ADVERTISEMENTREMOVE AD

राजस्थान में फिर गहलोत Vs पायलट?जितिन एपिसोड के बाद सतर्क कांग्रेस

सचिन पायलट को 10 जून की शाम प्रियंका गांधी का कॉल आया था

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

जितिन प्रसाद द्वारा पाला बदलकर बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के लिए खतरे की घंटी बज गई है और उसके केंद्रीय नेतृत्व ने अति-सतर्कता बरतते हुए नाराज सचिन पायलट को वादों से अपने पाले में बनाए रखने की कवायद तेज कर दी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली पूर्व राजस्थान सरकार के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को गुरुवार, 10 जून की शाम प्रियंका गांधी का कॉल आया था जिन्होंने उनको भरोसा दिलाया कि पार्टी उनके शिकायतों को दूर करेगी. यह साफ संकेत देता है कि पार्टी पायलट को खोने के लिए तैयार नहीं है.

हालांकि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व नियमित रूप से पायलट से संपर्क में था लेकिन बीजेपी में जितिन प्रसाद के दलबदल की घटना ने पार्टी पर राजस्थान की समस्या का समाधान खोजने का दबाव डाला है.

'बीजेपी लिंक' से पायलट का इनकार

लगता है प्रियंका गांधी के कॉल ने अपना काम किया है, क्योंकि अगले ही दिन, 11 जून को पायलट ने कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित तेल के दामों में वृद्धि के खिलाफ सांकेतिक प्रदर्शन में भाग लिया. उससे पहले उन्होंने दौसा जिले के भड़ाना में अपने पिता को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी.

राजस्थान के स्थानीय मीडिया से बातचीत में पायलट ने बीजेपी नेताओं द्वारा संपर्क की खबरों को सिरे से नकार दिया. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी नेत्री रीता बहुगुणा जोशी पर भी कटाक्ष किया. रीता बहुगुणा जोशी कुछ साल पहले बीजेपी में दलबदल करने के पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा थी. पायलट ने कहा "उन्होंने सचिन तेंदुलकर से बात की होगी, मुझसे नहीं.उनमें मुझसे बात करने की हिम्मत नहीं है".

हाल ही में रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था कि उन्होंने पायलट से बात की है और उनको बीजेपी से जुड़ने का न्योता दिया है. पायलट ने स्पष्ट रूप से नकारते हुए कहा “मैंने बीजेपी में किसी से बात नहीं की है और मैंने रीता बहुगुणा जोशी से भी फोन पर कोई बात नहीं की है”.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

पायलट को मनाने के लिए प्रियंका गांधी के प्रयास

सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी ने पायलट को आश्वासन दिया है कि उनके समर्थकों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) में जगह दिया जाएगा और उनमें से कुछ को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में भी स्थान मिलेगा. राजस्थान में राजनैतिक और संगठनात्मक नियुक्तियां होनी हैं

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मिलाकर राजस्थान में कुल 30 मंत्री हो सकते है. वर्तमान में सीएम गहलोत ने 10 मंत्रालय का प्रभार अपने पास रखा है जिनमें महत्वपूर्ण-गृह और वित्त मंत्रालय भी शामिल है. कैबिनेट और राज्य मंत्रियों को मिलाकर सरकार में अभी कुल 21 मंत्री हैं यानी 9 और मंत्रियों की नियुक्ति की जा सकती है.

सूत्रों ने इस पत्रकार को बताया है कि प्रियंका गांधी ने पायलट को इस बात के लिए आश्वासन दिया कि 'अगले 1 या कुछ महीनों में रास्ता निकल आएगा'. नाम ना छापने की शर्त पर सीएम गहलोत के करीबी एक सूत्र ने बताया कि पार्टी संगठन में नियुक्तियों की प्रक्रिया के बारे में "सोच" रही है और मंत्रिमंडल के विस्तार तथा फेरबदल पर भी विचार कर रही है,जिसमें पायलट के समर्थकों को जगह दिया जा सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अतीत में पायलट के हाथ मायूसी क्यों लगी?

यहां पर यह याद दिलाना जरूरी है कि ऐसा ही आश्वासन पायलट को 10 महीने पहले जुलाई 2020 में भी मिला था जब उन्होंने अपने ही सरकार के खिलाफ बगावत करते हुए 19 समर्थक विधायकों को साथ लेकर बिना बताए जयपुर से आकर गुड़गांव,हरियाणा के पास के मानेसर के रिजॉर्ट में रुके हुए थे.तब पायलट और उनके समर्थकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यशैली के खिलाफ आवाज उठाई थी और समर्थक विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें नजरअंदाज और दरकिनार किया जा रहा है.

आखिरकार ऑल इंडिया कांग्रेस को उनकी शिकायत सुनने और उसका हल निकालने के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन करना पड़ा.हालांकि उसमें से एक-बड़े नेता और गांधी परिवार के करीबी अहमद पटेल का देहांत हो चुका है. कमेटी के अन्य सदस्य AICC जेनरल सेक्रेटरी केसी. वेणुगोपाल और अजय माकन है जो AICC के जेनरल सेक्रेटरी और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी भी हैं.

पायलट ने हाल ही में एक राष्ट्रीय दैनिक अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि 10 महीने गुजरने के बाद भी उन से किये गए वादों और आश्वासनों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है और उनके शिकायतों को भी दूर नहीं किया गया. इस खबर के तुरंत बाद गुरुवार, 10 जून को पायलट 6-8 विधायकों से मिले और अकेले में मीटिंग की.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पायलट खेमे की दबाव की रणनीति

बंद दरवाजे के पीछे हुई मीटिंग की मंत्रणा का अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों को लगता है कि यह पायलट खेमा द्वारा दबाव की रणनीति ज्यादा थी.राजनैतिक विश्लेषक बीके. झा ने कहा "मुझे लगता है कि यह केंद्रीय नेतृत्व पर पायलट को सुनने और उनके शिकायतों को दूर करने को बनाया गया दबाव था".

ऐसा लगता है कि पायलट की यह दबाव रणनीति और साथ ही जितिन प्रसाद का बीजेपी में दलबदल एक साथ मिलकर काम कर गया.सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ महीनों या शायद इसी महीने के अंत में राजस्थान के कैबिनेट में बदलाव देखने को मिल सकता है.

पायलट की टीम ने नवजोत सिंह सिद्धू से भी सीख ली होगी,जिन के दबाव में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को मतभेदों को सुलझाने के लिए दिल्ली तलब किया गया था. कांग्रेस के विधायक और पायलट खेमे के सदस्य वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि "पंजाब और राजस्थान के लिए अलग-अलग नियमों का होना सही नहीं है.जनता का आक्रोश अब खतरनाक स्तर पर है. मंत्रिमंडल विस्तार पर निर्णय लेने का समय आ गया है.AICC कमेटी को अब राजस्थान का मामला सुलझा लेना चाहिए."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आगे का रास्ता

सोलंकी राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा किए गए अब तक के नियुक्तियों के बड़े आलोचक रहे हैं. उनके अनुसार अभी तक RPSC और सूचना आयोग जैसी नियुक्तियों में किसी भी कांग्रेस कार्यकर्ता को स्थान नहीं दिया गया है.

सोलंकी ने आरोप लगाया है कि कई विधायकों के फोन टैप किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि विधायकों को 'फंसाने' की कोशिश हो रही है.

इसी बीच ऐसी अपुष्ट खबरें आ रही हैं कि कुछ विधायक जो पहले अशोक गहलोत से नाराज थें और पायलट खेमे का हिस्सा थें ,उन्हें अशोक गहलोत ने फिर से जीत लिया है.हालांकि इसे सत्यापित करना मुश्किल है. कुछ दिन पहले ही गहलोत के पक्ष में बोलने वाले भरतपुर के पूर्व राजा और विधायक विश्वेंद्र सिंह जैसे विधायक भी 10 जून को पायलट के साथ दिखे हैं.

AICC के जेनरल सेक्रेटरी और राजस्थान यूनिट के प्रभारी अजय माकन समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. अब तक वह इसमें सफल भी रहे हैं. वों विभिन्न प्लेटफार्मों पर पायलट और गहलोत को एक साथ लाने में सफल रहे हैं और यह धारणा बनाने में भी कि सब ठीक है,पार्टी राजस्थान में एकजुट है.

( लेखक जयपुर बेस्ड वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @anilsharma45. यह एक ओपिनियन पीस है .यहां लिखे विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट का उससे सहमयत होना जरूरी नहीं है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×