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राहुल गांधी-दानिश अली की मुलाकात के क्या मायने? कांग्रेस का 'मिशन 2024' क्या?

Danish Ali को बीएसपी ने उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुल सीट अमरोहा से चुनाव मैदान में उतारा था.

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<div class="paragraphs"><p>राहुल गांधी-दानिश अली की मुलाकात के क्या मायने? कांग्रेस का 'मिशन 2024' क्या?</p></div>
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राहुल गांधी-दानिश अली की मुलाकात के क्या मायने? कांग्रेस का 'मिशन 2024' क्या?

(फोटो: दानिश अली/X)

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लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन की धुरी बनी कांग्रेस यूपी में अपना खोया वोट बैंक सहेजने में जुटी है. पिछले दिनों बीएसपी के सांसद दानिश अली के खिलाफ बीजेपी के सांसद सदस्य रमेश बिधूड़ी द्वारा अपशब्दों के इस्तेमाल के बाद से कांग्रेस के नेता उनसे मिलने पहुंच रहे हैं. दरअसल इसके जरिए कांग्रेस एक तीर से कई निशाने साधने में लगी है.

मुस्लिम वोट पर 'नजर', SP पर दबाव बनाने का प्रयास

राजनीतिक जानकर बताते हैं कि कांग्रेस इन दिनों अपने खोए हुए वोटों को पाने की चाहत में सारी कवायद कर रही है. इसके साथ ही विपक्षी गठबंधन 'INDIA' का हिस्सा बनी समाजवादी पार्टी पर सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है.

एक दौर में मुस्लिम वोट कांग्रेस के पाले में हुआ करता था. लेकिन जैसे-जैसे कांग्रेस कमजोर होती गई, उससे यह वोट बैंक भी खिसकता गया. इस वोट बैंक पर कभी बीएसपी तो कभी समाजवादी पार्टी का कब्जा होता चला गया. इसी कारण दानिश अली के बहाने ही सही कांग्रेस ने संदेश देने का प्रयास किया है.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हमारी पार्टी इस बार नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान को आगे बढ़ाने में लगी है. इसी कारण जब संसद में दानिश अली पर बीजेपी के सदस्य द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी की तो राहुल गांधी वहां पहुंचे और संदेश दिया कि वह हर उस तपके के साथ हैं, जो बीजेपी द्वारा सताया जा रहा है.

दानिश अली से गले मिलते हुए राहुल गांधी.

(फोटो: दानिश अली/X)

भारत जोड़ो यात्रा के बाद से राहुल गांधी गरीब और कम आय वाले लोगों से मिलते भी रहे हैं. चाहे वह ट्रक वाला हो, या कारपेंटर, सभी के दुख दर्द को वह नजदीक से समझ रहे हैं. मुस्लिम भाई कांग्रेस के साथ हमेशा खड़ा रहा है. कांग्रेस ने इन लोगों को बहुत महत्व दिया है. क्षेत्रीय दलों ने महज इन्हें वोट बैंक समझकर इस्तेमाल किया है. अगर वह इतने इनके हमदर्द होते तो दानिश के साथ खड़े होते. लेकिन वहां भी कांग्रेस ही साथ नजर आ रही है.
कांग्रेस नेता

उधर कांग्रेस पार्टी के नेता मानकर चल रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम एकजुट होकर कांग्रेस के पाले में आएंगे. दानिश अली को बीएसपी ने मुस्लिम बहुल सीट अमरोहा से चुनाव मैदान में उतारा था.

सूत्र बताते हैं कि दानिश के कांग्रेस से इतना मेल-मिलाप मायावती को पसंद नही आ रहा. इसी कारण वो इन्हें मिलने का भी समय नहीं दे रही है. जब घटना हुई थी उस दौरान उन्होंने दानिश के पक्ष में एक पोस्ट कर रस्म अदायगी कर दी थी. यह भी माना जा रहा है कि दानिश अली इस बार बीएसपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं. कांग्रेस ऐसे ही अन्य मुस्लिम नेताओं को भी भीतरखाने अपने पाले में लाने के प्रयास कर रही है.

