प्रशांत किशोर (Prashant Kishor ) ने तो आज अपनी खुद की पार्टी बनाने के संकेत दे दिए हैं, पर कुछ दिन पहले वह जिस कांग्रेस (Congress) को इनकार करके और उसकी लीडरशिप पर सवाल खड़े करके आए हैं, लगता है उस पर उनके छह लाइनों के ट्वीट (Prashant Kishor tweet) के हर शब्द का गहरा असर पड़ा है. तभी तो कांग्रेस हाईकमान इस समय एक्टिव मुद्रा में नजर आ रही है और कई राज्यों के संगठन में बदलाव के सधे फैसले लेकर अपनी क्षमता पर उठे सवालों का जवाब देने का कोई मौका नहींं चूक रही है. इस रिवाइवल फॉर्मूले के तौर पर कांग्रेस ने हथियार भी प्रशांत किशोर के 600 स्लाइड वाले प्रजेंटेशन को ही बनाया है, जिसमें उन्हेांने कांग्रेस को फर्श से अर्श पर ले जाने के कई कीमती नुस्खे सामने रखे थे.
हाल में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पार्टी हाईकमान ने जिस तरह से सधे और नीतिगत बदलाव किए हैं, उनमें पीके (PK) की रणनीतिक प्लानिंग की झलक कहीं न कहीं नजर आती है. एक के बाद एक जिस तरह से कांग्रेस ने तेज और परिवर्तन वाले फैसले लेने शुरू किए हैं, उनसे दिख रहा है कि पीके को जवाब देने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने उनके दिए अस्त्र यानी उस प्रेजेंटेशन का ही इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के इस एक्टिव को साबित करती पढ़िए यह खास रिपोर्ट-
हिमाचल में सबसे पहले दिखा पीके प्रजेंटेशन का इफेक्ट
प्रशांत किशोर की सलाहों पर कांग्रेस ने सीधा और स्पष्ट अमल हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में किया है. प्रदेश संगठन और अध्यक्ष के मुद्दे को तत्काल निपटाने की इच्छाशक्ति दिखाते हुए हाईकमान ने यहां थोक परिवर्तन किए. सबसे पहले प्रदेश में पार्टी की बागडोर 6 बार के मुख्यमंत्री रहे स्व. वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) की पत्नी और मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह को सौंप दी.
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष और स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य बनाया दिया. मुकेश अग्निहोत्री को फिर से विधायक दल का नेता नामित किया. कांगड़ा से पवन काजल, चंबा से हर्ष महाजन, रेणुका से विनय कुमार और हमीरपुर से राजेंद्र राणा के रूप में चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बना दिए गए.
संगठन में व्यापक बदलाव करते हुए स्क्रीनिंग कमेटी, मेनिफेस्टो कमेटी, कोऑर्डिनेशन कमेटी, इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी, डिप्टी CLP, चीफ विहिप, सीनियर वाइस प्रेजिडेंट, कोषाध्यक्ष आदि की नियुक्ति भी की.
पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के नेतृत्व में स्टीयरिंग कमेटी बनाई, जिसमें धनीराम शांडिल, विप्लव ठाकुर, कुलदीप राठौर, आशा कुमारी, हर्षवर्धन चौहान, चंद्र कुमार, रामलाल ठाकुर और सुरेश चंदेल को सदस्य बनाया गया. आश्चर्य की बात रही कि इन सबमें हाईकमान का डायरेक्ट हस्तक्षेप रहा. इसे पीके के झिंझोड़ने वाले प्रजेंटेशन का इफेक्ट न कहा जाए तो क्या कहा जाए.
हरियाणा के फैसले तो ऐसे, जैसे पीके की फाइल से निकले हों
पीके के प्रेजेंटेशन के बाद हरियाणा (Haryana) में कांग्रेस ने जिस बुद्धिमत्ता से वहां के कलह की काट निकाली और जिस समझदारी से दलित और जाट समीकरणों को साधा, उससे किसी रणनीतिकार की स्पष्ट और सोची प्लानिंग की झलक इसमें मिलती है. पार्टी की ओर से दलित बिरादरी के उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा (Kumari Shailja) का इस्तीफा बिना किसी विरोध के बड़ी खूबी से ले लिया गया. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) जो शैलजा को हटाकर अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को कमान दिलाने चाहते हैं, उनकी बात के प्रेशर में भी हाईकमान नहीं आई और उन्हें नाराज भी नहीं किया, क्योंकि उदयभान हुड्डा के बहुत करीबी हैं.
