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थाईलैंड के बैंकॉक में इम्पैक्ट एरिना में रविवार, 15 मई को खेले गए थॉमस कप (Thomus Cup 2022) के फाइनल में भारत ने इतिहात रच दिया है. पहले सिंगल्स में लक्ष्य सेन ने 8-21, 21-17, 21-16 से एंथनी गिनटिंग को हराकर भारत को 1-0 की बढ़त दिलाई. भारत को यह कामयाबी किदांबी श्रीकांत (Kidambi Srikanth), सात्विक (Satwiksairaj), चिराग (Chirag Shetty) और लक्ष्य (Lakshya Sen) की चौकड़ी के धमाल की बदौलत मिली.
किदांबी श्रीकांत का जन्म 7 फरवरी 1993 को आंध्र प्रदेश के एक तेलगु परिवार में रावुलापलेम शहर में हुआ था. श्रीकांत के बड़े भाई नंदगोपाल किदांबी भी बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. श्रीकांत ने 2000 में अपने बड़े भाई नंदगोपाल के साथ बैडमिंटन में करिअर को चुना. 2001 में किदांबी राज्य की स्पोर्ट्स एकेडमी में शामिल हो गए.
इसके बाद गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में शामिल होने का फैसला किया, जहां उन्होंने बैडमिंटन को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. पुलेला गोपीचंद का मानना था कि उनमें प्रतिभा है लेकिन फोकस की कमी थी. गोपीचंद ने उन्हें खेल पर अपना ध्यान मजबूत करने की सलाह दी.
साल 2011 में एक अंतरराष्ट्रीय ब्रेक मिलने के बाद उन्होंने पुणे में अखिल भारतीय जूनियर अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप में अपना पहला जूनियर एकल खिताब और युगल खिताब जीता.
इसके एक साल बाद, उन्होंने मालदीव इंटरनेशनल चैलेंज में अपना पहला एकल खिताब जीता.
2013 में किदांबी ने पारुपल्ली कश्यप को हराकर सीनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में अपना पहला एकल राष्ट्रीय खिताब जीता.
उन्होंने 2014 में चाइना ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर जीता और ऐसा करने वाले पहले भारतीय बने.
किदांबी ने 2015 में स्विस ओपन ग्रां प्री गोल्ड में गोल्ड मेडल हासिल किया.
साल 2016 में उन्होंने गुवाहाटी में दक्षिण एशियाई खेलों में पुरुष एकल और टीम में दो गोल्ड मेडल जीता.
18 जून 2017 को उन्होंने जापान के सकाई को हराकर इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज प्रीमियर खिताब जीता.
इसके बाद अप्रैल 2018 में किदांबी 76895 अंकों के साथ पुरुष एकल रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचने में कामयाब हुए.
साल 2019 के दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने नेपाल के काठमांडू में पुरुष टीम में गोल्ड मेडल जीता.
2020 में श्रीकांत और उनकी टीम ने मनीला में एशियाई टीम चैंपियनशिप में फिर से कांस्य पदक जीता.
लक्ष्य सेन एक भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. इनका जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा शहर में एक बैडमिंटन स्टार्स की फैमिली में हुआ था. सेन 2016 में पहली बार सुर्खियों में आए, जहां उन्होंने एक सफल जूनियर बैडमिंटन सर्किट किया था. अगले वर्ष, वह BWF वर्ल्ड जूनियर रैंकिंग में नंबर 1 बन गये. लक्ष्य 2018 में शीर्ष वरीयता प्राप्त विश्व नंबर 1 कुनलावुत विटिडसर्न को हराकर 2018 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में चैंपियन बने
लक्ष्य सेन के दादाजी एक बैडमिंटन खिलाड़ी थे, और उनके पिता डी के सेन, एक राष्ट्रीय कोच हैं, जबकि उनके भाई, चिराग सेन, एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.
