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रूस-यूक्रेन युद्ध: बड़ी टेक कंपनियां कैसे कर रही हैं इसका सामना?

Russia Ukraine war:जब सोशल मीडिया युद्ध का मैदान बन जाए तो टेक कंपनियां बस देखते रहने को जोखिम नहीं उठा सकतीं

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21वीं सदी में युद्ध का मतलब अब यह नहीं रह गया है कि किसके पास ज्यादा बम या हथियार हैं. यूक्रेन (Ukraine) का ही उदाहरण लें तो रूस (Russia) के साथ उसके टकराव के शुरू होते ही देश ने कई साइबर हमलों का सामना किया है और साथ ही उसके खिलाफ गलत सूचनाओं से भरे ऑनलाइन कैम्पेन भी चलाए गए.

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जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स युद्ध का मैदान बन जाते हैं तो बड़ी टेक कंपनियां इसे बस देखते रहने को जोखिम नहीं उठा सकतीं और न ही यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपियन यूनियन से कार्रवाई को लेकर आ रही डायरेक्ट कॉल्स को अनदेखा कर सकती है.

लेकिन ऐसी स्थिति में किसी की भी पक्ष के साथ जाने की कीमत भी चुकानी पड़ सकती है. खास करके तब जब इन कंपनियों के कई कर्मचारी रूस में हैं और उन्हें सरकारी दमन सहना पड़ सकता है.

यहां जानिए कि रूस-यूक्रेन संकट के बीच अलग अलग देशों ने इन बड़ी टेक कंपनियों से क्या करने के लिए कहा है, उन्होंने अब तक क्या किया है और इस पर रूस ने कैसे प्रतिक्रिया दी है.

'तुम्हारा शासक तुम्हें कहीं लेकर नहीं जा रहा'

बड़ी टेक कंपनियों की जिम्मेदारियों को लेकर जाहिर है कि हाल के घटनाक्रम का सामना कर रहा देश सबसे ज्यादा मुखर होगा.

यूक्रेन के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन मंत्री Mykhailo Fedorov ने Apple, Google, Netflix, YouTube और Meta को पत्र लिखा. Mykhailo Fedorov ने इन कंपनियों से रूस में सर्विसेज को बंद करने और प्रोपेगेंडा अकाउंट्स को ब्लॉक करने की बात कही.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, साल 2022 में आधुनिक तकनीक टैंकों, रॉकेट्स और मिसाइलों के खिलाफ सबसे अच्छा जवाब है. मैंने इसे लेकर बड़ी टेक कंपनियों से कहा है कि वो रूसी फेडरेशन के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन करें. हमने उनसे हमारे लोगों पर हो रही क्रूर आक्रामकता को रोकने के लिए मदद मांगी है.

Fedorov ने जोर देते हुए कहा कि उनका मकसद सूचना के सोर्स को ब्लॉक करना नहीं बल्कि रूस के बेहद एक्टिव और स्मार्ट युवाओं को ये बताना है कि तुम्हारा शासक तुम्हें कहीं लेकर नहीं जा रहा और तुम्हें तुरंत कुछ करना चाहिए.

यूरोपियन कमीशन ने क्रेमलिन की मीडिया मशीन को यूरोपियन यूनियन में प्रतिबंधित करने की योजना बनाई है. वहीं एस्टोनिया, लातविया, लिथुएनिया और पोलैंड ने मेटा, गूगल, यूट्यूब और ट्विटर को एक संयुक्त पत्र लिखकर इन प्लेटफॉर्म्स से कहा है कि वो एक निर्णायक स्टैंड लें.

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अमेरिका ने रूस के खिलाफ व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं. इसमें माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकम्यूनिकेशंस आइटम्स, सेंसर्स, नेविगेशन इक्विपमेंट, एविओनिक्स, मरीन इक्विपमेंट और एयरक्राफ्ट कॉम्पोनेंट्स के कारोबार पर प्रतिबंध शामिल है. ये वो चीजें हैं जो रूस खुद अपने दम पर आसानी से नहीं बना सकता.

चूंकि कई बड़ी टेक कंपनियों के मुख्यालय अमेरिका में हैं, उन पर एक तरह का घरेलू दबाव भी है. वर्जिनिया के सीनेटर मार्क वार्नर ने 25 फरवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पत्र भेजा और रूसी प्रोपेगेंडा से मुनाफा कमाने के लिए उनकी आलोचना की.

बड़ी टेक कंपनियों ने क्या किया

यहां जानिए कि कुछ बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों ने रूस के साइबर/सूचना हथकंडों से निपटने को लेकर क्या कदम उठाए हैं?

फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा ने शुरुआत में रूस के चार सरकारी मीडिया संस्थानों के कंटेट को फैक्ट चेक किया और उनके कंटेंट पर लेबल लगाया. इसके अलावा फेसबुक ने इन संस्थानों के एड भी ब्लॉक किए जिससे ये इस प्लेटफॉर्म पर पैसे कमा सकते.

रविवार को फेसबुक ने एक ऐसे नेटवर्क को भी हटाया जो यूक्रेन को गलत सूचना साझा कर टार्गेट कर रहा था. सोमवार को फेसबुक दबाव के सामने इतना झुक गया कि उसने पूरे यूरोपियन यूनियन में RT और स्पूतनिक के एक्सेस को प्रतिबंधित कर दिया.
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ट्विटर ने कहा है कि वह लेबल एड कर रहा है और ऐसे ट्वीट्स की विजिबिलिटी को कम कर रहा है जिसमें रूसी सरकारी मीडिया वेबसाइट्स जैसे RT और Sputnik से जुड़ा कंटेट हो. ट्विटर ने रूस और यूक्रेन में अस्थायी तौर पर अपने एडवर्टाइजिंग और रिकमेंडेशन फीचर्स को भी बंद कर दिया है.

