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संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि न्यूजीलैंड (New Zealand) की टीम एक ऐसे क्रिकेट मैच के फाइनल (WTC Final 2021) में खेलने जा रही है जहां उसे अंडरडॉग यानि कि छुपे रुस्तम के तौर पर नहीं देखा जा रहा है. भारत (India) के खिलाफ साउथैंपटन (Southampton) में कीवी की टीम जब विराट कोहली (Virat Kohli) की टीम के सामने उतरेगी तो पहली टेस्ट चैंपियनशिप जीतने की भी वो उतनी ही मजबूत दावेदार होगी. मुमकिन है कि भारत से भी थोड़ी बेहतर है उनकी दावेदारी.
ऐसा कहने की कई वजह हैं. नंबर एक है ये टेस्ट क्रिकेट में न्यूजीलैंड की ये महानतम टेस्ट टीम है. इस टीम के पास बल्लेबाजी धाकड़ है, एक लाजवाब विकेटकीपर बल्लेबाज है. लेकिन सबसे अहम बात है कि उनके पास एक ऐसा गेंदबाजी आक्रमण है जो किसी भी टीम के होश उड़ा सकता है. ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी तो हर हाल में प्लेइंग इलेवन का हिस्सा होंगे लेकिन इसके बाद के गेंदबाजों का चयन मैट हेनरी, नील वेगनर, काइल जैमिसन और एजाज पटेल जैसे गेंदबाजों में से करना होगा जो किसी भी कप्तान के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. इससे पहले आज तक न्यूजीलैंड के पास एक से एक बढ़कर एक इतने शानदार गेंदबाज विकल्प के तौर पर नहीं आये थे.
दूसरी अहम वजह है न्यूजीलैंड का मौजूदा फॉर्म. भारत ने पिछले 14 सालों में इंग्लैंड की जमीन पर टेस्ट सीरीज नहीं जीती है और कीवी टीम भी यहां पर 1999 से सीरीज जीतने में नाकाम रही थी. लेकिन, पिछले हफ्ते ही इस टीम ने इंग्लैंड को पस्त किया.
टेस्ट सीरीज में जीत का अभ्यास करके आने वाली टीम को भला कोई छुपा रुस्तम कहने की हिम्मत भी कैसे कर सकता है?
तीसरी अहम वजह है कि कोहली की टीम केन विलियमसन की सेना को देखकर विचलित होती है. 2019 के वन-डे वर्ल्ड कप सेमीफाइनल से पहले भारतीय टीम चैंपियन की तरह खेल रही थी लेकिन न्यूज़ीलैंड के सामने अहम मुकाबले में आधे घंटे में ही नतीजा तय हो गया. बाद में कोहली ने कहा कि ये उनके करियर का सबसे खराब आधा घंटा रहा.
ये बात साफ करती है कि अगर कोहली की टीम किसी एक टीम से टेस्ट में घबराती है तो वो विलियमसन की ही टीम है.
एक सबसे अहम बात जो न्यूजीलैंड के पक्ष में जाती है वो है कप्तान के तौर पर विलियमसन का शांत स्वभाव. कोहली और विलियमसन अंडर 19 के दिनों से ही एक दूसरे को जानते हैं और अच्छे दोस्त भी हैं. कोहली के नाम विलियमसन के मुकाबले ज्यादा टेस्ट मैच जीतने का रिकॉर्ड भी है लेकिन रणनीतिकार और बेहतर कप्तानी रवैया दिखाने के मामले में विलियमसन उन पर बीस पड़ते हैं.
इन्हीं सब बातों के मद्देनजर ये कहना गलत नहीं है कि जीतने के दबाव के साथ साथ एक तगड़ी कीवी टीम का सामना करना भी कोहली की टीम पर और दबाव बढ़ा सकता है. क्योंकि हमेशा की ही तरह ये कोई ऐसी –वैसी दोयम दर्जे वाली कीवी टीम नहीं है.
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