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हम एक ऐसे युग में रह रहे हैं जहां गलत और भ्रामक जानकारी और सूचनाओं को लोगों के सामने परोसा जा रहा है. इस नए डिजिटल युग में तथ्यों के बजाय भ्रामक दावों की मदद से लोगों तक गलत जानकारी पहुंचा के राजनैतिक और दूसरे तरह के फायदे उठाने की कोशिश की जा रही है. भारत में चुनाव जैसे बड़े आयोजनों में तो भ्रामक दावों और गलत सूचनाओं के जरिये नैरेटिव और एजेंडा सेट किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल में होने वाले आगामी 2021 के चुनावों में भी ऐसा होते देखा जा सकता है.
हमने अपनी छान-बीन में देखा कि कैसे पश्चिम बंगाल में बीजेपी की सोशल मीडिया मशीनरी काम कर रही है और कैसे टूलकिट तैयार करने से लेकर अच्छी तरह से तैयार की गई रणनीति पर काम कर रही है. कैसे इसकी मदद से वायरल नैरेटिव सेट किए जा रहे हैं. ये रिपोर्टर इस बात का सबूत देते हैं कि कैसे फेक न्यूज और भ्रामक जानकारी को इस माध्यम से फैलाया जा रहा है.
उन्होंने राज्य में दिसंबर और फरवरी के बीच हुई रैलियों और दिए गए भाषणों के पहले के ट्रेंडिंग हैशटैग का अध्ययन किया. इससे उन्हें एक ट्रेंड दिखा जिसके हिसाब से बीजेपी गलत सूचना फैला रही थी.
पश्चिम बंगाल सरकार पर जिन अहम मुद्दों को लेकर बीजेपी हमला कर रही है, उनमें से एक मुद्दा है राज्य में नौकरी के अवसरों की कमी. बीजेपी ने कई बार इस मुद्दे को लेकर TMC की आलोचना की है कि स्थानीय लोग नौकरियों की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं.
सबसे पहले हमने #PishiMuktoBanglaChai हैशटैग को देखा. हमने Getdaytrends टूल (ट्विटर ट्रेंड की स्टडी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला टूल) पर इसका विश्लेषण किया और पाया कि 5 जनवरी को इस हैशटैग का इस्तेमाल करके करीब 380.5 हजार ट्वीट किए गए थे.
हमने डिजिटल इनवेस्टिगेटर Benjamin Strick के मेथड का इस्तेमाल करके जांच की. हमें Google Drive का एक लिंक मिला जिसमें यूजर्स के लिए ट्वीट करने के कुछ टेक्स्ट के पैकेट थे.
इनमें से एक टेक्स्ट पैकेट में राज्य में बेरोजगारी को लेकर था. इसमें लिखा था:
इस टेक्स्ट को कॉपी करके ट्विटर पर पेस्ट करने पर हमें कई यूजर्स के ट्वीट मिले जिन्होंने इस टेक्स्ट का इस्तेमाल करके ममता बैनर्जी के खिलाफ तब ट्वीट किया था जब ये हैशटैग ट्रेंडिंग था.
हमने इससे मिलता-जुलता 11 फरवरी का एक और ट्रेंड देखा, जब अमित शाह कूच बिहार से 'परिवर्तन यात्रा' को हरी झंडी दिखाने के लिए पश्चिम बंगाल में थे.
राज्य में रोजगार के हालातों को लेकर फिर से नैरेटिव सेट करने की कोशिश की गई थी. हमने देखा कि #PoribortonInBengal (बंगाल में परिवर्तन) ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा.
Getdaytrends के मुताबिक करीब 44.1 हजार ट्वीट में इस हैशटैग का इस्तेमाल किया गया था. हमने इस ट्रेंड की स्टडी की और पाया कि बिल्कुल ऊपर बताए गए तरीके से ही कॉपी-पेस्ट किया गया था.
इस बार नीचे दिख रहा टेक्स्ट इस्तेमाल किया गया था:
(बंगाल में अब संस्कृति या रोजगार नहीं बचा है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल की इस हालत के खिलाफ खड़े होने आ रहे हैं. वो 11 फरवरी को परिवर्तन यात्रा का शुरूआत करेंगे.)
ऊपर बताए गए टेक्स्ट के साथ सिर्फ #PoribortoninBengal का ही इस्तेमाल नहीं किया गया था, बल्कि अलग-अलग जगहों पर #PoribortonYatra हैशटैग का भी इस्तेमाल किया गया था.
हालांकि, इन दावों को लेकर पुख्ता सबूत नहीं हैं.
सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के 2020 के डाटा के मुताबिक, बंगाल में बेरोजगारी दर घटी है. दिसंबर 2019 में जहां ये दर 6.2 प्रतिशत थी वहीं दिसंबर 2020 में ये दर घटकर 6 प्रतिशत हो गई है.
दिसंबर 2020 के दौरान बंगाल में बेरोजगारी दर 6 प्रतिशत थी जो पूरे देश की बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत से कम थी.
इस बीच, उत्तर प्रदेश जहां बेरोजगारी दर अपने चरम पर है वहां दिसंबर 2019 में 9.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.9 प्रतिशत हो गई. इसी दौरान असम में बेरोजगारी दर 0.9 प्रतिशत से बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गई.
ये आरोप झूठे होने के बावजूद, इसे डॉक्युमेंटेड किया गया और संबंधित ट्रेंडिंग हैशटैग के साथ ट्विटर पर कॉपी-पेस्ट किया गया, ताकि नैरेटिव सेट किया जा सके. खासकर तब जब बीजेपी खुद इस बात पर जोर दे रही है कि बंगाल में नौकरियां नहीं हैं.
इन अकाउंट में से दो अकाउंट की पड़ताल करने पर हमने पाया कि इन अकाउंट से कुछ इस तरह के धोखाधड़ी वाले ट्वीट शेयर किये गए थे जैसे कि Strick ने अपनी स्टडी में क्या पाया. इन ट्वीट में दिखाया गया था कि बॉट कैसे काम करते हैं. जब हमने ध्यान से देखा तो पाया इन अकाउंट में कुछ चीजें एक जैसी ही हैं. जैसे कि एक खास समय सबसे ज्यादा ट्वीट किए जाते हैं, बीजेपी समर्थित कंटेंट को ज्यादा रिट्वीट और लाइक किया जाता है और ट्विटर के डिस्क्रिप्शन या यूजरनेम पर बीजेपी या भारतीय जनता पार्टी लिखा होता है.
जब इन अकाउंट से ट्वीट किया गया, तो मुख्य रूप से कॉपी-पेस्ट किए गए उन टेक्स्ट पैकेट का इस्तेमाल किया गया जो उन्हें 'टूलकिट' के जरिए मुहैया कराया गया था.
TMC के 10 साल के रिपोर्ट कार्ड के आने के तुरंत बाद दिसंबर में बीजेपी की ओर से एक और #TMCFailCard हैशटैग को ट्रेंड कराया गया. इस टूलकिट में भी गूगल ड्राइव का एक लिंक शामिल था.
ये हैशटैग 14 दिसंबर को 1,28,000 ट्वीट के साथ ट्रेंडिंग में था, इसी दौरान कई यूजर्स ने बंगाली में एक ग्राफिक के साथ टेक्स्ट पैकेट ट्वीट किया. इस टेक्स्ट में ये दावा किया गया था कि 2018 की NCRB रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा रेप की घटनाएं हुईं.
इस ट्वीट और ग्राफिक को कई अकाउंट से शेयर किया गया था. यहां भी वही कॉपी-पेस्ट कैंपेन चलाया गया था. इसमें बीजेपी के पश्चिम बंगाल आईटी सेल के सदस्य भी शामिल थे.
हालांकि, 2018 की NCRB रिपोर्ट के मुताबिक ये दावा फिर से झूठा निकला. रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा रेप की घटनाएं हुई थी. इसके अलावा यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. ये संख्या 59,445 थी.
पड़ताल के दौरान क्विंट ने गूगल ड्राइव को ऐक्सेस करने की कोशिश की लेकिन नहीं कर पाया क्योंकि इसे डिलीट किया जा चुका था. टेक्स्ट पैकेट और बंगाल बीजेपी के लोगो वाले ग्राफिक उन ग्राफिक से काफी मेल खाते थे जिन्हें इस तरह के अन्य हैशटैग कैंपेन के लिए बनाया गया था.
पिछली घटनाओं से मिली लर्निंग के हिसाब से, टेक्स्ट पैकेट और ग्राफिक उस डिलीट की जा चुकी गूगल ड्राइव फाइल में शामिल थे जिन्हें यूजर्स ने ट्विटर पर शेयर किया था. हालांकि, हमें इसका कोई सबूत नहीं मिला.
पश्चिम बंगाल बीजेपी के ट्विटर हैंडल से भी गलत जानकारी फैलाई गई थी. BJP4Bengal हैंडल से ट्वीट किए गए संबंधित ट्वीट को यूजर्स ने कॉपी-पेस्ट करके शेयर किया.
