advertisement
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जांजगीर चांपा में 65 फीट गहरे बोरवेल में फंसे राहुल (Rahul) का रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) सफल रहा. करीब 104 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद राहुल को सकुशल बाहर निकाला गया. फिलहाल राहुल (Rahul) की हालत स्थिर है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने राहुल के बाहर निकल आने पर खुशी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि माना कि चुनौती बड़ी थी लेकिन हमारी रेस्क्यू टीम ने शानदार काम कर दिखाया.
10 जून को जांजगीर-चापा के मालखरौदा ब्लॉक के पिहरीद गांव में 11 साल का राहुल साहू अपने घर के पास 65 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. इस घटना की सूचना के बाद जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में मौके पर तैनात हो गई. इसके साथ ही रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ओडिशा और भिलाई से NDRF की टीम पहुंची थी. सेना के कर्नल चिन्मय पारीक अपने टीम के साथ इस मिशन में जुटे थे.
10 जून:
जांजगीर चांपा के पिहरिद गांव का राहुल साहू 2 बजे के आस पास बोरवेल में गिर जाता है.
मूक बाधिर राहुल के परिवार वालों को जैसे ही जानकारी मिलती है, परिवार में हड़कंप मच जाता है.
शाम 4-5 बजे तक जिला प्रशासन को जानकारी मिलती है. राहुल को त्वरित निकालने की कोशिश चालू होती है.
सबसे पहले बच्चे तक ऑक्सीजन पहुंचाया जाता है. साथ ही एक छोटा कैमरा भी बोरवेल में डाला डाला जाता है ताकि राहुल के हालात पर नजर रखी जा सके.
जिला प्रशासन दूसरी तरफ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ से संपर्क बनाकर उनकी मदद लेती है. रात में ही एनडीआरएफ ओडिशा की टीम जांजगीर पहुंचती है.
10 जून की रात में ही राहुल को मैनुअल क्रेन के माध्यम से रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई. राहुल द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं देने पर बोरवेल के बगल से खुदाई करने का निर्णय लिया गया.
वहीं दूसरी ओर राहुल को केला और पानी लगातार खाने के लिए दिया जाता रहा और कैमरे से निगरानी की जाती रही.
खुदाई के दौरान चट्टानों ,पत्थरों की वजह से सावधानी बरती जा रही थी.
पैरलल गड्ढा खोदने में और फिर उस गड्ढे से राहुल तक सुरंग बनाने में चट्टानों ने बड़ी बाधा पैदा की थी.
100 घंटों से भी ज्यादा समय तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना के जवान, पूरा जिला प्रशासन सहित तत्पर रहा.
14 जून:
राहुल को 14 जून को रात बोरवेल से निकालने में सफलता मिली.
राहुल को वहां से सीधा बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाया गया.
आज सुबह राहुल को हल्का बुखार था.
65 फीट गहरे बोरवेल में फंसे राहुल को जिंदा रखना एक बड़ी चुनौती थी. समय रहते सबसे पहले राहुल तक ऑक्सीजन पहुंचाई गई. इसके साथ ही उसपर नजर रखने के लिए कैमरे लगाए गए. इन विषम परिस्थितियों में बच्चा डरे नहीं इसलिए उसके लगातार मनोबल बढ़ाया जा रहा था. बच्चे के परिजन लगातार उसके संपर्क में थे. इसके साथ ही समय-समय पर उसे भोजन भी दिया जा रहा था. खाने में जूस, केला और अन्य सामग्रियां मुहैया करवाई जा रही थी.
राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बड़े-बड़े चट्टान बाधा बनकर रोड़ा अटकाते रहे. जिसकी वजह से रेस्क्यू टीम को बार-बार अपना प्लान बदलना पड़ा. 65 फीट नीचे गहराई में जाकर होरिजेंटल सुरंग तैयार करने और राहुल तक पहुंचने में सिर्फ चट्टानों की वजह से ही 4 दिन लग गए. रेस्क्यू टीम को भारी गर्मी और उमस के बीच कठिन परिस्थितियों में टार्च की रोशनी में भी काम करना पड़ा.
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक चौंका देने वाली घटना भी घटी. बोरवेल में अचानक एक सांप आ गया था. जिसेस वहां मौजूद लोगों में हड़कंप मच गया. लेकिन वो कहते हैं ना 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय'. राहुल के सिर से ये संकट भी दूर हो गया.
राहुल के रेस्क्यू ऑपरेशन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी नजर बनाए हुए थे. सीएम लगातार अधिकारियों से अपडेट रहे थे. उन्होंने वीडियो कॉल कर राहुल के पिता और माता से भी बात की थी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल के बाहर निकल आने पर खुशी व्यक्त की है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि माना कि चुनौती बड़ी थी लेकिन हमारी रेस्क्यू टीम ने शानदार काम कर दिखाया.
जिला प्रशासन, SDRF, NDRF और सेना ने इस ऑपरेशन को बिना रुके और बिना थके अंजाम दिया. राहुल के सलामती के लिए जहां दिन- रात दुआओं का दौर चलता रहा. वहीं घटनास्थल पर इस ऑपरेशन के पूरा होने तक कर्नल चिन्मय पारीक अपनी टीम के साथ डटे रहे. वहीं रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होने तक कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला, पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल सहित तमाम अफसर भी मौजूद रहे.
इनपुट- विष्णुकांत तिवारी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)