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Space Tourism: भारत का यह शख्स मनाली नहीं स्पेस घूमने जा रहा, जानिए टिकट कितना महंगा?

Space Tourism Explained: स्पेस टूरिज्म आने वाले वक्त में पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. जानिए कैसे?

आश्रुति पटेल
साइंस
Published:
<div class="paragraphs"><p>जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन जिन 6 लोगों को स्पेस भेज रही है उनमें एक भारतीय&nbsp;गोपी थोटाकुरा भी शामिल हैं.</p></div>
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जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन जिन 6 लोगों को स्पेस भेज रही है उनमें एक भारतीय गोपी थोटाकुरा भी शामिल हैं.

Photo: X (@blueorigin)

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Space Tourism: भारत का एक शख्स अंतरिक्ष घूमने जाने वाला है, वो भी बतौर टूरिस्ट. उन्हें ले जाएगी अमेजन के मालिक जेफ बेजोस ( Jeff Bezos) की कंपनी ब्लू ओरिजिन (Blue Origin). यह कंपनी अपने NS-25 मिशन में जिन 6 लोगों को अंतरिक्ष की सैर पर ले जा रही है उनमें से एक भारतीय गोपी थोटाकुरा भी हैं.

पेशे से पायलट और उद्यमी थोटाकुरा पर्यटक के तौर पर अंतरिक्ष पर जाने वाले पहले भारतीय बन जायेंगे. इस मिशन की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है. अगर यह मिशन सफल रहता है तो गोपी थोटाकुरा स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय बन जायेंगे. इससे पहले राकेश शर्मा सोवियत संघ के स्पेस क्राफ्ट से अंतरिक्ष जा चुके हैं.

हाल के सालों में स्पेस ट्रैवल इंडस्ट्री बेहद तरक्की कर रही है. हम आपको बतायेंगे थोटाकुरा कौन हैं? स्पेस ट्रैवल क्या है? और यह कितना महंगा है?

कौन हैं गोपी थोटाकुरा?

गोपी थोटाकुरा पेशे से एक उद्यमी और पायलट हैं. उन्होंने एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है. वह कमर्शियल फ्लाइट उड़ाते रहे हैं. गोपी प्रिजर्व लाइफ कॉर्प के सह संस्थापक हैं. ब्लू ओरिजिन की प्रेस रिलीज में लिखा है कि ड्राइविंग सीखने से पहले ही गोपी ने फ्लाइट उड़ाना सीख लिया था. प्रेस रिलीज में आगे लिखा है कि गोपी ने सामान्य कमर्शियल प्लेन उड़ाने के साथ ही, एयरोबैटिक और सी-प्लेन, ग्लाइडर्स और गर्म हवा के गुब्बारे भी उड़ाये हैं.

गोपी ने अंतर्राष्ट्रीय मेडिकल जेट पायलट के रूप में भी अपनी लंबी सेवाएं दी हैं.

क्या है स्पेस टूरिज्म?

धरती के करीब 100 किमी ऊपर कार्मन लाइन है. फेडरेशन एयरोनॉटिक इंटरनेशनल वैश्विक अंतरिक्ष से जुड़े रिकॉर्ड बनाए रखता है और उसमें गतिविधियों को नियंत्रित करता है. इसका मानना है कि कार्मन लाइन पृथ्वी और अंतरिक्ष को बांटने वाली रेखा है. जबकि नासा, FAA जैसी कुछ संस्थाएं ऐसी भी हैं जो मानती हैं कि 50 किमी से ऊपर का सब अंतरिक्ष है.

अंतरिक्ष में दो तरह की उड़ान होती है. एक सब-ऑर्बिटल और दूसरी आर्बिटल. स्पेस ट्रैवल में स्पेसक्राफ्ट 100 किमी से ऊपर यानी पृथ्वी से बाहर अंतरिक्ष में जाता है और कुछ देर वहीं ठहर कर वापस धरती पर आ जाता है.

N-25 मिशन, जिसका गोपी थोटाकुरा हिस्सा हैं, वो सब-ऑर्बिटल मिशन है. इसके स्पेस व्हीकल का नाम न्यू शेपर्ड है जिसे ब्लू ओरिजिन ने खास तौर पर बनाया है. ये लॉन्च व्हीकल रियूजेबल है. यानी इसका फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है.

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स्पेस टूरिज्म की रेस 

कई अरबपतियों के बीच स्पेस का किंग बनने को लेकर 2021 से ही एक रेस चल रही है. 2021 में एक-दूसरे से कुछ ही हफ्तों के अंतराल में जेफ बेजोस और रिचर्ड ब्रैनसन अंतरिक्ष की सैर पर गए.

खास तौर पर ये रेस 3 लोगों के बीच है. अमेजन के CEO और ब्लू ओरिजिन के मालिक जेफ बेजोस, स्पेस-X के एलोन मस्क और वर्जिन गैलेक्टिक के रिचर्ड ब्रैनसन.

अभी तक इस रेस में सबसे आगे स्पेस-X रही है. जहां ब्लू ओरिजिन का मिशन 62 मील तक ऊपर गया, वर्जिन गैलेक्टिक की 2021 की फ्लाइट 53 मील अंतरिक्ष में गई. वहीं स्पेस-X का रॉकेट स्पेस में कहीं गहरा गया, ये 120 मील ऊपर गया.

कितना महंगा है स्पेस टूरिज्म 

न्यूयार्क टाइम्स की 2022 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्जिन गैलेक्टिक की एक स्पेस फ्लाइट के टिकट की कीमत करीब साढ़े 4.5 लाख US डॉलर थी. वर्जिन गैलेक्टिक और ब्लू ओरिजिन के पास पहले से ही हजारों लोग वेटिंग लिस्ट में हैं.

स्पेसएक्स ने 2022 में पहले ऑल-प्राइवेट क्रू (कोई प्रोफेशनल एस्ट्रोनॉट नहीं) को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर लॉन्च किया, जहां उन्होंने एक सप्ताह से अधिक समय बिताया. यात्रा में शामिल चारों लोगों में से प्रत्येक ने 55 मिलियन डॉलर खर्च किए.

पर्यावरण पर असर 

स्पेस ट्रैवल बहुत फैसिनेटिंग है. कई लोगों का सपना है कि वो स्पेस में जा सकें. ये कंपनियां इन्हीं सपनों को भुनाती हैं और पैसे कमाती हैं. कई सारी रिपोर्ट ऐसी हैं जो बताती हैं कि स्पेस टूरिज्म हमारे पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है. अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट अपने सॉलिड केमिकल से और डर्ट पार्टिकल से पृथ्वी की ऊपरी लेयर को डैमेज कर रहे हैं.

2022 में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और MIT के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि रॉकेट लांच के वक्त उत्पन्न होने वाला कार्बन और गर्मी ग्लोबल वार्मिंग पर बहुत ज्यादा असर डालती है.

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