Home Photos Israel के आयरन डोम को हमास ने कैसे भेदा, किन हथियारों को चला रहे दोनों?| Photos
Israel के आयरन डोम को हमास ने कैसे भेदा, किन हथियारों को चला रहे दोनों?| Photos
Israel-Hamas War| इजरायल की सेना और हमास के लड़ाकों के बीच का फर्क समझिये
FAIZAN AHMAD
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Israel के आयरन डोम को हमास ने कैसे भेदा ?
(altered by quint hindi)
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इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) समर्थक मिलिटेंट ग्रुप हमास (Hamas) के बीच जंग जारी है. सालों से दोनों देशों के बीच चला आ रहा तनाव एक बार फिर दुनिया के सामने जंग के रूप में सामने आया है. इस जंग में अब तक दोनों तरफ से हजारों लोगों ने जान गंवा दी है.
दोनों ओर से बमबाजी जारी है. ऐसे में हम आपको आज यह बताने जा रहे हैं कि दोनों देश आपस में जंग के दौरान किन हथियारों का इस्तेमाल करते हैं? तस्वीरों में देखिए कि इजरायल और फिलिस्तीन की धरती पर किन हथियारों और टेक्निक ने कहर बरपा दिया है.
सबसे पहले इजरायल की सेना और हमास के लड़ाकों के बीच फर्क समझते हैं. इजरायल की सेना अमेरिका या ब्रिटेन की तुलना में ज्यादा पारंपरिक सेना है. जबकि हमास एक बहुत अच्छी तरह से ट्रेंड गुरिल्ला संगठन है. इजरायल की सेना जरुरत पड़ने पर वालंटियर्स और प्राइवेट आर्मी के साथ मिलकर भी मिशन को अंजाम देती है. वहीं दूसरी ओर हमास के लड़ाकों को कथित तौर पर फिलिस्तीन की अवाम का समर्थन प्राप्त होता है.
(फोटो: एपी/पीटीआई)
इजरायल की सेना में मुख्य रूप से टैंक की अहम भूमिका रहती है. इजरायल आर्मी के पास टैंक की बड़ी संख्या मौजूद है. इसका 'मर्कवा' टैंक जर्मन लेपर्ड 2 युद्धक टैंक के समान है जो यूक्रेन में अपने इस्तेमाल के लिए जाना जाता है. इसका बड़े पैमाने पर इजरायल में निर्माण किया जाता है. इसका डिजाइन इस तरह से बनाया गया है कि बड़े टैंक में चार चालक दल को अधिकतम सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारी फ्रंट कवच होता है और यह 120 मिमी मुख्य बंदूक के साथ-साथ माध्यमिक हथियारों से लैस होता है.
(फोटो: एपी/पीटीआई)
मर्कवा 1 से इसके प्रोडक्शन की शुरुआत हुई थी, जो अब अपने पांचवे वैरिएंट में है जिसे मर्कवा-5 या "बराक" के नाम से जाना जाता है. मर्कवा-5 की इजरायल सेना में एंट्री 2023 से शुरू हुई है.
इस टैंक में अपग्रेडेड ट्रॉफी एपीएस, स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने के लिए 360-डिग्री दिन/रात कैमरा कवरेज, टैंक कमांडर के लिए एक लड़ाकू जेट-शैली हेड-अप डिस्प्ले और नए सेंसर हैं जो इसे स्वतंत्र रूप से लक्ष्य हासिल करने और उन पर तेजी से हमला करने में सक्षम बनाते हैं. साथ ही यह टैंक ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को रोकने में सक्षम है.
(फोटो- आईएएनएस)
हवाई हमलों के लिए इजरायली सेना अपने खुद के केफिर (K-FIR) लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करती है. यह फ्रांस द्वारा बनाए गए मिराज विमान पर आधारित मल्टीरोल वार प्लेन है. वायु सेना के पास अमेरिका से प्राप्त कई उन्नत एफ -35 लाइटनिंग 2 जेटस भी हैं. सामान्य तौर पर इजरायली सेना में शामिल इस विमान में उच्च और नई तकनीक शामिल है.
(फोटो: इजराइल ऐरोस्पेस इंडस्ट्रीज)
इजरायल की सबसे ज्यादा एडवांस मानी जाने वाली तकनीक आयरन डॉम की बात किए बिना, इजरायल सेना की ताकत की बात नहीं कर सकते. 'आयरन डोम' जमीन से हवा में अटैक करने वाली कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है जो आने वाली मिसाइलों, रॉकेटों और यहां तक कि मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को रोकती है और उन्हें हवा में ही नष्ट कर देती है.
यह सिस्टम, जो 2011 से इजरायल की सुरक्षा में खड़ा है, ऐसे समय में पूरे इजरायल में तैनात किया गया है. आयरन डोम को लगभग 70 किलोमीटर की सीमा के भीतर मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है.