थोमस कप जीतने के बाद लक्ष्य सेन की मां ने कहा है कि यह जीत हमारे लिए बहुत कीमती है. हम बहुत खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं. हम वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लक्ष्य के साथ जीत का जश्न मनाएंगे और केक काटेंगे, भारत के इतिहास बनाने के बाद बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन की मां निर्मला ने कहा कि उन्होंने पहली बार थॉमस कप ट्रॉफी जीती है
Chirag Shetty मुंबई के रहने वाले है. उन्होंने बहुत कम उम्र में बैडमिंटन की दुनिया में कदम रखा था. चिराग के लिए बैडमिंटन खेलना एक मुश्किल फैसला था क्योंकि उनके परिवार में किसी ने भी ये खेल नहीं खेला था. उनके पिता को स्क्वैश खेलने में गहरी दिलचस्पी थी.
चिराग को अपने माता-पिता का पूरा समर्थन मिला और उन्होंने युगल और मिश्रित युगल खिलाड़ी के रूप में बैडमिंटन की दुनिया में अपना नाम बनाया. चिराग को पहली बड़ी उपलब्धि 2016 में मिली जब उन्होंने हैदराबाद में हुई बैडमिंटन एशिया चैंपियनशिप में पुरुष टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था.
उस साल उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए कई और पदक जीते. सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी के साथ चिराग शेट्टी ने इंडिया इंटरनेशनल सीरीज, मॉरीशस इंटरनेशनल, बांग्लादेश इंटरनेशनल और टाटा ओपन इंडिया इंटरनेशनल में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लिया और मिश्रित टीम स्पर्धा और युगल वर्ग में स्वर्ण और रजत पदक जीते. चिराग के करियर का सबसे बड़ा पल तब आया जब उन्होंने युगल वर्ग में 2019 में थाईलैंड ओपन का खिताब अपने नाम किया. चिराग शेट्टी 2020 बैडमिंटन एशिया चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाली टीम में भी थे. पिछले साल सात्विकसाईराज और चिराग को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था.
सात्विक साई राज एक भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी है, जो पुरुष युगल और मिश्रित युगल स्पर्धाओं में माहिर हैं. सात्विकसाईराज ने अपने पिता से प्रेरणा लेते हुए 6 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. इनके पिता भी राज्य स्तर के खिलाड़ी थे. इसके साथ इनके भाई रामचरण रंकीरेड्डी भी एक पेशेवर बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.
11 साल की उम्र में सात्विकसाईराज ने जिला स्तर के टूर्नामेंट में भाग लिया और अंडर-13 श्रेणी में सब-जूनियर स्टेट बैडमिंटन चैंपियनशिप के लिए सीधे प्रवेश प्राप्त करते हुए अपना पहला राज्य चैंपियनशिप जीता.
साल 2014 में उन्होंने गोपीचंद की सलाह के बाद हैदराबाद में पुलेला गोपीचंद अकादमी को ज्वाइन किया. उन्होंने एक इटरव्यू में बताया था कि
प्रणय हसीना सुनील कुमार, जिनका जन्म 17 जुलाई 1992 को हुआ था, एक भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. उनका जन्म केरल के तिरुवनंतपुरम में हुआ था. प्रणय ने पिछले एक दशक में अपने खेल में सुधार कर भारत के लिए बेहद अच्छा प्रदर्शन किया है. प्रणय एकल और युगल दोनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं. प्रणय ने 2010 के ग्रीष्मकालीन युवा ओलंपिक में लड़कों के एकल स्पर्धा में रजत पदक के प्रदर्शन के बाद लोकप्रियता हासिल की
उनके पिता सुनील कुमार एक पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अखिल भारतीय वायु सेना बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीती है, जबकि उनकी मां हसीना एक हाउस वाइफ हैं. प्रणय ने दस साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था.
प्रणय की बैडमिंटन प्रतिभा को राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने देखा और वह गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गए, जहां उन्होंने अपना पहला पेशेवर प्रशिक्षण एक पूर्व भारतीय बैडमिंटन दिग्गज से प्राप्त किया. गोपीचंद ने अपने खेल को विकसित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और खुद को फिर से स्थापित करने में उनकी मदद की
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