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पाकिस्तान (Pakistan) में राजनीतिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद इमरान खान (Imran Khan) लगातार मौजूदा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी बीच इमरान खान ने अपनी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के कार्यकर्ताओं के साथ इस्लामाबाद में दाखिल हो चुके हैं. लेकिन इमरान खान की एंट्री से पहले ही राजधानी में हिंसा की आग भड़क गई.
PTI कार्यकर्ताओं ने शहर में तोड़फोड़ और आगजनी की. पुलिस के साथ झड़प के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इस्लामाबाद में चाइना चौक मेट्रो स्टेशन में आग लगा दी. इससे पहले एक ग्रुप ने बुरहान इंटरचेंज के पास आगजनी की घटना का अंजाम दिया था.
बता दें कि इमरान खान ने दोबारा चुनाव कराने और खुद को सत्ता से बाहर किए जाने के खिलाफ आजादी मार्च शुरू किया है.
इमरान खान के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पाकिस्तान कई इलाकों में इंटरनेट बाधित होने की सूचना मिली है. आइए आपको बताते हैं अबतक पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल में क्या-क्या हुआ है.
पीटीआई अध्यक्ष और पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने बुधवार को कसम ली कि वह और उनके समर्थक इस्लामाबाद में डी-चौक को तब तक खाली नहीं करेंगे, जब तक कि आयातित सरकार नए चुनाव की अंतिम तारीख नहीं दी जाती.
दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान की सरकार गिर गई थी. इमरान खान (Imran Khan) को सत्ता से बेदखल करने के बाद शहबाज शरीफ के नेतृत्व में कम से कम 9 राजनीतिक दलों की गठबंधन सरकार बनी थी.
हालांकि शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सामने बड़ी आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियां हैं.
उधर इमरान खान के 'आजादी मार्च' को रोकने के लिए पुलिस ने 100 से ज्यादा PTI कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. पीटीआई के अधिकतर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को लाहौर से गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारी से बचने के लिए पार्टी के कई प्रांतीय नेता भूमिगत हो गए हैं.
इमरान खान जब सत्ता में थे तब वो अविश्वास प्रस्ताव के लाए जाने के पीछे अमेरिकी को जिम्मेदार ठहरा रहे थे, लेकिन सत्ता से हटाए जाने के बाद अब पाकिस्तान आर्मी को घेर रहे हैं. इमरान खान अपनी रैलियों में आर्मी चीफ को भी निशाने पर ले रहे हैं और सत्ता छिन जाने के पीछे आर्मी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
बता दें कि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई वोटिंग में इमरान खान को हार का सामना करना पड़ा था. 342 सदस्यीय सदन में विपक्ष को 174 सदस्यों का समर्थन मिला यानी कि जरूरी 172 से दो ज्यादा. जिसके बाद इमरान सत्ता से बेदखल कर दिए गए थे.
हालांकि ये सब इतना आसान नहीं था. इस मामले पर पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा था.
इमरान खान ने पूरी कोशिश की थी कि अविश्वास प्रस्ताव संसद में न आने पाए. अविश्वास प्रस्ताव सदन में रोकने के लिए इमरान खान ने नैशनल असेंबली को भंग तक करने की सलाह दी थी. इमरान के बैठाए गए प्रेसिडेंट ने उनकी सलाह मिलने के चंद मिनटों के अंदर ही असेंबली भंग करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था.
जब अगाल ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए आदेश दिया और सरकार गिर गई तब हाल यह हुआ कि नए पीएम को शपथ दिलाने से प्रेसिडेंट ने मना कर दिया था.
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