advertisement
इस बात में कोई शक नहीं कि 125 रनों की जीत बहुत बड़ी जीत होती है. लेकिन इतना ही बड़ा सच ये भी है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया फिर बच गई. लगातार दूसरे मैच में टीम इंडिया के गेंदबाजों ने जीत दिलाई. जिस वेस्टइंडीज के खिलाफ एक बड़े स्कोर को बनते देखने की चाहत के साथ फैंस स्टेडियम पहुंचे थे. वो चाहत धरी की धरी रह गई. टीम इंडिया पौने तीन सौ के आंकड़े तक भी नहीं पहुंची. वो तो आखिरी ओवर में धोनी ने 16 रन जोड़ दिए वरना टीम इंडिया ढाई सौ रनों के आस-पास ही रह गई होती.
लगातार दूसरे मैच में टीम इंडिया ने एक जैसी गलतियां की हैं. मिडिल ऑर्डर का खराब प्रदर्शन और जमे-जमाए बल्लेबाज का असमय आउट होना. ये दोनों गलतियां टीम इंडिया को लगातार परेशान कर रही हैं. अफगानिस्तान के बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ भी गेंदबाजों ने जीत तो दिला दी, भारत की जीत का सिलसिला भी कायम है लेकिन ये गलतियां बड़े मैच में हुईं तो हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं होगा.
ये डर इसलिए सता रहा है क्योंकि इस जीत के बाद टीम का टॉप-4 में पहुंचना तय है. उससे पहले इंग्लैंड, बांग्लादेश और श्रीलंका के खिलाफ लीग मैच खेलना बाकि हैं.
अब इंतजार लंबा हो गया है. विजय शंकर को अब तीन मैच मिल चुके हैं. वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में तीन मैच में अगर कोई खिलाड़ी अपनी उपयोगिता साबित नहीं कर पा रहा है तो उसके लिए आगे का रास्ता बंद होता दिखता है. विजय शंकर के ये आंकड़े उनके लिए रास्ता बंद करते ही दिख रहे हैं.
कुछ ऐसी ही कहानी केएल राहुल की भी है. केएल राहुल लगातार अच्छी शुरूआत मिलने के बाद अपना विकेट गंवा रहे हैं. बतौर ओपनर अगर किसी बल्लेबाज को अच्छी शुरूआत मिलती है तो फिर उससे उम्मीद की जाती है कि वो उसे बड़ी पारी में तब्दील करेगा.
केएल राहुल में ये काबिलियत है भी, लेकिन वो अभी इस वर्ल्ड कप में उसे दिखा नहीं पाए हैं. ये आंकड़े देखिए-
सवाल ये है कि अब टीम इंडिया के पास इस परेशानी से निकलने क्या रास्ता है. सबसे पहले तो टीम इंडिया को ऋषभ पंत को प्लेइंग 11 में शामिल करना होगा.
पंत के आने की सूरत में धोनी या केदार जाधव में से किसी एक बल्लेबाज को नंबर चार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है और उन्हें फिनिशर का रोल दिया जा सकता है.
धोनी जिस अंदाज में बल्लेबाजी करते हैं, उसमें उन्हें बड़े शॉट्स खेलने के लिए समय चाहिए होता है. नंबर चार पर बल्लेबाजी करके वो मौका उन्हें मिल सकता है. जहां पहली ही गेंद से बड़े शॉट्स लगाने का दबाव उन पर नहीं होगा. धीमी शुरूआत के बाद वो रफ्तार बढ़ा लेते हैं. जैसा उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ भी किया. धोनी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ नॉट आउट 56 रन बनाए.
ये आंकड़े देखिए
जीत की खुशियां भले ही खिलाड़ियों के चेहरे पर दिखेंगी, दिखनी भी चाहिए. भारत अब इस वर्ल्ड कप की इकलौती टीम है जिसे अब तक कोई हरा नहीं पाया है. लेकिन सेमीफाइनल या फाइनल जैसे बड़े मैचों को लेकर वो चिंता जो विराट कोहली और रवि शास्त्री को हो रही होगी उसकी फ्रिक करना ज्यादा जरूरी है. क्योंकि इतने बड़े टूर्नामेंट में एकाध दिन तो ऐसा होगा ही होगा जब भारतीय गेंदबाजों की नहीं चलेगी, उस रोज टीम इंडिया का क्या होगा?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)