मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Politics Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019राजस्थान BJP में क्यों घमासान, वसुंधरा-पूनिया में कौन किस पर भारी?

राजस्थान BJP में क्यों घमासान, वसुंधरा-पूनिया में कौन किस पर भारी?

राजस्थान में वसुंधरा समर्थकों के बागी तेवर, एक्शन की तैयारी में पार्टी

मुकेश बौड़ाई
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p> बीजेपी में मचे घमासान के बीच क्यों आ रहा अशोक गहलोत का नाम?</p></div>
i

बीजेपी में मचे घमासान के बीच क्यों आ रहा अशोक गहलोत का नाम?

(फोटो- AlteredbyQuint)

advertisement

बीजेपी को कई राज्यों में पार्टी के अंदर से ही उठने वाली आवाजों का सामना करना पड़ रहा है. कहीं मुख्यमंत्री से पार्टी नेता नाराज हैं तो कहीं शक्ति प्रदर्शन हो रहे हैं. राजस्थान बीजेपी में भी पिछले कई महीनों से घमासान चल रहा है. यहां पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे के समर्थकों ने अब खुलकर बगावत शुरू कर दी है. वसुंधरा को लेकर लगातार शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है. जिससे राजस्थान की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज है.

राजस्थान में करीब डेढ़ साल बाद 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अभी से अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है. क्योंकि राजस्थान बीजेपी में लगातार अटकलें चल रही हैं कि इस बार वसुंधरा का पत्ता कट सकता है.

राजे समर्थकों ने कमर कसनी शुरू कर दी है, पार्टी को हर तरह से चेतावनी देने की कोशिश चल रही है कि अगर वसुंधरा को किनारे किया गया तो बड़ी बगावत छिड़ सकती है. यहां तक कि वसुंधरा राजे समर्थक ये ऐलान कर चुके हैं कि- "राजस्थान में राजे ही बीजेपी है और बीजेपी राजे है."

सतीश पूनिया की एंट्री के बाद विवाद

अब इस झगड़े की असली जड़ क्या है? आखिर वसुंधरा राजे जैसी कद्दावर नेता को पार्टी के सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन क्यों करना पड़ रहा है? इसकी सबसे बड़ी वजह आरएसएस के करीबी नेता सतीश पूनिया हैं. बीजेपी ने सतीश पूनिया को राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपा था, इसके बाद से ही राजस्थान बीजेपी में दो गुट बन गए. एक वसुंधरा राजे गुट और दूसरा पूनिया गुट... दोनों ही अपनी ताकत का खुलेआम प्रदर्शन कर रहे हैं.

वसुंधरा राजे के समर्थक नेताओं ने राजस्थान में राजे ही बीजेपी है और बीजेपी राजे है... जैसे बयान दिए तो तुरंत सतीश पूनिया गुट एक्टिव हुआ और इन नेताओं पर पार्टी के खिलाफ जाने का आरोप लगाया. पूनिया ने भी साफ किया कि पार्टी से बड़ा कोई नहीं है. बयानबाजी की धार तेज होती देख दिल्ली से नेताओं को राजस्थान जाना पड़ा और पार्टी में सुलग रही इस आग को शांत करने की कोशिश हुई.

हालांकि केंद्रीय नेतृत्व की आग बुझाने की कोशिश में उसे और भड़का दिया गया. प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह जयपुर पहुंचे और यहां उन्होंने वसुंधरा राजे के समर्थकों को जमकर फटकार लगा दी. उन्होंने साफ किया कि पार्टी नेता या तो अनुशासन का पालन करें, नहीं तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें. इतना ही नहीं वसुंधरा के खास और बीजेपी के सीनियर नेताओं में से एक रोहिताश शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया.

शर्मा ने खुलेआम पार्टी की आलोचना करते हुए कहा था कि बीजेपी कार्यकर्ता जमीन की बजाय दफ्तरों से काम कर रहे हैं. जिसके चलते पार्टी को उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा. शर्मा के अलावा भी वसुंधरा गुट के कई नेताओं को नोटिस थमाकर 15 दिन में जवाब देने को कहा गया.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पूनिया और राजे किसका पलड़ा भारी?

अब वसुंधरा राजे के समर्थकों के खिलाफ होने वाले इस एक्शन से एक बड़ा संकेत ये मिलता है कि, पार्टी नेतृत्व चुनाव नजदीक आने से पहले ही इस झगड़े को किसी भी तरह खत्म कर देना चाहती है. साथ ही इससे ये भी साफ हो गया है कि आरएसएस नेता सतीश पूनिया फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भारी पड़ रहे हैं.

अब अगर वसुंधरा समर्थकों पर पार्टी कोई बड़ी कार्रवाई करती है तो जाहिर है कि पलटवार भी होगा. जिसके लिए बीजेपी पहले से ही तैयार है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि पार्टी नेतृत्व की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है. हर समीकरण को परखा जा रहा है, पार्टी इसके लिए भी तैयार है कि अगर वसुंधरा बगावत करती हैं तो कैसे डैमेज कंट्रोल होगा.

गहलोत-वसुंधरा का समीकरण?

राजस्थान बीजेपी में मचे इस घमासान के तार कांग्रेस नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक जाते दिख रहे हैं. कई नेता बीजेपी की कलह को गहलोत-वसुंधरा गठबंधन की साजिश करार दे रहे हैं. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के नेता और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी ऐसा ही आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि, राजस्थान में गहलोत और वसुंधरा गठबंधन पर अब मुहर लग गई है. दोनों एक दूसरे को समर्थन करते नजर आ रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि फिलहाल बीजेपी में 1 दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है, जब वसुंधरा राजे और गहलोत के गठजोड़ की बातें सामने आई हों, पिछले साल जब कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत की थी और अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा में शरण ले ली थी, तब भी ऐसे ही कई आरोप लगाए गए थे. तब कहा गया था कि वसुंधरा राजे, सचिन पायलट और बीजेपी के बीच दीवार की तरह खड़ी हो गई थीं. बताया गया था कि उन्होंने पार्टी को चेतावनी दी थी कि अगर पायलट को राजस्थान बीजेपी में जगह दी गई तो उनकी बगावत का सामना करना पड़ेगा.

कई हफ्तों तक चले इस पॉलिटिकल ड्रामे के बाद आखिरकार सचिन पायलट को पार्टी में वापस जाना पड़ा. भले ही कुछ शर्तों के साथ उनकी वापसी की बात कही गई, लेकिन इस पूरी लड़ाई में दो लोगों की जीत मानी गई. पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे और दूसरी बीजेपी नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे... गहलोत अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे और वसुंधरा राजे पायलट के लिए बीजेपी में आने का रास्ता ब्लॉक करने में सफल रहीं.

तो कुल मिलाकर वसुंधरा राजे अब बीजेपी के लिए ऐसा कांटा बन चुकी हैं, जो लगातार चुभ तो रहा है, लेकिन उसे हटाने से पहले पार्टी को थोड़ा दर्द सहने की हिम्मत रखनी होगी. साथ ही आखिरी फैसले से पहले ये भी देखा जाएगा कि, वसुंधरा को किनारे करने में कितना फायदा और कितना नुकसान है. फिलहाल जो तस्वीर नजर आ रही है, उससे तो साफ है कि पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा और उनके समर्थकों के पर कतरने का फरमान दे दिया है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT