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कश्मीर से आ रही आम लोगों के साथ बर्बरता की खबरों के बीच कई फोटो वायरल होने लगीं हैं. दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीरें कश्मीर (Kashmir) की हालिया स्थिति दिखाती हैं. किसी तस्वीर को कश्मीर में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचार का बताकर शेयर किया जा रहा है तो कोई तस्वीर मुस्लिमों पर हुए अत्याचार के दावे से वायरल है.
वेबकूफ की पड़ताल में सामने आया है कि इनमें से कुछ तस्वीरें तो कश्मीर की हैं ही नहीं, वहीं जो कश्मीर की हैं वो पुरानी हैं. इनका हालिया घटनाओं से कोई संबंध नहीं है.
तस्वीरें सोशल मीडिया पर अलग-अलग कैप्शन के साथ वायरल हैं. लेकिन, ये दावा कॉमन है कि तस्वीर कश्मीर में हाल में हुई हिंसा की हैं. सभी को #SAVE_KASHMIR के साथ शेयर कर किया जा रहा है.
तीन तस्वीरों के कोलाज को बिना किसी कैप्शन के Help Kashmir हैशटैग के साथ शेयर किया जा रहा है.
इस फोटो को भी Help Kashmir हैशटैग के साथ शेयर किया जा रहा है. कैप्शन में ये बताने की कोशिश की जा रही है कि मुस्लिम होने की वजह से इन्हें मार दिया गया है.
ये फोटो कई लोगों ने फेसबुक और ट्विटर पर कश्मीर के नाम से शेयर की हैं.
सबसे पहले हमने पहली फोटो को रिवर्स इमेज सर्च किया. हमें 24 फरवरी 2020 का एक फेसबुक पोस्ट मिला जिसमें यही फोटो इस्तेमाल की गई थी. कैप्शन के मुताबिक, ये फोटो महाराष्ट्र के औरंगाबाद में CAA-NRC के विरोध की है.
हमें 24 फरवरी 2020 का ही एक और फेसबुक पोस्ट मिला जिसमें यही तस्वीर इस्तेमाल की गई थी.
'औरंगाबाद में कफन ओढ़कर सीएए एनआरसी का विरोध' कीवर्ड इस्तेमाल कर सर्च करने पर हमें JJP News नाम की एक वेबसाइट मिली, जिसमें इसी फोटो का इस्तेमाल किया गया था.
आर्टिकल के मुताबिक, वहां प्रदर्शनकारियों ने प्रतीकात्मक प्रदर्शन करते हुए कफन ओढ़कर CAA-NRC का विरोध किया था.
मतलब साफ है कि ये फोटो करीब डेढ़ साल पुरानी है. इसका कश्मीर की हालिया घटना से कोई संबंध नहीं है.
कश्मीर के हालात की बताकर शेयर की जा रही इस तस्वीर पर Getty Images का लोगो लगा हुआ है. यही फोटो हमें Getty Images की वेबसाइट पर मिली. ये फोटो 20 मई 2014 को अपलोड की गई थी.
गेटी इमेजेस की वेबसाइट पर फोटो के कैप्शन में लिखा है, "काजीपोरा चदूरा जिले में सेना के एक जवान मुश्ताक अहमद मीर के अंतिम संस्कार के जुलूस के दौरान रोती हुई एक कश्मीरी गांव की लड़की." कैप्शन के मुताबिक, मुश्ताक एक मुठभेड़ में शहीद हो गए और तीन अन्य घायल हुए थे. सूत्रों के मुताबिक, आतंकी मौके से भागने में सफल रहे थे.
कश्मीर की बताई जा रही रोते हुए छोटे बच्चे की फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें पता चला कि ये फोटो 2020 में हुए दिल्ली दंगों की है. हमें 5 मार्च 2020 की Reuters की एक पिक्चर गैलरी मिली, जिसकी हेडलाइन थी "Uneasy calm in Delhi as riots subside".
तस्वीर के कैप्शन के मुताबिक, ये फोटो अदनान आबिदी ने 27 फरवरी 2020 को खींची थी. कैप्शन में आगे बताया गया था कि नए नागरिकता कानून के विरोध में और इसके पक्ष में रहने वाले लोगों के बीच हुए संघर्ष में मुदस्सिर खान जख्मी हो गए थे. और फोटो में दिख रहे लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं.
मतलब साफ है कि इस फोटो का भी कश्मीर से कोई संबंध नहीं है.
फोटो को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ये फोटो nbc News वेबसाइट पर मिली. इसे एक गैलरी आर्टिकल में इस्तेमाल किया गया था. आर्टिकल के मुताबिक, कश्मीर के पलहालन में 16 साल के फिरोज अहमद के शव पर रोता हुआ एक लड़का दिख रहा है. घटना की तारीख 6 सितंबर 2010 बताते हुए आगे लिखा गया है कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष में फिरोज सहित 3 अन्य लोग मारे गए थे.
इस घटना से जुड़ी और भी फोटो Alamy पर देखी जा सकती हैं.
कश्मीर की हालिया घटना की बताई जा रही ये फोटो रॉयटर्स के पुलित्जर प्राइज विनर फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी ने खींची थी. इस फोटो को कई मीडिया आउटलेट्स ने इस्तेमाल किया था. The Wire की रिपोर्ट के मुताबिक, ये फोटो दिल्ली दंगों के दौरान की है, जिसे 24 फरवरी 2020 को दानिश सिद्दीकी ने खींचा था.
तस्वीर में भीड़ की हिंसा का शिकार हुए शख्स से क्विंट ने बात भी की थी, जो आप यहां देख सकते हैं.
मतलब साफ है कि Help Kashmir और Save Kashmir हैशटैग के साथ शेयर हो रही ये तस्वीरें कश्मीर में हालिया हालातों की बताकर शेयर की जा रही हैं, जबकि इनमें से कुछ तस्वीरें वहां की हैं ही नहीं. इसके अलावा, जो तस्वीरें कश्मीर की हैं, वो हाल की नहीं हैं.
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