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कासगंज में दलित बारात को DM साहब राजनीतिक स्टंट क्यों बता रहे हैं?

कब कटेंगे सोच पर पड़े जाले?

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वीडियो एडिटर- पूर्णेन्दु प्रीतम

“वो लोग कह रहे हैं हमारे पैर नहीं पड़ेंगे, हम कह रहे हैं हम बारात गांव में निकलने नहीं देंगें. ठाकुर हमेशा ठाकुर रहेगा, विवाद तो होकर रहेगा.” ये कहना है कासगंज के निजामपुरा गांव की उर्मिला देवी का जो जाहिर है, एक ठाकुर परिवार से हैं.

400 की आबादी वाले इस गांव में ठाकुरों का दबदबा है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां ठाकुरों और दलितों के बीच टकराव चल रहा है. इसकी वजह है, कि यहां के दलितों ने कुछ ऐसा करने की ठान ली, जो इस गांव ने पहले कभी नहीं देखा. यहां दलितों की बारात ‘दलितों के इलाके’ तक ही सीमित रहती हैं. लेकिन इस बार उन्होने इस परंपरा को तोड़ने का मन बना लिया है. वो चाहते हैं बारात पूरे गांव में घूमती हुई निकले और ठाकुरों के घरों के सामने से भी गुजरे.

लेकिन इस बात से ठाकुर नाराज हैं. वो कह रहे हैं कि परंपरा को कोई इस तरह से नहीं तोड़ सकता. उनके घरों के सामने से बारात निकालने पर उन्होंने हिंसा की धमकी दी है.

दूल्हे संजय जाटव और दुल्हन शीतल की तरफ से DM, SP और कई प्रशासनिक अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर बारात के लिए सुरक्षा की मांग की गई ताकि बारात निकाली जा सके, लेकिन प्रशासन ने पहले मना कर दिया.

दुल्हन शीतल ने क्विंट से बातचीत करते हुए कहा, “मैं चाहती हूं मेरी शादी की बारात पूरे गांव से निकले”.

गांव के एक पुलिस अफसर का कहना है कि ठाकुरों की हिंसा की धमकी की वजह से ही पुलिस ने दलितों की अपील मानने से मना किया है.

रिपोर्टर- आप बारात के लिए इजाजत क्यों नहीं दे देते?

स्थानीय पुलिसवाला– अगर बारात के दौरान हिंसा होती है, या किसी ने घर की छत से दूल्हे पर गोली चला दी, तो कौन जिम्मेदार होगा?

रिपोर्टर – पुलिस जिम्मेदार होगी?

स्थानीय पुलिसवाला– पुलिस कितनी जिम्मेदारी ले सकती है? हम कहते हैं बारात मत निकालो, जो जैसा है रहने दो.

रिपोर्टर- तो आपको लगता है हिंसा होगी?

स्थानीय पुलिसवाला- आप बताइये, आप महिला हैं, फिर भी लोगों ने आप से ये सब कहा, हमसे क्या कहेंगे?

DM ने दूल्हे के नीयत पर ही सवाल उठा दिये. उन्होंने कहा

दूल्हा परंपरा नहीं बदलना चाहता बल्कि राजनितिक स्टंट करना चाहता है.
आरपी सिंह, डीएम कासगंज
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हालांकि ये सब कहने के बावजूद जब दबाव बढ़ा तो प्रशासन को बारात ले जाने की इजाजत देनी पड़ी. लेकिन इस शर्त के साथ की बारात का पूरा रूट पहले से तय होगा और सिर्फ कुछ ठाकुर घरों के सामने से बारात निकलेगी.

लेकिन इस मामले ने जाहिर कर दिया कि जातिवाद की पकड़ कितनी गहरी है. शीतल के अंकल का कहना है कि अब सोच बदलने की जरूरत है, निजामपुर में दलितों को नीचा दिखाना आम बात रही है.

(एंथोनी रोजारियो और अभिषेक रंजन का सहयोग)

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