advertisement
यूक्रेन (Ukraine) पर रूसी (Russia) हमले के लिए बेलारूस को लॉन्चपैड के रूप में इस्तेमाल किया गया है जो पिछले सप्ताह 24 फरवरी को शुरू हुआ था. बेलारूस जिसका नेतृत्व यूरोप के अंतिम तानाशाह अलेक्जेंडर लुकाशेंको कर रहे हैं.
रूस के टैंक्स को दक्षिण-पश्चिमी बेलारूस (Belarus) से यूक्रेनी क्षेत्र में आगे बढ़ते देखा गया है. अब रूस द्वारा किए गए हमले के बाद मास्को और कीव के बीच पहली वार्ता बेलारूस में हुई और दूसरी 2 मार्च को होनी है.
माना जाता है कि रूसी सेना द्वारा शेरनोबिल पॉवर प्लांट के अधिग्रहण में भी बेलारूस की भूमिका थी, क्योंकि ये उसकी दक्षिणी सीमा से लगभग 10 मील दूर स्थित है.
इसके अतिरिक्त, दोनों देशों ने अपना हालिया सैन्य अभ्यास 10 फरवरी को यूक्रेन के साथ बेलारूस की दक्षिणी सीमा के पास आयोजित किया. काला सागर में नौसेना अभ्यास भी आयोजित किया गया था.
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने पहले ही बेलारूस पर प्रतिबंध लगाए हैं. क्योंकि उस पर यूक्रेन में हमला करने के लिए रूस की मदद करने का आरोप है.
रूस और बेलारूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास मूल रूप से 20 फरवरी तक समाप्त होने वाला था. उस दिन यानी आक्रमण से चार दिन पहले रूस ने कहा था कि पूर्वी यूक्रेन में स्थिति के बिगड़ने के मद्देमजर लगभग 30,000 रूसी सैनिकों ने बेलारूस में अपने प्रवास को बढ़ा दिया है.
अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और नेटो ने चेतावनी दी थी कि रूस यूक्रेन को घेरने के लिए बेलारूस का उपयोग कर रहा है और वे उस पर आक्रमण करने के लिए तैयार हैं.
दरअसल, बेलारूस ने 27 फरवरी को एक जनमत संग्रह आयोजित किया, जिसमें एक नए संविधान को मंजूरी दी गई, जो अन्य बातों के अलावा, देश की गैर-परमाणु स्थिति को पीछे छोड़ देगा. केंद्रीय चुनाव आयोग ने कहा कि 65 प्रतिशत ने संशोधनों के पक्ष में मतदान किया था.
रॉयटर्स के अनुसार, जनमत संग्रह के दिन लुकाशेंको ने यूरोपीय देशों को संबोधित करते हुए कहा, "यदि आप (पश्चिमी देश) परमाणु हथियारों को पोलैंड या लिथुआनिया को हमारी सीमाओं पर स्थानांतरित करते हैं, तो मैं पुतिन की ओर मुड़कर उन परमाणु हथियारों को वापस कर दूंगा.
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि लुकाशेंको युद्ध में एक अनिच्छुक भागीदार है क्योंकि यूक्रेन और बेलारूस के बीच भी बड़े स्तर पर व्यापार होता है.
ब्रेमेन विश्वविद्यालय में बेलारूस-एनालिसन चलाने वाले ओल्गा ड्रिंडोवा का तर्क है कि लुकाशेंको पुतिन की वजह से सत्ता में बने रहने में सक्षम हैं.
बेलारूस में 2020 के सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पुतिन ने लुकाशेंको को सुरक्षा बलों और मीडिया प्रचार के साथ सहायता की थी जिसने उन्हें उस संकट से उबरने में मदद की थी.
लुकाशेंको को यूक्रेन पर रूसी हमले से कुछ हासिल नहीं हुआ. लेकिन जैसा कि ड्रिंडोवा कहते हैं, उनके पास क्रेमलिन के सैन्य और भू-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पुतिन को अपने क्षेत्र का उपयोग करने देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है.
वास्तव में बेलारूसी राष्ट्रपति आर्थिक रूप से पीछे हैं, क्योंकि उनके देश के रक्षा क्षेत्र, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली व्यक्तियों को पहले ही अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंधों के लिए टारगेट किया जा चुका है.
पश्चिमी देशों द्वारा अधिक प्रतिबंधों की धमकी दी गई है.
सोवियत संघ के टूटने के बाद बेलारूस ही एकमात्र ऐसा पूर्व सोवियत गणराज्य बन गया जिसने रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे.
बेलारूस प्राकृतिक गैस के लिए रूस पर निर्भर करता है. बेलारूस के निर्यात का 40 प्रतिशत से अधिक रूस में होता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग $30 बिलियन था.
रॉयटर्स के साथ एक इंटरव्यू के दौरान लुकाशेंको ने खुद को "यूरोप का अंतिम तानाशाह" कहा था. दरअसल 1994 से बेलारूस पर शासन करने वाले इस तानाशाह का आलोचकों, असंतुष्टों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नकेल कसने का इतिहास रहा है, जिससे बेलारूस और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों में तेज गिरावट आई है.
हालांकि, लुकाशेंको ने सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया. जब वहां बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए तो उन्होंने अपने हेलिकॉप्टर से जमीन पर हो रहे लोकतंत्र समर्थक विरोधों का सर्वेक्षण किया और प्रदर्शनकारियों पर क्रूर हमला शुरू किया.
पद छोड़ने से इनकार करने के बाद और अपने ही लोगों के खिलाफ बल का प्रयोग करने पर यूरोपीय संघ ने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंधों की घोषणा की और उन्हें लागू किया कि यह चुनाव धोखाधड़ी और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए दोषी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)