Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019VIDEO | दलित अत्याचार के बढ़ते मामले आखिर किस ओर इशारा कर रहे हैं?

VIDEO | दलित अत्याचार के बढ़ते मामले आखिर किस ओर इशारा कर रहे हैं?

क्या ‘ऊंची जाति’ गुंडागर्दी का लाइसेंस है?

नीरज गुप्ता
वीडियो
Published:
देश भर में दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं.
i
देश भर में दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं.
(फोटो ग्राफिक्स : श्रुति माथुर/ द क्विंट)

advertisement

वीडियो एडिटर- विवेक गुप्ता

कैमरा- शिव कुमार मौर्या

ये क्या हो गया है हमें? हम इंसान से शैतान क्यों बनते जा रहे हैं? 21वीं सदी के इस 18वें साल में भी हम किसी इंसान को इसलिए जान से मार देते हैं, क्योंकि वो तथाकथित छोटी जात का है...क्योंकि वो दलित है...क्योंकि आपको लगता है कि वो आप सा नहीं है?

दलितों पर अत्याचार की खबरें बढ़ीं

देश भर में दलितों पर अत्याचार की खबरें इस कदर बढ़ी हैं गोया दलित कोई इंसान ना हो जानवर हो और सरकार ने जिसके कत्ल पर सजा के बजाय इनाम रखा हो.

हाल में गुजरात के राजकोट का एक वीभत्स, बेरहम और डरावना वीडियो सामने आया.

राजकोट में कुछ लोगों ने चोरी के इल्जाम में एक दलित को पीट-पीटकर मार डाला. (वीडियो ग्रैब)

वीडियो में कुछ लोग एक दलित को रस्सी से बांधकर पीट रहे हैं. वो गिड़गिड़ा रहा है, अपनी जान की भीख मांग रहा है, लेकिन उसे ये भीख नहीं मिलती और वो तड़प-तड़पकर मर जाता है.

जान गंवाने वाले युवक पर इल्जाम चोरी का था, लेकिन आप होते कौन हैं किसी को सजा देने वाले? क्या आप पुलिस हैं? कानून हैं या फिर आपकी ऊंची जाति ने आपको ये लाइसेंस दिया है कि जाओ, जाकर किसी भी दलित की, मजबूर की जान ले लो.. तुम्हें कुछ नहीं होगा.

ये कोई अकेली घटना नहीं है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
  • उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक दलित युवक को सरेआम गोली से उड़ा दिया जाता है. वजह- उसने ऊंची जाति की लड़की से मोहब्बत का जुर्म किया था.
  • राजस्थान के भीलवाड़ा में ऊंची जाति के लोग दलितों की एक बारात पर हथियारों के साथ हमला करते हैं, क्योंकि दलित दूल्हा घोड़ी पर बैठा है. क्यों भाई- क्या घोड़ी पर बैठने का हक सिर्फ आपको, ऊंची जात वालों को है? किसने तय किया ये?
  • यूपी के बागपत में गुर्जर समुदाय के लोगों से डरकर दर्जनों दलित अपना घर-बार छोड़कर भाग गए.

कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, बिहार यानी पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण हर तरफ दलित गाली भी खा रहे हैं और गोली भी.

आप ऐसा कर क्यों रहे हैं? क्या इसलिए कि दलितों की आर्थिक और सामाजिक हालत कुछ सुधर रही है? लेकिन इसके बावजूद हुकम के सारे इक्के तो ऊंची जातिवालों के पास ही हैं ना. चाहे वो शिक्षा हो, नौकरी हो, मेडिकल सुविधाएं हो, रहना-खाना हो या कुछ भी हो.

और हमारे हुक्मरान, वो क्या कर रहे हैं? वो दलितों के घर खाना खाते हैं. चुनावों में उनके लिए घोषणाएं करते हैं, लेकिन उनके खिलाफ जुल्मो-सितम पर चुप रहते हैं. इस चुप्पी का मतलब क्या समर्थन नहीं है, उन गुंडों को जो अपनी ऊंची जात को भगवान का दिया कोई ‘वरदान’ समझते हैं?

गांधी जी ने कहा था-

अगर हम भारत की आबादी के पांचवें हिस्से (दलितों) को स्थायी गुलामी की हालत में रखना चाहते हैं तो ‘स्वराज’ एक अर्थहीन शब्द मात्र होगा.
महात्मा गांधी

कैसा विरोधाभास है? खुद को देशभक्त कहते हैं और दलितों के मामले में गांधी जी के आदर्शों को जूती पर रखते हैं.

आजकल जो हालात हैं ना, उनमें कवि ऋषभदेव शर्मा की ये कविता याद आती है-

धर्म, भाषा, जाति, दल का, आजकल आतंक है

इन सभी का दुर्ग टूटे, एक ऐसा युद्ध हो

भर दिया भोले मनुज के, कंठ में जिसने जहर

वो प्रचारक मंच टूटे, एक ऐसा युद्ध हो

रंग के या नस्ल के हित, जो कि नक्शा नोच दे

क्रूर वो नाखून टूटे, एक ऐसा युद्ध हो

खून का व्यवसाय करते, लोग कुर्सी के लिए

वोट की दुकान टूटे, एक ऐसा युद्ध हो

… एक ऐसा युद्ध हो.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT