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Diabetes Tests: डायबिटिक मरीजों के लिए जरूरी ये 9 हेल्थ चेकअप
Diabetes Risks: डायबिटीज अंधापन, किडनी फेलियर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी समस्याओं का प्रमुख कारण होता है.
अश्लेषा ठाकुर
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Diabetes Precautions: डायबिटीज दूसरी कई बीमारियों का कारण बनता है.
(फोटो:iStock)
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Regular Essential Tests For Diabetic Person:डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है, जो या तो तब होती है, जब पैंक्रियाज पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या जब शरीर अपने से बनाए गए इंसुलिन का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता है. इंसुलिन एक हार्मोन है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है.
डायबिटीज अंधापन, किडनी फेलियर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और लोअर लिंब एम्पुटेशन का एक प्रमुख कारण बनता है.
इसलिए डायबिटीज के मरीजों को लंबे समय तक अपनी सेहत दुरुस्त बनाए रखने के लिए समय-समय पर कुछ चेकअप कराना जरूरी होता है. डॉक्टर अक्सर डायबिटिक लोगों के लिए कुछ रेगुलर जांच की सिफारिश करते हैं ताकि उनकी अच्छी सेहत बनी रहे और किसी भी तरह की परेशानी सामने आने पर उसका इलाज जल्द से जल्द किया जाए.
फास्टिंग और पोस्ट प्रैंडियल ब्लड शुगर टेस्ट: ब्लड शुगर लेवल को हेल्दी रेंज में रहना जरूरी है क्योंकि अगर ग्लूकोज का लेवल बहुत कम हो, तो हम सामान्य रूप से सोचने और कार्य करने की क्षमता खो सकते हैं. अगर ये बहुत अधिक हो जाता है और हाई रहता है, तो समय के साथ शरीर को नुकसान कर सकता है. डायबिटिक मरीज को खाने के पहले और खाने के बाद का ब्लड शुगर टेस्ट कराते रहना चाहिए.
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HbA1c टेस्ट: इस टेस्ट में पिछले 8 से 12 हफ्तों का औसत ब्लड शुगर जांचा जाता है. डॉक्टर हर 3 से 6 महीने में ये टेस्ट कराने की सिफारिश करते हैं.
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किडनी की जांच: समय के साथ डायबिटीज के मरीज में बढ़े हुए ब्लड शुगर से किडनी को नुकसान हो सकता है. किडनी की जांच के लिए यूरिन टेस्ट और ब्लड टेस्ट कराए जा सकते हैं.
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आंखों की जांच: डायबिटीज से ग्रस्त इंसान में अगर ब्लड शुगर लेवल लंबे समय तक बढ़ा रहे, तो यह आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है. हाई ब्लड शुगर रेटिना की छोटी ब्लड वेसल्स को प्रभावित करता है, इससे आंख के पिछले हिस्से को नुकसान होने का खतरा होता है, जिसे डायबिटिक रेटिनोपैथी भी कहा जाता है. साल में 1-2 बार अपनी आंखों की जांच जरूर कराएं.
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लिपिड प्रोफाइल टेस्ट: साल में एक बार ब्लड लिपिड वैल्यू, कोलेस्ट्रॉल (LDL और HDL) और ट्राइग्लिसराइड्स का टेस्ट कराना चाहिए. टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में ये अक्सर कंट्रोल से बाहर होते हैं. बहुत अधिक LDL या पर्याप्त HDL नहीं होने से हार्ट और ब्रेन के ब्लड वेसल्स के बंद होने का खतरा बढ़ जाता है.
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हार्ट चेकअप: डायबिटिक लोगों को अपने कार्डियोलॉजिस्ट की सलाह पर जरूरत के मुताबिक समय-समय पर कार्डियक स्क्रीनिंग करानी चाहिए. डायबिटीज होने के कारण मरीज में दिल से जुड़ी समस्या होने या बढ़ने का खतरा बना रहता है.
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पैरों की जांच: हाई ब्लड शुगर के कारण खराब सर्कुलेशन और नर्व डैमेज होने से पैरों में सुन्नता हो सकती है. इसके कारण इलाज या जख्म भरने की गति भी धीमी पड़ सकती है, जिससे पैरों के घाव और इन्फेक्शन खतरनाक हो सकते हैं.
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दांतों की जांच: इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के मुताबिक अगर ब्लड ग्लूकोज ठीक से मैनेज न किया जाए, तो डायबिटीज वाले लोगों में मसूड़ों की सूजन (पीरियडोंटाइटिस) का जोखिम बढ़ जाता है, ये दांतों के टूटने का एक प्रमुख कारण है. मसूड़ों में सूजन या ब्रश करते वक्त खून आने जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
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बोन डेंसिटी टेस्ट: डायबिटिक लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर होने का जोखिम अधिक होता है. डॉक्टर की सलाह पर बोन डेंसिटी टेस्ट कराटे रहें.