advertisement
भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) को ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया है. सुनक ने पेनी मोरडॉन्ट (Penny Mordaunt) को मात देते हुए ये जीत हासिल की है. सुनक के साथ 150 से ज्यादा सांसद पहले से ही थे और बाद में उन्हें 180 से ज्यादा सांसदों का समर्थन मिला, जबकि पेनी मोरडॉन्ट काफी पीछे रह गई थीं, जिसके बाद उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. ऋषि सुनक को कई पूर्व मंत्रियों का भी समर्थन मिला. पूर्व मंत्री प्रीति पटेल, जेम्स क्लेवरली और नादिम जहावी ने भी ऋषि सुनक को सपोर्ट किया.
ब्रिटेन मंदी और बढ़ती ब्याज दरों का बुरी तरह से सामना कर रहा है. बैंक ऑफ इंग्लैंड मंहगाई पर काबू पाने की कोशिश कर रहा है, जबकि उपभोक्ताओं को बढ़ती लागत और गिरती आय का सामना करना पड़ रहा है.
बजट को संतुलित करने के लिए पीएम सुनक को खर्च में कटौती करनी पड़ सकती है, इसके अलावा टैक्स बढ़ोतरी पर भी नजर रखनी होगी.
हाल के दिनों में यूके की अर्थव्यवस्था के सामने प्रमुख चुनौती व्यापार की शर्तें हैं. उम्मीद की जा रही है कि इन प्रभावों का आने वाले दिनों में घरेलू और कॉर्पोरेट दोनों क्षेत्रों में मांग पर भारी असर पड़ेगा. कमजोर लोगों के लिए यह भारी पड़ सकता है.
आने वाले दिनों में बेरोजगारी बढ़ने की उम्मीद है.
मंहगाई में और बढ़ोतरी हो सकती है और 2023 तक उच्च स्तर पर रहने की उम्मीद है.
पिछले दिनों अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए ऋषि सुनक ने अपने बयान में कहा था कि देश को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा.
उन्होंने ट्रस के टैक्स-कटौती के एजेंडे की आलोचना करते हुए कहा कि मंहगाई को नियंत्रित करने के बाद ही वह टैक्स में कटौती करेंगे. उन्होंने 2029 तक आयकर को 20% से घटाकर 16% करने की योजना पर बात की थी.
सुनक ने बैंक ऑफ इंग्लैंड की स्वतंत्रता का समर्थन किया है और मुद्रास्फीति को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक के साथ मिलकर काम करने वाली सरकारी नीति के महत्व पर जोर दिया है.
ऋषि सुनक की पहली चुनौतियों में से एक यह है कि उन्हें दिखाना होगा कि वह कंजर्वेटिव पार्टी को नियंत्रित कर सकते हैं, जिसके पास संसद में एक बड़ा बहुमत है लेकिन पार्टी ऐसे गुटों में बंटी हुई है, जो ब्रेग्जिट के अलावा कई मुद्दों पर अलग-अलग विचार रखतें हैं.
पार्टी में कुछ लोगों द्वारा हाई टैक्स का कड़ा विरोध किया जाएगा. इसके अलावा यह भी आशंका जताई जा रही है कि कई लोग स्वास्थ्य और रक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों के खर्च में कटौती का विरोध करेंगे.
ऋषि सुनक के सामने पार्टी को एकजुट करने की चुनौती है, जिस पार्टी ने आंतरिक मतभेद की वजह से दो नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया और यूरोपीय संघ के मुद्दे पर लंबी बहस भी चली है.
ऋषि सुनक ने ब्रेग्जिट का समर्थन किया था, लेकिन अभी भी पार्टी के कुछ लोगों द्वारा यूरोपीय संघ के प्रति सहानुभूति देखी जा सकती है.
उत्तरी आयरलैंड के साथ व्यापार के प्रमुख मुद्दे पर अभी भी ब्रुसेल्स के साथ बातचीत चल रही है. सुनक को इस मुद्दे पर दबाव का सामना करना पड़ सकता है.
रविवार, 23 अक्बूटर को सुनक के अभियान लॉन्च में कहा गया कि वो हमारी अर्थव्यवस्था को ठीक करना, हमारी पार्टी को एकजुट करना और हमारे देश के लिए काम करना चाहते हैं.
उत्तरी आयरलैंड पर सुनक ने पहले कहा था कि वह यूरोपीय संघ के साथ बातचीत करने की कोशिश करते हुए ब्रेग्जिट सौदे को डिजाइन किए गए कानून के साथ आगे बढ़ेंगे.
ऋषि सुनक ने अगस्त में ब्रेग्जिट को सुरक्षित रखने का वादा किया और यूरोपीय संघ के नियमों की समीक्षा करने के लिए एक नई सरकारी यूनिट बनाई, जो अभी भी ब्रिटिश कानून में लागू होती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)