने का कोई इरादा नहीं है. वह इसे केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की तर्ज पर आगे पूरे देश में फैलाने का विजन रखते हैं.
वैसे प्रशांत किशोर का अनुभव अकेले बिहार तक सीमित नहीं है. देश के एक दर्जन से ज्यादा राज्यों में उन्होंने कई पार्टियों के कैंपेन संभालकर उनको चुनावी जीत दिलाने का काम किया है. वे देश के अधिकांश वोटर व मुद्दों की नब्ज समझते हैं, इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रशांत किशोर पूरे देश में अपनी पार्टी को फैलाने का विजन तैयार कर रहे हैं.
प्रशांत किशोर ने तीन चार महीने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी. सोशल मीडिया पर बने 'यूथ इन पॉलिटिक्स' पेज पर उन्हेांने युवाओं से अपने साथ राजनीति में जुड़ने की अपील करके पहले ही अपने इस महत्वांकांक्षी प्लान के संकेत दे दिए थे.
इस पेज पर युवाओं को सक्रिय राजनीति मे प्रशांत किशोर के मार्गदर्शन में जुड़ने के लिए एक मंच देने का वादा कर उनसे एक ऑनलाइन फॉर्म भरवाया जा रहा था. इस कैंपेन के साथ प्रशांत किशोर की तस्वीर भी लगी थी. यह फॉर्म प्रशांत किशोर से जुड़े कुछ और सोशल मीडिया पेजेस पर भी मौजूद हैं.इस कैंपेन से जुड़े टीम पीके के एक अन्य सदस्य बताते हैं कि,
जब प्रशांत किशोर जेडीयू के साथ थे तब 2018 में उन्हेांने राजनीति में 1 लाख युवाओं को जोड़ने के लिए इसी तरह का प्रयोग किया था. इसके लिए उन्होंने लिखित परीक्षा और इंटरव्यू लेकर बिहार के युवाओं को पार्टी में शामिल करने की शुरुआत की थी, संभवत: वह अपने इस पार्टी प्लान में इस बार भी टैलेंट ऐसे ही तलाशने की कोशिश करेंगे.
आज का ट्वीट पढ़कर चौंकने वालों के लिए प्रशांत की यह घोषणा नई बात हो सकती है, पर उनकी एक्टविटीज को फॉलो करने वालों के लिए यह कोई नई बात नहीं है. पटना में आईपैक के दफ्तर में फरवरी में हुई एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में तो उन्होंने अपनी रणनीति बहुत कुछ खुलासा कर दिया था. उन्होंने वहां "बात बिहार की" नाम की अपनी एक प्रस्तावित यात्रा के बारे में चर्चा की. वहां उन्हेांने राजनीतिक पार्टी बनाने की बात तो अस्वीकारी थी, पर संकेत सारे इसी दिशा में दिख रहे थे.
उन्होंने अपने पॉलिटिकल एक्टिविज्म का विजन देते हुए कहा था
जब पूछा गया कि ये युवा आपसे जुड़कर करेंगे क्या? तब प्रशांत किशोर ने कहा था कि हम सबको नेता बनाएंगे. इसकी शुरुआत हम पंचायत स्तर से कर रहे हैं.
उनकी उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंटरनेट पर मौजूद वीडियो देखें तो उनके तेवर व नेताओं वाले अंदाज से स्पष्ट दिख रहा है कि वे चुनावी रणनीतिकार का पेशा छोड़ राजनीति के मैदान में उतरना चाहते हैं.
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