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रूस-यूक्रेन के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. इस युद्ध ने मौत और तबाही का मंजर देख लिया है, रूस और यूक्रेन की ओर से हजारों सैनिकों को मार गिराने के दावे हैं तो दूसरी ओर एक दूसरे की संपत्ति और हथियारों को नष्ट करने की बातें भी लगातार की जा रही हैं. वहीं इस युद्ध का असर केवल इन दोनों देशों तक सीमित नहीं है, पूरी दुनिया को इसका परिणाम महंगे दामों पर कच्चा तेल खरीदकर और बाजार की दुर्दशा से चुकाना पड़ रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध में अभी तक दोनों देशों को भारी नुकसान हुआ है, रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि रूस के सशस्त्र बलों ने यूक्रेन के 1600 से अधिक सैन्य ठिकाने तबाह कर दिए हैं, रूस के मिलिट्री हेलीकॉप्टर स्पेशल ऑपरेशन में लगे हैं और इसके आलावा दावा है कि यूक्रेनी सेना के 62 कमांड पोस्ट और संचार केंद्र, 39 एस-300, बुक एम-1 और ओसा वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली तथा 52 रडार स्टेशन रूस ने ध्वस्त कर दिए हैं.
रूसी सेना ने यूक्रेन के जैपोरिजिया न्यूक्लियर प्लांट को अपने कब्जे में ले लिया है. यह न्यूक्लियर पावर प्लांट देश की लगभग 25 से 30 फीसदी परमाणु ऊर्जा की आपूर्ति करता है.
युद्ध के माहौल में देश की आम जनता सुरक्षित पनाहगाह ढूंढती है और फिर पलायन के हालात बनते हैं. यूक्रेन में भी तेज़ी से पलायन हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि रूसी हमले के बाद से करीब 10 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर चले गए हैं। यूक्रेन में रूस के हमलों में अब तक 227 नागरिकों की मौत हो चुकी है जबकि 525 अन्य लोग घायल हैं।
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने एक इन्फोग्राफिक ट्वीट के जरिए 2 मार्च तक के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक रूस के करीब 5840 लोग मारे गए हैं. वहीं 30 एयरक्राफ्ट्स को भी रूस को गंवाना पड़ा है. यूक्रेन ने रूस को आक्रमणकारी बताते हुए कहा है कि जंग में रूस को 31 हैलीकॉप्टर का नुकसान हुआ है. 211 टैंक भी रूस को गंवाने पड़े हैं. इसके अलावा 60 ट्रेक, 3 यूएवी ड्रोन, 1 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम का भी रूस को नुकसान हुआ है.
यूक्रेन के मुताबिक 862 हथियारों से लैस वाहनों का भी लॉस रूस को झेलना पड़ा है. इसके अलावा 85 हथियार, 40 ग्रैड सिस्टम, 355 अन्य वाहनों की भेंट भी जंग में चढ़ी है. इसके अलावा यूक्रेन का दावा ये भी है कि रूस को 2 वॉरशिप का भी नुकसान हुआ है. इसके साथ ही 9 एंटी-एयरक्राफ्ट वॉरफेयर सिस्टम को भी यूक्रेन ने तबाह किया है. मगर रूस ने माना है कि युद्ध में उसने अब तक अपने 498 सैनिक खो दिए हैं. इसके अलावा 1,597 घायल हैं.
रूस-यूक्रेन में लड़ाई के चलते खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. भारत की बात करें तो बाजारों में खाद्य तेलों के दामों में भारी उछाल देखा जा रहा है. खासतौर पर रिफाइंड और सूरजमुखी तेल के दामों में बीते 15 दिन के भीतर ही करीब 30 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
15 दिन पहले रिफाइंड जहां 140 रुपए लीटर था वो अब बढ़कर 165 रुपए लीटर हो गया है. यहां ये जानना जरुरी है कि रूस और यूक्रेन सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक हैं. युद्ध के चलते सप्लाई चेन प्रभावित हुई है.
खाने पीने के सामानों के दाम बढ़ने के पीछे जानकार क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. दुनिया भर में क्रूड ऑयल के दामों में लगभग 30 फीसदी का उछाल देखने को मिल रहा है. यूक्रेन में जारी युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब पहुंच गई हैं. जो कि तेल कीमतों का 9 साल से भी अधिक वक्त का सबसे ऊंचा स्तर है.
रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते दुनियाभर के शेयर बाजारों में अस्थिरता का माहौल है. अगर भारत की बात की जाए तो 4 मार्च को प्री-ओपन सेशन में ही बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के सेंसेक्स (Sensex) में 700 अंक से ज्यादा की गिरावट देखी गई. तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी (Nifty) भी 100 अंक से ज्यादा की गिरावट लिए रहा. दोनो सूचकांक बंद भी लाल निशान पर बंद हुए. आने वाले समय में भी इस अस्थिरता के कयास लगाए जा रहे हैं
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