चार कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी, राम किशन गुज्जर, जीतेंद्र कुमार भारद्धाज और सुरेश गुप्ता को बनाने में क्षेत्रीय व जातीय समीकरण बड़ी कुशलता से साधे रखा. हरियाणा में आम आदमी पार्टी के तेजी से एक्टिव होने के चलते कांग्रेस हाईकमान को यहां की तनातनी जल्द खत्म करना बहुत जरूरी था. जिसे सुलझी रणनीति से वक्त पर साध लिया गया. इस राज्य में लिए फैसलों से लग रहा है कि जैसे ये सारे फैसले किसी सलीके से तैयार योजना की फाइल से उठाए गए हों.
पंंजाब में पीके की स्लाइड का रिफ्लेक्शन
पंजाब (Punjab) का संगठन हमेशा भिड़ता रहता है, इसी को देखते हुए यहां ढील न बरतते हुए हाईकमान ने प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को संदेश देकर प्रदेश कांग्रेस की नई टीम का जल्द ऐलान कराया. नई टीम में कांग्रेस की ओपन सोच भी दिख रही है क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ की टीम अहम भूमिका निभाने वाले कैप्टन संदीप सिंह संधू को कांग्रेस संगठन में वापस लेने में उन्हेांने हिचकिचाहट नहीं दिखाई है.
पंजाब की टीम में पांच उप प्रधानों की घोषणा भी कांग्रेस के डिफरेंट सोचने की बानगी लगी रही है. इससे पहले पार्टी लाइन के खिलाफ जाने वाले सुनील जाखड़ जैसे नेताओं पर ऐक्शन भी लेकर हाईकमान ने पंजाब को अपने बदले तेवर के संकेत दिए थे.
मध्यप्रदेश में दिखाया दिलेर मूव
पीके प्रकरण के बाद मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में जिस तरह से कांग्रेस हाईकमान ने स्टैंड लिया, उसे उनका जागने वाला बड़ा मूव माना जाना चाहिए. यहां तैनात इंदिरा युग के खांटी कांग्रेसी कमलनाथ (Kamal Nath) मध्यप्रदेश के मामले में किसी की नहीं सुनते थे और वे प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष के पद पर पिछले दो साल से काबिज रहकर एक व्यक्ति एक पद नियम का खुला मखौल उड़ा रहे थे, उनसे नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा ले लिया गया.
यह पद भी डॉ. गोविंद सिंह को सौंपकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं. क्योंकि गोविंद सिंह के तौर पर कांग्रेस को ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के गढ़ ग्वालियर-चंबल में उनकी काट के लिए एक जमीनी नेता मिल जाएगा, जो बिना दबे सिंधिया का मुकाबला कर सकेगा, वहीं इस मूव से मप्र में कांग्रेस में मृतप्राय दिग्विजय सिंह खेमा भी अपने इलाके में पार्टी को मजबूत करने उठ खड़ा होगा.
पीके ने कड़े फैसले लेने को कहा, अगले दिन ही अनुशासन का डंडा चला
मीडिया रिपोर्ट्स में पीके के प्लान की जो इनसाइड्स आई है, उनमें उल्लेख है कि पार्टी को कड़े फैसले लेने के लिए इस प्लानिंग में कहा गया था. पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jhakhad) और कांग्रेस कमेटी के सदस्य केवी थॉमस (KV Thomas ) पर अनुशासन का डंडा चलाकर सभी पदों से हटाकर कांग्रेस हाईकमान ने अपने कड़े़े फैसले लेने की क्षमता को दिखा दिया है.
अनुशासन समिति की रिपोर्ट के बाद सोनिया गांधी ने इन मामलों में फैसला लेने में देरी नहीं की. सुनील जाखड़ ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम चेहरा घोषित किए जाने वाले फैसले की निंदा की थी. वहीं केवी थॉमस ने कन्नूर में आयोजित सीपीएम पार्टी के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और पार्टी लाइन के खिलाफ लगातार बयानबाजी की थी.
एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप भी प्रशांत की सलाह पर बना
'मिशन 2024' के लिए कांग्रेस ने जिस एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप (Empowered Action Group 2024) को बनाया है और जिसका हिस्सा बनने का न्योता प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) को दिया गया था, वह भी प्रशांत किशोर की सलाह पर ही बनाया गया है.
पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशांत किशोर से कांग्रेस की चर्चा वाला प्रसंग तो उजागर तौर पर अभी सामने आया है, पर इस चर्चा के विभिन्न दौर तो पहले से ही शुरू हो गए थे. इसी क्रम में पीके ने सोनिया गांधी के समक्ष 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने को लेकर एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 की योजना रखी थी.
सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करके इस एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप को बनाया है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने तो इस बात को स्वीकारा भी था कि यह ग्रुप प्रशांत किशोर के प्रपोजल पर गठित हुआ है.
पीके की आत्ममंथन की सलाह पर होगा राजस्थान में अमल
कांग्रेस को पीके ने आत्ममंथन की सलाह दी थी, तो कांग्रेस 13-14 मई को राजस्थान (Rajasthan) के उदयपुर (Udaipur) में 'नवसंकल्प चिंतन शिविर' के तहत आत्ममंथन भी करने जा रही है. उसके इस शिविर में 400 प्रतिनिधि भाग लेंगे जो आगे की रणनीति बनाने के साथ ही पार्टी की अंदरुनी समस्याओं पर चिंतन करेंगे.
इस शिविर के लिए कांग्रेस ने 6 नई कमेटियां बनाई हैं जो किसान और कृषि, युवा, बेरोजगारी, सामाजिक अधिकारिता, आर्थिक, संगठनात्मक व राजनीतिक मामलों सहित अन्य एजेंडों पर चर्चा करेगी. कहीं न कहीं ये एजेंडे पीके के प्रजेंटेशन में भी झलक रहे थे.
पीके प्रेजेंटेशन में क्या दी गई थी कांग्रेस को सलाह
प्रशांत किशोर ने खोई जमीन दोबारा पाने के लिए कांग्रेस को अपनी राय देते हुए मजबूत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत पर जोर दिया था. पुराने तरीके पीछे छोड़ सुधारों की ओर बढ़ने की बात कही थी. गहरी जड़ें जमा चुकी समस्याओं को तत्काल उखाड़ फेंकने के फॉर्मूले सामने रखे थे. 600 स्लाइड का प्रजेंटेशन भी देते हुए उन्होंने अपने गढ़ रह चुके राज्यों की सर्जरी करने की बात कही थी, जिस पर कांग्रेस अभी अमल करती दिख रही है. उन्होंने पूर्व और दक्षिण की 200 सीटों पर विशेष फोकस करने की जरूरत भी बताई थी.
पीके ने स्पष्ट तौर पर कहा था कांग्रेस को लीडरशिप स्टैंड की जरूरत है, पिछले काफी समय से सोई कांग्रेस हाईकमान अब इसी स्टैंड को दिखाने की कोशिश कर रही है. प्रशांत किशोर ने कहा था कि कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्व उसे मुश्किलों से नहीं निकाल सकता, ऐसा कहकर उन्होंने एक तरह से गांधी परिवार की क्षमता पर ही सवाल खड़े किए थे , जिनका जबाव गांधी फैमिली वाली कांग्रेस हाईकमान देने की कोशिश कर रही है.
और अंत में...
राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा चल रही है कि कांग्रेस वास्तव में पीके के झिंझोड़ने वाले शब्दों से जाग गई है या फिर इस पार्टी का प्रशांत किशोर के साथ परदे के पीछे से कोई गुप्त पैक्ट हो गया है.
क्योंकि इतने तीव्र और सधी हुई रणनीति वाले फैसले तो पार्टी की ओर पिछले पांच सालों में कभी नहीं देखे गए, तो कहीं परिवर्तन वाले ये सुझाव कहीं से पीके हैडफोन लगाकर तो हाईकमान के पास नहीं भेज रहे.
प्रशांत किशोर ने जिस सबसे बड़े बदलाव की ओर इशारा किया था, वह है काफी लंबे समय से पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव लंबित होना. अभी सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी हुई हैं. यदि कांग्रेस प्रशांत किशोर की इस बड़ी सलाह पर जल्द ही अमल कर लेती है और पार्टी के अध्यक्ष पद के मसले को भी हल कर लेती है तो तय हो जाएगा कि प्रशांत किशोर भले ही इस पार्टी में शामिल नहीं हुए पर इसे अपने प्रेजेंटेशन और ट्वीट के जरिए बहुत कुछ दे जरूर गए हैं.
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