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मीडिया पर क्या हैं कानून? केंद्र को क्यों लगता है ‘डिजिटल’ खतरनाक?

पॉडकास्ट में बात करेंगे कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से.

फ़बेहा सय्यद
पॉडकास्ट
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पॉडकास्ट में सुनिए कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से.
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पॉडकास्ट में सुनिए कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और क्विंट के लीगल एडिटर वकाशा सचदेव से.
फोटो: क्विंट हिंदी/कामरान अख्तर 

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रिपोर्ट: फ़बेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज

मीडिया को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के तौर पर देखा गया है. किसी भी जानकारी को एक जगह से दूसरी जगह तक तेजी से पहुंचाने का काम आज मीडिया कर रहा है. पल भर में पता चल जाता है कि कौन से शहर या फिर दुनिया के कौन से देश में क्या चल रहा है. लेकिन भारत में पिछले कुछ वक्त से मीडिया पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि मीडिया अपनी ताकत का इस्तेमाल समाज को बांटने के लिए कर रहा है और लोगों के दिमाग में जहर भरा जा रहा है. हाल ही में सुदर्शन टीवी के एक विवादित शो यूपीएससी जिहाद ने इस बहस को और आगे बढ़ाने का काम किया. जिसमें एक खास समुदाय को टारगेट किया जा रहा था.

इस विवादित शो को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और इस पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगा दी है. इस केस की अलग-अलग सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया की मनमानी को लेकर भी कई गंभीर सवाल खड़े किए. वहीं केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया से खतरनाक डिजिटल मीडिया को बताया. केंद्र ने कहा है कि इस पर रेगुलेशन की जरूरत है. इसी पूरे मामले को लेकर आज इस पॉडकास्ट में बात करेंगे.

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