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रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का 'दिमाग' कहे जाने वाले अलेक्जेंडर डुगिन (Alexander Dugin) की बेटी डारिया डुगिना (Darya Dugina) की शनिवार, 20 अगस्त को एक कार धमाके में मौत हो गई. जिसके बाद से रूस भड़का हुआ है. रूसी खुफिया एजेंसी ने इस हमले के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं रूस ने भी कार ब्लास्ट की जांच शुरू कर दी है.
चलिए आपको बताते हैं कि डारिया डुगिना कौन हैं? जिनकी मौत से रूस में कोहराम मचा है. इसके साथ ही आपको बताएंगे अलेक्जेंडर डुगिन को पुतिन का चाणक्य क्यों कहा जाता है?
पेश से पत्रकार डारिया डुगिना रूस के राष्ट्रवादी विचारक अलेक्जेंडर डुगिन की बेटी थी. अपने पिता की तरह ही डुगिना भी राष्ट्रवादी विचार प्रकट किया करती थीं और राष्ट्रवादी टीवी चैनल 'जारग्रेड' पर एक टिप्पणीकार के तौर पर नजर आई थीं. उन्होंने 'द जेड बुक' नाम की एक किताब भी लिखी थी.
अलेक्जेंडर डुगिन अपनी बेटी के साथ शनिवार को एक समारोह में गए थे. कहा जा रहा है कि अलेक्जेंडर को टार्गेट करते हुए कार के नीचे विस्फोटक लगाया गया था, लेकिन अंत समय में उन्होंने कार बदल दी. जैसे ही उनकी बेटी ने कार स्टार्ट की तुरंत धमाका हो गया और वह अंदर ही जल गईं. इस हत्या ने रूस में कई लोगों को झकझोर कर रख दिया है.
डारिया डुगिना की मौत से रूस भड़का हुआ है. रूस के सरकारी मीडिया ने कार ब्लास्ट को आतंकी हमला बताया है. तो वहीं रूस की शीर्ष खुफिया एजेंसी ने यूक्रेन की गुप्तचर एजेंसियों पर रूसी राष्ट्रवादी विचारक की बेटी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है. इस हमले के बाद से पुतिन के समर्थन वाली मीडिया ने यूक्रेन और पश्चिमी देशों पर न्यूक्लियर स्ट्राइक तक की मांग कर दी है.
हालांकि यूक्रेन पहले ही हत्या में किसी भी तरह की भूमिका से इनकार कर चुका है.
इस हमले को लेकर कई तरह की कॉन्सपिरेसी थ्योरी चल रही है. एक तरफ यूक्रेन को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है तो दूसरी तरफ रूसी सिक्योरिटी सर्विस के अंदर मौजूद लोग और पुतिन के विरोधियों पर भी संदेह जताया जा रहा है.
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक सिक्योरिटी एजेंट्स पुतिन को सत्ता से बेदखल करना चाहते हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि जासूसी एजेंसी के लोगों ने ही डुगिन की कार में बम लगाया हो.
वैसे तो अलेक्जेंडर डुगिन का आधिकारिक रूप से रूसी सरकार से कोई नाता नहीं हैं. लेकिन डुगिन पुतिन के बेहद करीबी माने जाते हैं और उन्हें 'चाणक्य' कहा जाता है. साल 2000 में पुतिन के राष्ट्रपति बनने के बाद वह पुतिन के करीब आए. उन्होंने रूस में दक्षिणपंथी विचारधार को बढ़ावा दिया.
रूस ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद 2015 में अमेरिका ने अलेक्जेंडर पर प्रतिबंध लगा दिए थे, क्योंकि कहा जाता है कि रूस के हर कदम के पीछे उनका हाथ होता है.
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