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पिछले करीब सात दशकाें से भारत-पाकिस्तान हॉकी गेम (India vs Pakistan Asia Cup Hockey match) लगभग एक जैसी पृष्ठभूमि के रहे हैं. भारत और पाकिस्तान, दोनों ही एशियाई हॉकी के पावरहाउस के तौर पर जाने जाते हैं. रैंकिंग में भी दोनों लगभग एक-दूसरे के आस-पास हैं. स्किल (कौशल) और पैशन (जुनून) से भरपूर दोनों टीमें समान रूप से संतुलित हैं. सम्मान हासिल करने के लिए दो पक्षों के बीच होने वाले द्वंद्वयुद्ध ने कई रिकॉर्ड-धारकों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है.
यह ऐसा दृश्य है जो विश्व हॉकी के सबसे जबरदस्त संघर्षों में से एक को प्रदर्शित करने लिए गढ़ा गया है, इसके साथ ही यह धाराप्रवाह बहने वाली हॉकी के बेहतरीन प्रदर्शन को भी दिखाता है.
23 मई को दोनों टीमें (भारत-पाकिस्तान) एक बार फिर आमने-सामने (India vs Pakistan Asia Cup Hockey match) होंगी. इस बार मुकाबला जकार्ता में है, लेकिन इस बार तस्वीर काफी अलग है. टोक्यो ओलिंपिक में पदक विजेता भारत इस समय वर्ल्ड रैंकिंग में तीसरे पायदान पर है जो कि उसकी (भारत की) अब तक की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है. इसके अलावा भारत प्रो हॉकी लीग के पॉइंट टेबल में टॉप पर है और उसकी नजरें 2024 पेरिस गेम्स पर टिकी हुई हैं.
वहीं इसके उलट पाकिस्तान की बात करें तों वह फंड की तंगी के चलते दो ओलिंपिक, एक वर्ल्ड कप और यहां तक कि प्रो लीग से चूक गया था. इसके बाद वह धीरे-धीरे टुकड़ों को समेटने का प्रयास कर रहा है.
पूर्व ओलिंपिक चैंपियन और वर्ल्ड कप विजेता पाकिस्तान इस समय जापान के पूर्व कोच सिगफ्राइड एकमैन (Siegfried Aikman) की छत्र-छाया में खुद को फिर से तैयार कर रही है. सिगफ्राइड एक इंस्पीरेशनल मैन-मैनेजर भी हैं.
सिगफ्राइड एकमैन भारतीय मूल के एक डच नागरिक हैं. रमजान के दौरान एकमैन ने पाकिस्तान हॉकी टीम के खिलाड़ियों के साथ उपवास रखा था. इससे उनकी कोचिंग स्टाइल प्रदर्शित होती है, जो ऑन-फील्ड और ऑफ-फील्ड, दोनों संबंधों पर जोर देती है.
बहुप्रतीक्षित मैच से पहले वास्तव में एकमैन अपने आकलन में स्पष्ट थे. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि उनके 'खिलाड़ियों के पास टैक्टिकल ज्ञान की कमी है.' लेकिन उन्होंने यह बात दृढ़ होकर कही कि 'वे वहां एक लड़ाई के लिए थे.'
यह रेखांकित करते हुए कि पिछले एक दशक में इन दोनों देशों के लिए कैसे चीजें काफी बदल गई हैं. एकमैन ने कहा कि "भारत हमारा सबसे अच्छा बेंचमार्क है." वे कहते हैं कि '“हमारे खिलाड़ियों के पास बुनियादी कौशल अच्छा है लेकिन सामरिक (टैक्टिकल) और तकनीकी (टेक्निकल) जैसी कई समस्याएं हैं. पाकिस्तान में जमीन स्तर पर मॉर्डन हॉकी नहीं सिखाई जाती है, यहां की हॉकी अभी भी पुराने जमाने वाली है.'
वे आगे कहते हैं कि "पाकिस्तान हॉकी को पुरातन से आधुनिक की ओर ले जाने की चुनौती है और मैं इसी चुनौती पर काम कर रहा हूं. मैं जमीनी स्तर से लेकर ऊपर तक एक ऐसा स्ट्रक्चर डेवलव करना चाहता हूं जिससे कि 10 वर्षों में पाकिस्तान के पास न केवल एक ऐसी टीम होगी जो सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेगी बल्कि फॉलो-अप भी करेगी."
"मुझे लगता है कि जिस तरह भारत ने 12 वर्षों में यह मुकाम हासिल किया है. वैसे ही यहां पाकिस्तान टीम भी खुद को तैयार कर सकती है. खिलाड़ी जीतना चाहते हैं और काफी प्रतिस्पर्धी हैं." "हमें अब आगे का सफर शुर करना है. हमारा पहला लक्ष्य एशिया कप में बेहतरीन प्रदर्शन करना है और 2023 वर्ल्ड कप के लिए क्वॉलिफाई करना है." यह बात कोच ने उसी जगह से कही जहां पर उन्होंने 2018 एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली जापान की टीम का मार्गदर्शन किया था.
जहां एक ओर पाकिस्तान एशिया कप में जितना संभव होगा उसके अनुसार पूरी ताकत के साथ तैयार होकर उतरेगा. वहीं भारत के लिए आठ देशों का यह टूर्नामेंट एक टेस्टिंग ग्राउंड की तरह होगा जहां भविष्य का सितारा दिखेगा.