रॉयटर्स के मुताबिक, गूगल ने रूस के सरकारी मीडिया चैनल्स को उनकी वेबसाइट, ऐप और यूट्यूब वीडियोज से एड रेवेन्यू कमाने से प्रतिबंधित कर दिया है. यूक्रेन में गूगल मैप का लाइव ट्रैफिक फीचर भी डिसेबल कर दिया गया है क्योंकि, इसका इस्तेमाल नागरिकों की गतिविधि को ट्रैक करने के लिए किया जा सकता था.

Alphabet के सीइओ Sundar Pichai और यूट्यूब के सीइओ Susan Wojcicki इस संकट पर चर्चा करने के लिए यूरोपियन यूनियन के अधिकारियों से मिले हैं.

टेलीग्राम जो यूक्रेन और रूस में काफी पॉपुलर है, गलत सूचनाओं को फैलाने का हब बना हुआ है. ठीक वैसे ही जैसा भारत में वाट्सऐप के साथ है.

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Signal के संस्थापक Moxie Marlinspike ने इनक्रिप्शन को लेकर एप की कमियों पर चिंता जाहिर की है. वहीं रूस में टेलीग्राम के संस्थापक Pavel Durov ने इस एप के यूजर्स से गुजारिश की है कि वो सभी सूचनाओं को वेरिफाई जरूर करें. उन्होंने रविवार को ये भी कहा कि अगर यूक्रेन में तनाव बढ़ता है तो कुछ चैनलों के संचालन को आंशिक तौर पर या पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.

Apple ने रूस में सभी प्रोडक्ट्स की बिक्री को रोक दिया है. Apple Pay और दूसरी सर्विसेज जैसे Apple Maps भी यहां प्रतिबंधित हैं. Apple ने कई अखबारों से कहा है कि वह यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर चिंतित है और उन लोगों के साथ है जो इस हिंसा की पीड़ा झेल रहे हैं.

माइक्रोसॉफ्ट ने रविवार को वह यूक्रेन के साथ साइबर अटैक्स को डिटेक्ट करने को लेकर काम कर रहा है. माइक्रोसॉफ्ट स्टार्ट प्लेटफॉर्म रूस की सरकारी मीडिया द्वारा प्रायोजित किसी भी कंटेंट को नहीं दिखाएगा.

वो RT न्यूज एप्स को अपने ऐप स्टोर से हटा रहा है और Bing पर इन साइट्स की डी-रैंकिंग भी कर रहा है. इसके साथ माइक्रोसॉफ्ट अपने पूरे एड नेटवर्क से RT और Sputnik के सभी विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित कर रहा है.
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Elon Musk की स्टालिंक ने यूक्रेन के रिक्वेस्ट का जवाब सकारात्मकता से दिया और उसे अपने satellite समूह से इंटरनेट सर्विसेज उपलब्ध करा दी. एलन मस्क ने ट्विटर पर लिखा, स्टारलिंक की सेवाएं अब यूक्रेन में एक्टिव हैं और जल्द ही एडिशनल टर्मिनल पहुंचेंगे.

रूस का बदला

रूस के मीडिया रेगुलेटर Roskomnadzor ने शुक्रवार को कहा, वह आंशिक तौर पर फेसबुक को प्रतिबंधित करेगा क्योंकि फेसबुक ने रूस की स्टेट मीडिया की लेबलिंग और फैक्ट चेकिंग बंद करने से इनकार कर दिया था. मेटा के निक क्लेग ने इसकी पुष्टि की है.

रेगुलेटर ने फेसबुक पर रूसी नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता के उल्लंघन करने का आरोप लगाया और स्पष्टीकरण मांगा.

शनिवार को रूस ने देश में ट्विटर को ब्लॉक कर दिया. इंटरनेट मॉनिटरिंग ग्रुप नेट ब्लॉक्स के डेटा फॉरेंसिक्स के मुताबिक, ट्विटर ने कहा कि उसे ये बात की जानकारी थी कि रूस में कुछ लोगों के लिए ये प्लेटफॉर्म प्रतिबंधित है और वो इसे सुरक्षित और एक्सेसिबल रखने के लिए काम कर रहा है.

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रूस और पश्चिम की तरफ से बढ़ते दबाव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को मुश्किल में डाल दिया है क्योंकि उनके ज्यादातर कर्मचारी रूस में हैं. उन्हें मानवीय पर आधारित फैसले को अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के खिलाफ कार्रवाई और सेंसरशिप के आरोपों से तौलना है. कथित तौर पर रूस ने पहले भी कर्मचारियों को धमकी देने जैसी बात का सहारा लिया था.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2021 में एप्पल और गूगल ने एक ऐप को रिमूव किया था. इस ऐप को लेकर कहा गया था कि इसके जरिए चुनाव में प्रोटेस्ट वोटिंग चलाई गई. इसके बाद रूसी अधिकारियों ने स्थानीय कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के धमकी दी थी.

एक सूत्र ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि अधिकारियों ने चुन चुनकर उन लोगों के नाम बताए जिन पर कार्रवाई की जाती.

एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर भी चिंता जता रहे हैं कि अगर बड़ी टेक कंपनियां रूसी केंद्रों और अकाउंट्स पर बहुत ज्यादा सख्ती दिखाती हैं तो इसे लेकर जवाबी हमला भी हो सकता है.

Omelas के संस्थापक Ben Dubow ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा, सरकार का हस्तक्षेप रूस को ये बोलने का मौका दे देगा कि पश्चिम विरोध करने वाले विचारों को लेकर उदार नहीं है जितने कि वो. ये उन्हें बीबीसी और दूसरे आउटलेट्स के खिलाफ जाने का ग्रीन सिग्नल दे देगा.

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