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अगर गेंदबाजों का दिन खराब रहा तो टीम इंडिया का क्या होगा?

भारत का मिडिल ऑर्डर एक बार फिर प्रदर्शन करने में नाकाम रहा.

शिवेंद्र कुमार सिंह
क्रिकेट
Updated:
एमएस धोनी, केएल राहुल और विजय शंकर
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एमएस धोनी, केएल राहुल और विजय शंकर
(फोटोः AP/ altered by Quint Hindi)

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इस बात में कोई शक नहीं कि 125 रनों की जीत बहुत बड़ी जीत होती है. लेकिन इतना ही बड़ा सच ये भी है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया फिर बच गई. लगातार दूसरे मैच में टीम इंडिया के गेंदबाजों ने जीत दिलाई. जिस वेस्टइंडीज के खिलाफ एक बड़े स्कोर को बनते देखने की चाहत के साथ फैंस स्टेडियम पहुंचे थे. वो चाहत धरी की धरी रह गई. टीम इंडिया पौने तीन सौ के आंकड़े तक भी नहीं पहुंची. वो तो आखिरी ओवर में धोनी ने 16 रन जोड़ दिए वरना टीम इंडिया ढाई सौ रनों के आस-पास ही रह गई होती.

फिर वही गलतियां दोहराई

लगातार दूसरे मैच में टीम इंडिया ने एक जैसी गलतियां की हैं. मिडिल ऑर्डर का खराब प्रदर्शन और जमे-जमाए बल्लेबाज का असमय आउट होना. ये दोनों गलतियां टीम इंडिया को लगातार परेशान कर रही हैं. अफगानिस्तान के बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ भी गेंदबाजों ने जीत तो दिला दी, भारत की जीत का सिलसिला भी कायम है लेकिन ये गलतियां बड़े मैच में हुईं तो हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं होगा.

भारत के गेंदबाजों का प्रदर्शन पूरे वर्ल्ड कप में अभी तक अच्छा रहा है.(फोटोः AP)

ये डर इसलिए सता रहा है क्योंकि इस जीत के बाद टीम का टॉप-4 में पहुंचना तय है. उससे पहले इंग्लैंड, बांग्लादेश और श्रीलंका के खिलाफ लीग मैच खेलना बाकि हैं.

प्वाइंट टेबल की स्थिति ऐसी है कि इन लीग मैचों में भारतीय टीम अगर एकाध मैच हार भी गई तो कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन दिक्कत तब होगी जब अगर यही गलतियां सेमीफाइनल में हो गईं क्योंकि वहां गलतियों को सुधारने का मौका नहीं मिलेगा और कोई ना कोई दिन ऐसा जरूर होगा जब गेंदबाजों का दिन नहीं होगा. दुनिया की किसी भी टीम के गेंदबाज हर बार इम्तिहान पास करें ये मुमकिन नहीं है.

मौके भुनाने में नाकाम शंकर और राहुल

अब इंतजार लंबा हो गया है. विजय शंकर को अब तीन मैच मिल चुके हैं. वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में तीन मैच में अगर कोई खिलाड़ी अपनी उपयोगिता साबित नहीं कर पा रहा है तो उसके लिए आगे का रास्ता बंद होता दिखता है. विजय शंकर के ये आंकड़े उनके लिए रास्ता बंद करते ही दिख रहे हैं.

(ग्राफिक: क्विंट हिंदी)

कुछ ऐसी ही कहानी केएल राहुल की भी है. केएल राहुल लगातार अच्छी शुरूआत मिलने के बाद अपना विकेट गंवा रहे हैं. बतौर ओपनर अगर किसी बल्लेबाज को अच्छी शुरूआत मिलती है तो फिर उससे उम्मीद की जाती है कि वो उसे बड़ी पारी में तब्दील करेगा.

केएल राहुल लगातार दूसरे मैच में अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में नहीं बदल पाए(फोटोः AP)

केएल राहुल में ये काबिलियत है भी, लेकिन वो अभी इस वर्ल्ड कप में उसे दिखा नहीं पाए हैं. ये आंकड़े देखिए-

(ग्राफिक: क्विंट हिंदी)
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टीम इंडिया के पास क्या विकल्प है?

सवाल ये है कि अब टीम इंडिया के पास इस परेशानी से निकलने क्या रास्ता है. सबसे पहले तो टीम इंडिया को ऋषभ पंत को प्लेइंग 11 में शामिल करना होगा.

पंत की सबसे बड़ी ताकत है बेखौफ बल्लेबाजी. वो विरोधी गेंदबाज के कद या पिच के मिजाज से बल्लेबाजी नहीं करते वो जिगर वाले बल्लेबाज हैं. उनकी इस आदत का खामियाजा भी टीम को भुगतना पड़ा है लेकिन फिलहाल टीम के पास उन्हीं के नाम पर जुआं खेलने का विकल्प है.

पंत के आने की सूरत में धोनी या केदार जाधव में से किसी एक बल्लेबाज को नंबर चार की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है और उन्हें फिनिशर का रोल दिया जा सकता है.

धोनी ने वर्ल्ड कप में अपना पहला अर्धशतक लगाया(फोटोः ट्विटर/BCCI)

धोनी जिस अंदाज में बल्लेबाजी करते हैं, उसमें उन्हें बड़े शॉट्स खेलने के लिए समय चाहिए होता है. नंबर चार पर बल्लेबाजी करके वो मौका उन्हें मिल सकता है. जहां पहली ही गेंद से बड़े शॉट्स लगाने का दबाव उन पर नहीं होगा. धीमी शुरूआत के बाद वो रफ्तार बढ़ा लेते हैं. जैसा उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ भी किया. धोनी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ नॉट आउट 56 रन बनाए.

ये आंकड़े देखिए

(ग्राफिक: क्विंट हिंदी)

जीत की खुशियां भले ही खिलाड़ियों के चेहरे पर दिखेंगी, दिखनी भी चाहिए. भारत अब इस वर्ल्ड कप की इकलौती टीम है जिसे अब तक कोई हरा नहीं पाया है. लेकिन सेमीफाइनल या फाइनल जैसे बड़े मैचों को लेकर वो चिंता जो विराट कोहली और रवि शास्त्री को हो रही होगी उसकी फ्रिक करना ज्यादा जरूरी है. क्योंकि इतने बड़े टूर्नामेंट में एकाध दिन तो ऐसा होगा ही होगा जब भारतीय गेंदबाजों की नहीं चलेगी, उस रोज टीम इंडिया का क्या होगा?

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Published: 27 Jun 2019,03:13 AM IST

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