टोक्यो में भारत ने 41 वर्षों के बाद ओलिंपिक पदक जीता है. इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद थिंक-टैंक अब सावधानीपूर्वक और काफी बारीकी भविष्य के लिए योजनाएं बना रहा है. शीर्ष पांच हॉकी खेलने वाले देशों में खुद को स्थापित करने और लगातार परिणामों के बल पर अपनी स्थिति बनाए रखने के बाद भारत अब उस कंफर्ट स्थिति में है कि वह प्रयोग कर सके.
कॉन्टिनेंटल (महाद्वीपीय) चैंपियनशिप में अपने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को भेजने की उम्मीद थी, लेकिन अतीत से हटकर भारत अब इन आयोजनों का उपयोग आने वाली पीढ़ी को तैयार करने के लिए कर रहा है.
बड़ी ट्राफियों और पदकों के अभाव में इससे पहले एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी, एशिया कप, सुल्तान अजलान शाह कप आदि में जीत को सांत्वना पुरस्कार माना जाता था क्योंकि भारत विश्व हॉकी में अपने पैर जमाने की कोशिश करता रहा था.
लेकिन टोक्यो में मिले पदक ने सब कुछ बदल दिया है.
टोक्यो के बाद, भारत ने प्रमुख खेलों के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ एथलीटों को बचाने पर ध्यान केंद्रित किया है. इसके अलावा उन्होंने प्रयोग प्रक्रिया शुरू कर दी है और अगले ओलंपिक चक्र के लिए खिलाड़ियों के रीप्लेसमेंट को भी तलाश रहे हैं. सीनियर खिलाड़ी रूपिंदर पाल सिंह, बीरेंद्र लाकड़ा, एस.वी. सुनील (एशिया कप में युवाओं की टीम का नेतृत्व बीरेंद्र लाकड़ा, एस.वी. सुनील करेंगे.) अब कोर ग्रुप का हिस्सा नहीं हैं. वहीं लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले गोलकीपर श्रीजेश पीआर अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं.
दिसंबर 2021 में हुए एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी की तरह एशिया कप के मैदान को भी भारत डेवलवमेंट साइड की तरफ देखेगा.
ओलिंपिक साइकल में भारत की एंट्री हाेने के बाद ही कोच ग्राहम रीड ने एक "गहरी और मजबूत टीम" बनाने के इरादे पर विचार व्यक्त किया था. रीड ने कहा था कि "इस टीम (एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के लिए) को चुनते समय, अब हमारी नजर भविष्य पर होनी चाहिए. निरंतर सफलता प्राप्त करने के लिए एक गहरी और मजबूत टीम की जरूरत होती है, इसलिए खिलाड़ियों को प्रदर्शन करने के अवसर दिए जाने चाहिए."
"हमने एक ऐसी टीम का चयन किया है जिसके पास अनुभव और युवाओं का अच्छा मिश्रण है, जिनके पास यह दिखाने का मौका होगा कि वे क्या कर सकते हैं."
एशिया कप में भारत ठीक ऐसा ही करेगा. भारत के पूर्व कप्तान सरदार सिंह अपने पहले कोचिंग असाइनमेंट पर हैं. लकड़ा, सुनील और सिमरनजीत को छोड़कर भारत ने ज्यादातर ऐसे प्लेयर्स को चुना है जिनको बारे में पहले पता नहीं था, वे नए हैं. 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खेलों का अनुभव रखने वाली वरिष्ठ जोड़ी उन युवा और आने वाले खिलाड़ियों के लिए मेंटर्स बन सकती है, जिनके लिए भारतीय टीम के स्थायी स्लॉट में अपना दावा ठोकने का एशिया कप प्रतिस्पर्धी मैदान होगा.
यह कदम भविष्य के लिए भारत की रणनीति को दर्शाता है. सबसे बड़े स्तर पर सफलता का स्वाद चखने और खुद को अपग्रेड करने के लिए पर्याप्त संसाधन व वैज्ञानिक समर्थन हासिल होने के बाद स्पष्ट रूप से अब पूरा ध्यान बड़े पुरस्कार की तरफ है.
भारत यह बात जानता है कि टोक्यो पदक की विरासत को ठीक से भुनाने के लिए उसे पेरिस में अच्छा प्रदर्शन करना होगा. शीर्ष टीमें अपनी निरंतरता के लिए जानी जाती हैं ऐसे में भारत को इस दुर्लभ अनिवार्यता को प्राप्त करना होगा. जो अतीत में उसकी कमजोरी रही है.
पाकिस्तान के कोच ऐकमैन ने उसी पर प्रतिक्रिया व्यक्त की. "एशिया में टीमों के लिए भारत एक बड़ा उदाहरण है. उन्होंने दिखाया कि आप एक गहरी जगह से आ सकते हैं और दूर तक की यात्रा कर सकते हैं. इसमें समय लगता है, लेकिन अगर आप इसे लगातार व स्पष्ट रूप से करते हैं, तो उस जगह तक पहुंच जाएंगे."
भारत 23 मई को शाम पांच बजे (IST) पाकिस्तान के खिलाफ उतरेगा.
गोलकीपर : पंकज कुमार रजक, सूरज करकेरा
डिफेंडर : नीलम संजीव ज़ेस, यशदीप सिवाच, अभिषेक लाकड़ा, बीरेंद्र लाकड़ा (कप्तान), मंजीत, दीपसन टिर्की
मिडफील्डर : विष्णुकांत सिंह, राज कुमार पाल, मरीस्वरेन शक्तिवेल, शेष गौड़ा बी.एम., सिमरनजीत सिंह
फॉरवर्ड : पवन राजभर, भारन सुदेव, एस.वी. सुनील (उप-कप्तान), उत्तम सिंह, एस. कार्ति
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