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5 लोकसभा सीट और 43% वोट,3 राज्यों की क्षेत्रीय पार्टी 2024 चुनाव में खेल करेगी?

Tripura Meghalaya Nagaland election: त्रिपुरा में बीजेपी खुश है लेकिन वोट शेयर 4% गिरा, नई खिलाड़ी TIPRA खेल करेगी?

आशुतोष कुमार सिंह
पॉलिटिक्स
Published:
<div class="paragraphs"><p>Decoding Tripura, Meghalaya, Nagaland election results</p></div>
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Decoding Tripura, Meghalaya, Nagaland election results

(Photo-Quint Hindi)

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जैसे-जैसे तमाम राज्यों के विधानसभा चुनाव गुजर रहे हैं, उनके नतीजों में 2024 के आम चुनावों के अनुमान खोजे जा रहे हैं. आम चुनाव बमुश्किल 13-14 महीने दूर है. पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों- त्रिपुरामेघालय और नागालैंड के नतीजों (Election Results 2023) पर तमाम पार्टियों के साथ-साथ राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें थीं. तीनों ही राज्य में बीजेपी सरकार बनाती दिख रही है, चाहे अकेले खुद के दम पर हो या गठबंधन में छोटी पार्टी के रूप में.

लोकसभा चुनावों में इन तीन राज्यों के संख्यात्मक महत्व के सवाल से परे, ये नतीजे अगले साल होने वाले संसदीय चुनावों से पहले के नैरेटिव को प्रभावित करेगा. हर जीत बीजेपी के लिए अपने पहले से चार्ज कैडर को और अधिक प्रेरित करने और विरोधियों को हतोत्साहित करने का एक अवसर है.

सवाल है कि तीन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों का प्रदर्शन 2024 के आम चुनावों के नतीजों को किस हद पर प्रभावित कर सकता है? एक-एक राज्य कर यह समझने की कोशिश करते हैं.

तीन राज्य और दांव पर होंगी 5 लोकसभा सीटें 

अगर लोकसभा सीटों की बात करें तो मेघालय में 2, नागालैंड में 1 और त्रिपुरा 2 लोकसभा सीटें हैं. यानी अगर यूपी, बिहार जैसे बड़े राज्यों से तुलना करें तो लोकसभा चुनावों के फाइनल नतीजों को प्रभावित करने के मोर्चे पर कोई भी नॉर्थ-ईस्ट राज्य कम प्रभावी नजर आता है. इसके बावजूद ये 5 सीटें देश की संसद में इन तीनों राज्यों के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करती हैं. यही कारण है कि ये भी उतनी ही अहम है जितनी किसी बड़े राज्य की लोकसभा सीटें.

अगर त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के विधानसभा चुनावों के नतीजों को देखें तो हम पाएंगे कि नागालैंड में क्षेत्रीय पार्टियों को कुल वोट का लगभग 58%, मेघालय में लगभग 54% और त्रिपुरा में 25% वोट शेयर मिला है. अगर गणित की सहायता लें और यह मान लें कि विधानसभा चुनावों में मिले सभी वोट लोकसभा चुनाव में जस के तस रहते हैं, तो इन पांचों लोकसभा सीटों पर लगभग 43% वोट क्षेत्रीय पार्टियों के पास होंगे.

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त्रिपुरा

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजों से बीजेपी खुश है. भगवा पार्टी ने 32 सीटों के साथ सत्ता में वापसी की है. यानी 60 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में पार्टी के पास अकेले के दम पर स्पष्ट बहुमत है. हालांकि जीते गए सीट से इतर जाकर अगर वोट परसेंट पर नजर डालें तो साफ दिखता है कि 2018 की तुलना में उसके वोट शेयर को बड़ा डेंट मिला है. बीजेपी का वोट प्रतिशत करीब 43% से घटकर 39% पर आ गया है.

बीजेपी ने पिछला चुनाव और इस बार चुनाव इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ गठबंधन में लड़ा था. पिछली बार इस गठबंधन ने 43 सीट पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार यह घटकर 33 (बीजेपी 32, IPFT 1) हो गया है.

त्रिपुरा के नतीजे बताते हैं कि  पहली बार चुनाव लड़ी टिपरा मोथा के उभार ने बीजेपी के वोट शेयर को स्पष्ट रूप से नुकसान पहुंचाया है. त्रिपुरा में टिपरा ने 13 सीटें जीती हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में टिपरा बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है. कांग्रेस यहां 2018 के 0 से बढ़कर अब 3 सीटों पर पहुंच गयी है.

