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बांद्रा में मजदूरों के आने को धार्मिक रंग देने की कोशिश और सच

सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की

हिमांशी दहिया & अंकिता सिन्‍हा
वेबकूफ
Published:
सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की
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सोशल मीडिया पर लोगों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की
(फोटो: श्रुति माथुर/क्विंट हिंदी)

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14 अप्रैल को, जब लॉकडाउन का दूसरा फेज लागू हुआ, तो शाम में मुंबई के बांद्रा ट्रेन स्टेशन पर करीब 1,500 प्रवासी मजदूर इस लॉकडाउन उल्लंघन करते हुए जमा हो गए.

इसके बाद, सोशल मीडिया पर इसे सांप्रदायिक रंग देते हुए कई अनवेरीफाइड तस्वीरें, वीडियो और दावे किए जाने लगे. इस दावे के समर्थन में, फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री, शेफाली वैद्य ने एक मुस्लिम शख्स का वीडियो शेयर किया, जो भीड़ को संबोधित करता दिख रहा है. वीडियो को शेयर करते वक्त कई यूजर्स ने लिखा कि ये 'धार्मिक आयोजन' लग रहा है.

(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)
(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)
(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)
(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

लेकिन ऑडियो को सुनने के बाद, ये कहा जा सकता है कि शख्स लोगों से वहां से हटने के लिए कह रहा है. पुलिस अभी तक इस शख्स की पहचान नहीं कर पाई है.

वीडियो में शख्स कहता सुनाई देता है, “हमें मालूम है कि हम सभी परेशान हैं. लेकिन हमें ये भी मालूम है कि अल्लाह हमारी परीक्षा ले रहा है और हमें इससे पार निकलना है. हम जानते हैं कि आपका परिवार यहां नहीं है, लेकिन ये कुछ समय की बात और हालात ठीक हो जाएंगे. पूरी दुनिया इसका सामना कर रही है. हमें मस्जिद और चर्च बंद करने पडे़.”

द क्विंट से बात करते हुए, मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी प्रणय अशोक ने बताया कि ये प्रवासी मजदूर थे, जो अपने घर जाना चाहते थे. उन्होंने ये भी कहा कि क्योंकि उनके पास सामान नहीं था, तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो ट्रेन पकड़ने के इरादे से नहीं आए थे.

घटना की जानकारी देते हुए मुंबई पुलिस ने साफ किया है कि इसमें सांप्रदायिक कुछ नहीं है.

डीसीपी ने कहा, “14 अप्रैल 2020 को, करीब 1,500 लोग बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर जमा हुए. उनमें से अधिकतर मजदूर थे, जो घर जाना चाहते थे. पुलिस ने उनसे बात कर उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन कुछ आक्रामक हो गए.”

दूसरा सवाल जो उठ रहा है, वो ये है कि इतनी संख्या में मजदूर मस्जिद के बाहर क्यों इकट्ठा हुए? इस पर नजर डालते हैं.

क्या बांद्रा में जामा मस्जिद के बाहर जमा हुए मजदूर?

ट्विटर पर वीडियो को ध्यान से देखने के बाद, हमने देखा कि वीडियो में दिखाई दे रही मस्जिद बांद्रा वेस्ट की ‘सुन्नी जामा मस्जिद’ है.

(फोटो: स्क्रीनशॉट/गूगल मैप्स)

जब हमने मस्जिद और बांद्रा स्टेशन के बीच की दूरी चेक की, तो पाया कि ये एक मिनट के पैदल सफर से भी कम है.

(फोटो: स्क्रीनशॉट/गूगल मैप्स)

इस दूरी को देखते हुए, भीड़ का रेलवे टर्मिनस से पास की मस्जिद तक पहुंचना असंभव नहीं है. लेकिन अगला सवाल है: 1,500 लोग टर्मिनस पर आए क्यों? उन्हें क्यों ऐसा लगा कि वो अब घर जा सकते हैं?

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मीडिया द्वारा अफवाह और गलत सूचना का परिणाम?

मुंबई पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या ABP माझा (ABP न्यूज का क्षेत्रीय चैनल) की रिपोर्ट से ये गलतफहमी पैदा हुई. रिपोर्ट में दावा किया गया कि मुंबई में फंसे प्रवासी मजदूरों को दूसरे राज्यों में वापस घर ले जाने के लिए स्पेशल ट्रेनें शुरू होंगी.

मुंबई पुलिस ने ABP माझा के मराठवाड़ा रीजन के ब्यूरो चीफ राहुल कुलकर्णी पर ट्रेन चालू होने की खबर ऑन-एयर करने को लेकर एफआईआर दर्ज की है. कुलकर्णी को ओस्मानाबाद से गिरफ्तार कर बयान दर्ज करने के लिए मुंबई लाया गया.

विनय दुबे नाम के एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है. दुब ने कथित तौर पर शहर में रेलवे स्टेशनों के बाहर जमा होने के लिए प्रवासी मजदूरों को उकसाने वाला एक फेसबुक पोस्ट किया था. मुंबई पुलिस के सूत्रों का कहना है कि दुबे का मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

(फोटो: स्क्रीनशॉट/फेसबुक)

दुबे को गिरफ्तार कर लिया गया है और 21 अप्रैल तक पुलिस कस्टडी में है.

इसके अलावा, साउथ सेंट्रल रेलवे ने भी इस मामले में सफाई जारी की है. अपनी सफाई में रेलवे ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए कोई स्पेशल ट्रेने नहीं चलाई गई हैं और इंटरनल प्लानिंग को लेकर कम्युनिकेशन का गलत मतलब निकाला गया.

1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी आईपीसी की धारा 143, 147, 149, 186, 188 और एपिडेमिक्स एक्ट की धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

टीवी चैनल, पत्रकारों ने अफवाह में दिया साथ

फैक्ट्स की जांच किए बिना, कई पत्रकारों और टीवी चैनल्स ने बांद्रा की जामा मस्जिद के बाहर इकट्ठा हुई इस भीड़ पर सवाल उठाया. इंडिया टीवी के रजत शर्मा ने भी मस्जिद के बाहर लोगों के जमा होने को लेकर ट्वीट किया.

(फोटो: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

न्यूज नेशन और टीवी9 भारतवर्ष ने भी इसी तरह की बात उठाते हुए एक समुदाय पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश की.

(फोटो: स्क्रीनशॉट/यूट्यूब)
(फोटो: स्क्रीनशॉट/यूट्यूब)

जहां पुलिस अभी भी इस घटना की जांच कर रही है, ये साफ है कि एक घटना जो प्रवासी मजदूरों के बीच गलत जानकारी के कारण पैदा हुई, उसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है.

(जबसे ये महामारी फैली है, इंटरनेट पर बहुत सी झूठी बातें तैर रही हैं. क्विंट लगातार ऐसी झूठ और भ्रामक बातों की सच उजागर कर रहा है. आप यहां हमारे फैक्ट चेक स्टोरीज पढ़ सकते हैं.)

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