हालांकि, ये ध्यान देना जरूरी है कि हम ऐसे मामलों में इस्तेमाल किए जाने वाले गूगल डॉक्युमेंट्स का पता नहीं लगा सके. जितने भी डॉक्युमेंट की हमने अभी तक जांच की है वे सभी आयोजित की गई बड़ी रैली के पहले बनाए गए थे. नीचे बताई गई फेक न्यूज की घटनाएं रैली के दौरान की हैं.
हुगली में 22 फरवरी को आयोजित एक रैली के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का घर, वंदे मातरम भवन बुरी अवस्था में है. उन्होंने TMC पर आरोप लगाया कि उसने इस हेरिटेज बिल्डिंग की उपेक्षा की है और वोट बैंक की राजनीति कर रही है.
इस बात को #ModirSatheBangla हैशटैग के साथ ट्वीट किया गया जो उस दिन सबसे ज्यादा ट्रेंडिंग हैशटैग में से एक था. इस हैशटैग पर करीब 5 लाख ट्वीट किए गए थे. इसी टेक्स्ट को वीडियो के साथ कुछ यूजर्स ने मूल रूप से ट्वीट किया था. इन यूजर्स में कुछ वेरिफाइड अकाउंट भी थे, जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ला और आदेश गुप्ता.
हालांकि, न्यूज वेबसाइट 'द वायर' ने ग्राउंड में जाकर इसकी पड़ताल की और पाया कि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है.
रिपोर्ट में लिखा गया है कि ''वास्तव में बिल्डिंग अच्छी अवस्था में है. इस पर सफेद रंग का पेंट किया गया है. लेखक की प्रतिमा सामने लगी है. यहां तक कि इस घर के पास मौजूद नदी के किनारे को भी सजाया गया है.''
हालांकि, ये दोनों टेक्स्ट पैकेट बाकी कॉपी-पेस्ट कैंपेन की तरह ज्यादा वायरल नहीं हुए थे. इन्हें कुछ बार ही कॉपी-पेस्ट किया गया था. जैसा कि हमने पहले भी देखा है कि इनमें से कुछ ट्वीट को काफी लाइक और रिट्वीट किया गया था.
नेताजी की जयंती समारोह के तुरंत बाद भ्रामक जानकारी का दूसरा मामला भी सामने आया. ममता बैनर्जी के इस समारोह में मंच में बोलते समय 'जय श्री राम' के नारे लगाए गए थे और उन्होंने बोलने से मना कर दिया था. इस समारोह में पीएम मोदी भी मौजूद थे.
दूसरे ही दिन पश्चिम बंगाल बीजेपी के ट्विर अकाउंट से वीडियो साझा किया गया जिसमें वो इस्लामिक प्रार्थना करती हुई नजर आ रही थीं. उन पर तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप लगाए गए.
इस टेक्स्ट पैकेट को बीजेपी के अकाउंट से बिना हैशटैग के ट्वीट किया गया था, लेकिन कई यूजर्स ने इस टेक्स्ट को कॉपी-पेस्ट करके #MamataBanerjeekoJaiShriRam हैशटैग के साथ ट्वीट किया.
BJP4Bengal अकाउंट से शेयर किए गए इस ट्वीट को 2000 से भी ज्यादा बार रिट्वीट किया गया, लेकिन कॉपी-पेस्ट टेक्स्ट को ज्यादा ट्वीट-रिट्वीट नहीं किया गया.
क्विंट की वेबकूफ टीम ने इस गलत दावे की पड़ताल की और पाया कि वीडियो में एक क्लिप का इस्तेमाल किया गया था. जबकि पूरा वीडियो देखने पर पता चला कि ममता बैनर्जी सिर्फ इस्लामिक प्रार्थना ही नहीं कर रही थीं, बल्कि उन्होंने दूसरे धर्मों की प्रार्थनाएं की. इसके अलावा ये वीडियो 2018 का था. जिसे हाल का बताकर शेयर किया जा रहा था.
हमने कई ऐसे पैटर्न देखे जिनमें देखा जा सकता है कि भ्रामक और गलत जानकारी के साथ-साथ गलत नैरेटिव फैलाने के लिए कुछ खास ट्रेंडिंग हैशटैग का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे ज्यादातर मामलों में ट्रेंडिंग हैशटैग का इस्तेमाल करके गलत सूचना फैलाई गई थी.
ये ट्रेंड ट्विटर की हेरफेर और स्पैम नीति के उल्लंघन करते हुए दिखते हैं.
ऊपर बताए गए निष्कर्षों के बारे में प्रतिक्रिया के लिए क्विंट ने बीजेपी के आईटी सेल से संपर्क करने की कोशिश की. प्रतिक्रिया मिलते ही स्टोरी अपडेट कर दी जाएगी.
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