Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गोरखपुर के परेशान बुनकर BJP को लेकर दिमाग में क्या बुन रहे हैं?

गोरखपुर के परेशान बुनकर BJP को लेकर दिमाग में क्या बुन रहे हैं?

बंद होने की कगार पर गोरखपुर के सैकड़ों पावर हैंडलूम

शादाब मोइज़ी
वीडियो
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर- वरुण

वीडियो प्रोड्यूसर- मौसमी सिंह

“योगी जी, जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब हमें लगा कि उनके पड़ोस में रह रहे सैकड़ों बुनकरों के लिए भी कुछ होगा, वो इधर भी ध्यान देंगे. लेकिन मुझे नहीं पता कि उनके फैसले में हम लोग शामिल भी हैं कि नहीं.” ये बातें गोरखपुर के नौरंगाबाद इलाके के रहने वाले उबैद उर रहमान कहते हैं.

गोरखनाथ मंदिर के आसपास के इलाके यानी पुराना गोरखपुर में ही सैकड़ों पावरलूम चल रहे हैं जिनमें कई बुनकर काम करते हैं. उबैद उर रहमान के मुताबिक, गोरखपुर में करीब 30-40 हजार लोग हथकरघा या पावरलूम उद्योग से किसी न किसी रूप से जुड़े हुए हैं, लेकिन धीरे-धीरे अब हालात खराब होते जा रहे हैं.

बंद होने के कगार पर सैकड़ों पावर हैंडलूम

नौरंगाबाद के रहने वाले बुनकर मतलूब अंसारी अपनी परेशानी बताते हुए भावुक हो जाते हैं, भारी मन से कहते हैं, मेरे पास सौ पावरलूम था लेकिन अब सिर्फ 8 पावरलूम बचे हैं. धंधा इतना चौपट हुआ कि सब बेचना पड़ा. धागा महंगा हो गया है, सरकार हमसे कपड़े नहीं खरीदती है, डिमांड भी कम हो गया है. ऐसे में हमारे पास बेचने के सिवा कोई रास्ता नहीं था.

जीएसटी की मार पावरलूम इंडस्ट्री में भी

मोहम्मद अशफाक अंसारी बताते हैं कि जीएसटी के लागू होने के बाद छोटे पावरलूम मालिकों की कमर टूट गई है. क्योंकि जो धागा पहले 160 रुपये किलो में मिलता था, अब वो 200-220 रुपये का मिलता है. कपड़े का ऑर्डर बड़े महाजन के पास आता है.

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“अखिलेश यादव को तो पता ही नहीं था गोरखपुर के बुनकरों के बारे में”

उबैद उर रहमान कहते हैं कि मुलायम सिंह की सरकार छोड़कर किसी भी सरकार ने बुनकरों के लिए कुछ खास नहीं किया. यहां तक कि पांच साल यूपी का सीएम रहने के बाद भी अखिलेश यादव को गोरखपुर के बुनकरों के बारे में पता नहीं था. यहां बुनकर रहते हैं ये भी वो नहीं जानते थे.

बुनकरों की बदहाली का यह आलम है कि उन्हें 20 साल पहले की दर से ही मजदूरी मिल रही है. 20 साल पहले भी उन्हें पांच रुपये प्रति मीटर की दर से पैसा मिलता था और आज भी तकरीबन यही स्थिति है.
उबैद उर रहमान, बुनकर

बुनकरों की सरकार से क्या है मांग?

अजीजुल अंसारी कहते हैं कि सरकार से हम चाहते हैं कि सरकार हम गरीब बुनकरों से कपड़ा खरीदे. सरकारी स्कूलों में जो कपड़े बच्चों को दिए जाते हैं वो कपड़े सरकार गरीब बुनकरों से खरीदे.

अब देखना है कि क्या योगी आदित्यनाथ अपने इन पड़ोसियों की परेशानी में इनके साथ खड़े होते हैं या फिर इन बुनकरों कोऔर इंतजार करना होगा?

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Published: 16 May 2019,08:02 PM IST

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