मेघालय (Meghalaya Election Result 2023) में पिछले चुनाव की तरह इस बार भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. बहुमत के लिए 31 सीटें जीतना जरूरी है. नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) 26 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी है. इसके अलावा पिछले चुनाव में एनपीपी को समर्थन देने वाली पार्टी युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP) को 11 सीटों पर जीत मिली है. TMC ने पहली बार सीटों का खाता खोला और 5 सीटें जीत ली. कांग्रेस (Congress) जो पिछली बार सबसे बड़ी पार्टी थी वो 5 सीटों पर सिमट गई है. वॉइस ऑफ द पीपुल्स पार्टी (VPP) को 4 सीटें, BJP को 2 सीटें मिली, फिर एचएसपीडीपी (HSPDP) ने 1 सीटों पर जीत दर्ज की है, 2 निर्दलीय उम्मीदवार भी जीते हैं.
पिछले चुनाव (2018) का क्या हाल था?
साल 2018 के चुनाव में भी इस बार की तरह किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. तब कांग्रेस 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. एनपीपी को 19 सीटें मिली थी, यूडीपी 6 सीटों पर जीतीं थीं, पीडीएफ 4 सीटे, बीजेपी 2, एचएसपीडीपी को 2 और अन्य को 6 सीटें मिली थी.
लेकिन एनपीपी को बीजेपी, यूडीपी, पीडीपी, एचएसपीडीपी और एक निर्दलीय का समर्थन मिला गया था और एनपीपी ने सरकार बनाई थी और सीएम बने थे कॉनराड संगमा. इस बार के चुनाव में अलग बात यह रही कि एनपीपी ने अकेले ही चुनाव लड़ा है.
किस पार्टी को कितना वोट मिला?
मेघालय में इस बार सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी NPP का वोट 12% बढ़ा है. पिछली बार इसे 20.8% वोट मिला था और इस बार 31.3% वोट मिला है.
वहीं कांग्रेस का 15% वोट घट गया है. कांग्रेस को पिछले चुनाव में 28% से ज्यादा वोट मिला था इस बार केवल 13.8% वोट मिला है.
टीएमसी जिसका कोई जनाधार नहीं था उसके खाते में 13.7% वोट गया है.
बीजेपी के खाते में 9.15% वोट गया, 2018 में इसका वोट पर्सेंट 9.7% था. यानी वोट के मामले में मामुली फायदा हुआ है.
यूडीपी के खाते में इस बार 16.3% वोट मिला है, 2018 में यूडीपी को 11.7% वोट मिला था.
वहीं अन्य के खाते में 9.92% वोट गया है.
कांग्रेस को झटका, टीएमसी ने लगाया ग्रहण?
2018 में जो सबसे बड़ी पार्टी थी वो अब 5 सीटों पर सिमट गई. यूडीपी जो काेंग्रेस से कई गुना पीछे थी वह 11 सीटें जीत गई है और टीएमसी ने अपना जनाधार कांग्रेस के बराबर लाकर खड़ा किया है. हिमाचल का उदाहरण छोड़ दें तो कांग्रेस को पिछले कई सालों से हर तरफ करारी हार का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन मेघालय में यह सबसे बड़ी पार्टी थी फिर इसका ऐसा हश्र क्यों हुआ?
इसका जवाब टीएमसी की जीती हुई 5 सीटों में मिल सकता है. नतीजों को देख लगता है कि ममता बनर्जी की पार्टी ने कांग्रेस का वोट काटा है, इसके अलावा कुछ वोट यूडीपी और एनपीपी के खाते में भी गया है.
कांग्रेस के वोट शेयर में बड़ा डेंट लगा है. 2018 में 28% से ज्यादा वोट शेयर रखने वाली पार्टी का वोट पर्सेंट घट कर अब 13.29% पर आ गया है. यानी मेघालय में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही हुआ है.
टीएमसी को कैसे मिला फायदा?
ममता बनर्जी की टीएमसी अब पश्चिम बंगाल को छोड़ कर अन्य राज्यों में पैर जमाने की कोशिश में है. पिछली बार गोवा में टीएमसी दमखम के साथ चुनावी मैदान में थी लेकिन 5% वोट से ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाई थी. अबकी बार टीएमसी ने मेघालय में जोर लगाया.
टीएमसी को कांग्रेस की वजह से बड़ा फायदा मिला है. दरअसल चुनाव से पहले साल 2021में ही कांग्रेस के 21 विधायकों में से 12 विधायक टीएमसी में शामिल हो गए थे. दलबदल करने वाले विधायकों में मेघालय का दिग्गज चेहरा और पूर्व सीएम मुकुल संगमा भी शामिल थे. साफ जाहिर है कि कांग्रेस का वोट ही टीएमसी की तरफ शिफ्ट हुआ है.
3 सीटों के साथ बीजेपी फायदे में?
सीटों के मामले में बीजेपी काफी पीछे है लेकिन पिछली बार दो सीटों पर जीतने वाली बीजेपी ने इस बार तीन सीटें निकाली हैं. वहीं वोट शेयर में ज्यादा फायदा नहीं मिला. पिछली बार की तुलना में बीजेपी का वोट शेयर मामुली बढ़त के साथ 9.15% पर पहुंचा है. इससे समझा जा सकता है कि बीजेपी को कुछ हासिल नहीं हुआ है, अगर वह एनपीपी के साथ गठबंधन में शामिल होती है तो इस बार भी उसे सत्ता में रहने का सुख मिलेगा. लेकिन जनाधार के मामले में बीजेपी का वोट फिक्स ही नजर आता है.
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