(फोटो: Altered by quinthindi/wikipedia)
शनिवार को हमास के हमलों के बाद यह माना गया कि इजरायल का आयरन डोम फेल हो गया, लेकिन विशेषज्ञ इस दावे को गलत बताते हैं, हमास ने 20 मिनट में 5000 राकेट दागने का दावा किया जिसके लिए आयरन डॉम को तैयार नहीं किया गया था, हालांकि यह आयरन डॉम की कामयाबी की वजह ही थी कि 5000 रॉकेट्स में से कुछ हजार रॉकेट्स ही इजरायल की धरती पर नुकसान पंहुचा पाए, बाकियों को आयरन डॉम ने हवा में ही नष्ट कर दिया था.
(फोटो: Altered by quint hindi/X)
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हमास के खिलाफ छिड़ी जंग में इजरायल की मदद के लिए अमेरिका ने भी अपना वार-शिप भेज दिया है. हथियारों और जंगी जहाजों से लैस यह वॉरशिप इजरायल की सेना के लिए एक बड़ा सहारा बनने का काम करेगा. इसकी निर्माता लॉकहीड मार्टिन के मुताबिक, इसकी नौसेना तकनीक के मुताबिक यह जहाज 90 विमानों को ले जा सकता है, जिसमें एफ-35 लड़ाकू जेट भी शामिल हैं, जिनकी मारक क्षमता लगभग 1,000 मील है, और यह 18,000 पाउंड तक के हथियार ले जा सकते हैं. इजरायल में फिलहाल इस वॉरशिप के फाइटर प्लेन सप्लाई पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
(फोटो: Altered by quint hindi/X)
अब हम आपको बताते हैं कि इजरायल की ताकतवर सेना का सामना हमास किन हथियारों और तकनीक की मदद से कर रहा है. हमास दुनिया के सबसे भारी हथियारों से लैस गुरिल्ला संगठनों में से एक है. हमास के पास इजरायल जैसे लड़ाकू विमान, टैंक या जहाज नहीं है. तो फिर इन सब के बिना हमास एक देश से युद्ध कैसे लड़ रहा है?
(फोटो: एपी/पीटीआई)
यह इतिहास में शायद पहली बार हुआ होगा जब हमास ने इजरायल पर हमले के लिए मोटर हैंग ग्लाइडर का इस्तेमाल किया. एक व्यक्ति इन मोटर ग्लाइडर को ऑपरेट करता है तो वहीं दूसरा गनमैन की भूमिका निभाते हुए फायरिंग को अंजाम देता है. शनिवार को हुए हमले में इन मोटर ग्लाइडर बंदूकधारियों की अहम भूमिका थी. अपने ऊपर अचानक से हुए इस हमले ने इजरायल को कुछ वक्त तक संभलने का मौका नहीं दिया था.
(फोटो: स्क्रीनग्रैब वीडियो/X)
हमास के लड़ाके अमूमन लैंड रोवर डिस्कवरी जैसी गाड़ियों को मॉडिफाई करते हैं और 30-कैलिबर भारी मशीन गन की तरह पीठ पर एक हथियार रखते हैं. ये बहुत तेज हो सकते हैं और इनका इस्तेमाल विनाशकारी प्रभाव के लिए किया गया है.
(फोटो: एपी/पीटीआई)
इजरायल के पास अपनी खास आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली है, तो हमास भारी संख्या में रॉकेटों से उसे फेल करने में सक्षम है. जैसा कि उसने हाल के दिनों में किया है. इसमें ईरान निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों के विभिन्न संस्करणों का इस्तेमाल किया जाता है, जो आसानी से सड़क पर चलने वाली होती हैं और 500 किलोग्राम तक वजन वाले हथियार ले जा सकती हैं. हमास के पास भी अमेरिका की स्टिंगर जैसी एंटी टैंक मिसाइलें हैं.
(फोटो: एपी/पीटीआई)
हमास को कतिथ तौर पर ईरान और सीरिया से रॉकेट्स और मिसाइल की सप्लाई होती है. इनमें फज्र-3 एक ईरान निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाला बिना मार्गदर्शन वाला तोपखाना रॉकेट है. फज्र-3 की मारक क्षमता 43 किमी है और यह हिजबुल्लाह के भंडार में पाया जाता है. यह एक समूह है जिसका ईरान और सीरिया के साथ घनिष्ठ संबंध है. फज्र-5 की मारक क्षमता 75 किमी है, इसमें 90 किलोग्राम उच्च विस्फोटक (एचई) है. इस बीच, एम-302 रॉकेट या खैबर-1 भी ईरान द्वारा बनाया गया है और यह एक लंबी दूरी का बिना निर्देशित रॉकेट है जिसका इस्तेमाल हमास द्वारा किया जाता है, और कथित तौर पर इसकी सप्लाई हिजबुल्लाह द्वारा की जाती है.