अगर सीपीआई (एम) के प्रदर्शन को भी देखने तो उसे घाटा हुआ है. सीटों की संख्या 16 से घटकर 11 पर आ गई. वोट प्रतिशत 43% से घटकर 25% पर आ गया है. यानी लोक सभा चुनावों के पहले बीजेपी के सामने त्रिपुरा में जो सबसे बड़ा प्लेयर खड़ा हुआ है वो टिपरा मोथा है.

अगर इस बार के नतीजों से सबक लेकर 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस, टिपरा मोथा और लेफ्ट का गठबंधन होता है तो बड़ा उलटफेर हो सकता है. टिपरा पुराने कांग्रेसी प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी है और दोनों वैचारिक स्तर पर काफी दूर नहीं हैं. अगर लेफ्ट और कांग्रेस जनजातीय क्षेत्रों में टिपरा मोथा के नेतृत्व और गैर-आदिवासी क्षेत्रों में इसके ठीक उलट व्यवस्था को स्वीकार किया जाता है तो त्रिपुरा के समीकरण बदल सकते हैं.

नागालैंड

जैसा कि अपेक्षित था, एनडीपीपी-बीजेपी ने एक बार फिर बहुमत हासिल किया है और नई सरकार बनाने की राह पर है. 2018 में 12 सीट जीतने वाली बीजेपी को इसबार भी 12 सीटें मिली हैं जबकि NDPP की सीटें 17 से बढ़कर 25 हो गयी हैं. एनसीपी 7 विधायकों के साथ सूबे में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है. कांग्रेस पिछली बार भी शून्य थी और इस बार भी. यहां की क्षेत्रीय पार्टियों के प्रदर्शन का 2024 के आम चुनावों पर असर तौलने का तरीका थोड़ा अलग होगा.

दरअसल नागालैंड में विपक्ष नहीं के बराबर है. पिछले चुनाव में एनपीएफ 27 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. लेकिन NDPP और बीजेपी ने मिलकर सरकार बना ली. कुछ समय बाद ही एनपीएफ के ज्यादातर विधायक NDPP के साथ चले गए. कुल मिलाकर 55 से ज्यादा विधायक सत्ता पक्ष के हो गए. 

NDPP नेता नेफियू रियो रिकॉर्ड पांचवी बार सीएम बनने को तैयार हैं और उन्होंने फिर से साबित कर दिया है कि वह ऐसी धुरी हैं जिसके इर्द-गिर्द नागालैंड की राजनीति पिछले 20 वर्षों से घूमती रही है. जबतक बीजेपी उनके साथ गठबंधन में है, उसके लिए 2024 की लड़ाई आसान रहने वाली है.

मेघालय

मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के प्रमुख कोनराड संगमा ने बीजेपी के समर्थन से मेघालय में सत्ता का दावा पेश किया है. हालांकि चुनाव से पहले उनकी कोशिश थी कि उन्हें बीजेपी से समर्थन न लेना पड़े. हालांकि वे अकेले के दम पर बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाए हैं. एनपीपी को 26 सीट मिले हैं.

मेघालय में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC नई प्लेयर बनकर उभरी है. मेघालय में टीएमसी ने पहली बार चुनाव लड़ा और 5 सीटों पर जीत हासिल की. उधर कांग्रेस 21 सीटों से घटकर 5 पर आ गई. कांग्रेस को 13.14% और टीएमसी 13.78% वोट मिले हैं. यहां कुछ प्वॉइंट से ही सही टीएमसी आगे है.

विपक्षी एकता की राह में टीएमसी-कांग्रेस के बीच अदावत पहले ही एक रोड़ा थी, मेघालय के नतीजों के बाद ये रोड़ा और भारी होने का डर है. ममता बनर्जी ने साफ शब्दों में कहा है कि उनकी पार्टी 2024 का चुनाव अपने दम पर लड़ेगी. नतीजे सामने आने के बाद उन्होंने कहा, "2024 में हम तृणमूल और जनता के बीच गठबंधन देखेंगे. हम किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ नहीं जाएंगे. जनता के सहयोग से हम अकेले लड़ेंगे."

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