दानिश अली को लेकर मायावती का पोस्ट.

(स्क्रीनशॉट मायावती/X)

कांग्रेस का क्या 'प्लान'?

कई दशकों से यूपी की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल का कहना है कि बीच में मायावती बीजेपी पर कुछ नर्म हुई थी. लेकिन उस समय कुंवर दानिश अली ने अमरोहा में ‘भारत माता की जय‘ के नारे पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने जमकर हंगामा किया था. BSP भले ही BJP के प्रति नरम रही हो लेकिन दानिश उससे अपने को अलग रखना चाहते हैं. ऐसा लगता है कि BSP में होने के पहले वह अपने धर्म का विचार रखते हैं.

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बीच में खबरे आई थी समाजवादी पार्टी को नियंत्रित रखने के लिए BSP को इंडिया गठबंधन में लेने के प्रयास हो रहे हैं. लेकिन तब भी दोनो दलों की ओर से कोई खंडन नहीं आया. जब संसद में रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली पर आपत्तिजनक टिप्पणी की, तब यह बात सामने आई कि दानिश अली पर टिप्पणी BSP के कारण नहीं, बल्कि मुस्लिम होने के कारण हुई है. मायावती ने उतनी कठोर निंदा नहीं की, जितनी होनी चाहिए.

मायावती की पार्टी नेताओं के साथ 1 अक्टूबर के बैठक की तस्वीर.

(फोटो: मायावती/X)

दानिश अली अब BSP में असहज महसूस कर रहे हैं. BSP में अब फिलहाल दलित और पिछड़े को लेकर जो रणनीति बन रहीं है उसमे मुस्लिम को उतनी बड़ी भूमिका नहीं मिलेगी. जितनी किसी जमाने में हुआ करता था. कांग्रेस और BSP में जो पर्दे के पीछे बातें हो रही हैं, उसी में दानिश अपनी संभावना तलाश रहे हैं. कांग्रेस मुस्लिम समाज को अपने पाले में लाने के लिए दानिश के पक्ष में दिख रहे हैं. SP को मुस्लिम को उतनी महत्ता भी नहीं मिल रही है. इस कारण कांग्रेस अपनी संभावना देख रही है.
रतन मणि लाल, राजनीतिक विश्लेषक

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि जब से INDIA गठबंधन बना है तब से कांग्रेस विभिन्न वर्गों से मिल रही है. खासकर कांग्रेस नेता अपने खोए हुए वोटरों से मुलाकात कर रहे हैं, चाहे दलित हो या मुस्लिम. दानिश अली के साथ जो प्रकरण हुआ है, कांग्रेस को लगता है कि अगर वह दानिश के साथ खड़े रहते हैं तो मुस्लिम वर्ग में एक संदेश जाएगा कि कांग्रेस जो है मुस्लिम के हक के लिए लड़ती है, चाहे वह जिस दल में हो. आगे लोकसभा का चुनाव होना है.

दिल्ली के कीर्तिनगर स्थित फर्नीचर मार्केट में बढ़ई का काम करने वाले लोगों के साथ राहुल गांधी.

(फोटो: राहुल गांधी/X)

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डाक्टर सीपी राय का कहना दानिश अली के साथ जो हुआ वो पूरे हिंदुस्तान की बड़ी कौम के साथ भद्दी भाषा का इस्तेमाल हुआ है. हम दानिश के साथ खड़े होकर बताना चाहते हैं कि किसी एक ने आपके साथ भद्दे शब्दों का इस्तेमाल किया है. लेकिन पूरा देश आपके साथ है. गठबंधन और विधानसभा में टिकट वितरण का निर्णय केंद्रीय नेतृत्व को लेना है.

(इनपुट-IANS)

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