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चुनाव 2019: हाजीपुर के केला किसान क्‍यों हैं इतने परेशान

केला किसानों की सरकार से क्या हैं मांग?

शादाब मोइज़ी
वीडियो
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केला किसान क्यों हैं परेशान
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केला किसान क्यों हैं परेशान
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

वीडियो प्रोड्यूसर: मौशमी सिंह

बिहार के हाजीपुर के केले की देशभर में खास पहचान है. यहां कई किस्‍म के ऐसे केले हैं, जो देशभर में पसंद किए जाते हैं. लेकिन इसको उगाने वाले किसान परेशानी के दौर से गुजर रहे हैं.

केला किसान रामप्रताप दास कहते हैं, “आपके लिए केला सिर्फ एक फल है, जिसे खाया तो भी ठीक, नहीं खाया तो भी ठीक. लेकिन ये हमारे लिए जिंदगी है. हम लोगों की कमाई का जरिया है.”

गंगा नदी पर बने गांधी सेतु से पटना से हाजीपुर की तरफ बढ़ने पर पुल के ऊपर से ही चारों तरफ केले के खेत दिख जाएंगे. यहां अलग-अलग किस्‍म के केले हैं, चिनिया, मालभोग, महाभोग, गठिया, मुठिया.

कहते हैं कि केले की खेती बेहद फायदेमंद है, फिर अब क्यों किसान घाटे की बात कर रहे हैं? क्यों किसान खेती छोड़, मजदूरी करने को मजबूर हैं? यही जानने के लिए क्विंट पहुंचा हाजीपुर.

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केले की खेती करने वाले विमल दास कहते हैं कि इसकी खेती में सबसे ज्यादा नुकसान बाढ़ के समय में होता है. वे कहते हैं, ''केले का पेड़ पानी में गल जाता है, नया बीज लगाते भी हैं तो उसे बढ़ने में तीन साल का वक्त लगता है. तब तक क्या करेगा किसान? कैसे जिंदगी गुजारेगा?''

केला किसान मिथिलेश कुमार बताते हैं कि बाढ़ के बाद सरकार की तरफ से मदद के नाम पर सिर्फ 1600 रुपये मिले थे. उन्‍होंने कहा कि अगर नुकसान को देखें, तो कम से कम 5000 रुपये मिलना चाहिए था.

केले की खेती छोड़ करने लगे मजदूरी

हाजीपुर के नवादा खुर्द इलाके में साइकिल से जा रहे एक किसान राजिंदर राय से हमारी मुलाकात हुई. उनसे जब हमने केले की खेती के बारे में जानने की कोशिश की, तो उन्होंने बताया कि वो अब केले की खेती नहीं करते हैं.

‘’पहले केले की खेती करते थे, लेकिन उसमें बहुत नुकसान होने लगा. जितना खर्च होता, उतनी कमाई भी नहीं हो पाती. इस वजह से खेती छोड़ कर मजदूरी करने लगे.’’

नीलगाय के हमले से परेशान किसान

उमेश प्रसाद सिंह बताते हैं कि प्राकृतिक आपदा तो समझ में आता है, लेकिन नीलगाय का क्या करें. वे कहते हैं, ''नीलगाय केले के खेत में घुसकर सारा पेड़ खा जाती है. नीलगाय से बचाव के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है.''

किसानों की सरकार से क्या हैं मांग?

केला किसान विमल दास कहते हैं कि सरकार को केले के लिए जो खाद लगता है, उसका दाम कम हो. अभी खाद का दाम 1500 रुपये है. यूरिया 150 रुपये होना चाहिए. किसानों को डीजल सस्ते में मिलना चाहिए.

एक और केला किसान विंदेश्वर राय कहते हैं कि छोटी जरूरत को केले के लिए कोई कलेक्शन सेंटर बनवाना चाहिए, ताकि एक फिक्स्ड रेट पर केला मार्किट में बिके. बिचौलिए से तब बच पाएगा किसान.

चुनाव के बारे में पूछने पर लगभग सभी किसानों ने खुले तौर पर कहा कि नेताओं ने सिर्फ धोखा दिया है. इनका कहना है कि केला छोड़ दीजिये उसके अलावा जो भी जरूरत की चीजें हैं, वो भी सरकार नहीं दे सकी. सड़कें खराब हैं, नौकरी कहीं है नहीं, लेकिन वोट चाहिए.

रामविलास पासवान नहीं लड़ रहे हैं चुनाव

हाजीपुर में पांचवें चरण में 6 मई को चुनाव होने हैं. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से एलजेपी के प्रमुख रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस को अपना उम्मीदवार बनाया है.  हाजीपुर से रामविलास आठ बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. वहीं, दूसरी ओर आरजेडी-कांग्रेस महागठबंधन की ओर से पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम को चुनावी मैदान में उतारा गया है.

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