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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
कैमरापर्सन: अभिषेक रंजन और ऐश्वर्या एस अय्यर
ऐसे बोल वाले गानों का काफी बोलबाला है. जलसों से लेकर शादियों तक और पहाड़ों से लेकर वादियों तक ये गाने बज रहे हैं. भोजपुरी ट्यूनिंग वाले इन ‘भगवा’ और ‘हिंदूवादी’ गानों को लाखों व्यूज मिलते हैं.
इन गानों की ‘पॉपुलैरिटी’ का सीक्रेट जानने के लिए हमने इसपर पूरी पीएचडी कर डाली, तो पेश-ए-खिदमत है ’हेट म्यूजिक’ की भगवा फैक्ट्री और उसके अनमोल रतन!
पहले नमूने के तौर पर आप लखनऊ के रहवासी सिंगर प्रेम कृष्णवंंशी के गाने के बोल पर नजर डालिए,
“हिंदू का है हिन्दुस्तान, द*%! जाओ पाकिस्तान
हिंदू का है हिन्दुस्तान, मु*%! जाओ पाकिस्तान”
यूट्यूब पर इसे 70 लाख व्यूज मिल चुके हैं.
बोल के साथ-साथ इन गानों में भड़काऊ तस्वीर का भी इस्तेमाल किया जाता है. बाबरी विध्वंस, कश्मीर में पत्थरबाजी, लिंचिंग जैसी ‘थीम’ पर ये गाने बनते और बिकते हैं. लेकिन क्या ऐसे बोल वाले गानों के लिए सिंगर पर हेट स्पीच फैलाने का केस दर्ज होता है?
TYPE 1: मुस्लिम विरोधी भगवा म्यूजिक के असली ट्रेंडसेटर- संदीप आचार्य
संदीप गर्व से अपने गानों और काम के बारे में हमें बताते हैं.
संदीप की यूट्यूब और शो के जरिए महीने की कमाई करीब 1.5 लाख रुपये है. वो बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और हिंदू युवा वाहिनी जैसे हिंदूवादी ग्रुप के लिए परफॉर्म करते हैं. वो हर महीने करीब 2-3 गाने रिलीज करते हैं.
TYPE 2: ‘चमकीले-भड़कीले’ इस्लामोफोबिया के साथ भोजपुरिया म्यूजिक कॉन्सर्ट- प्रेम कृष्णवंशी
TYPE 3: थोड़े संजीदा लेकिन ‘कट्टर हिंदू’- पवन वर्मा
हमसे बात करने के दौरान पवन अपने इस ‘फैक्ट’ पर जोर देते हैं.
इन गायकों के विचार और गानों के पीछे के मकसद और प्रेरणा जानने के बाद ये जानना जरूरी है कि कानून क्या कहता है. बता दें, इन गानों के भड़काऊ बोल भारतीय दंड संहिता के कई धाराओं का उल्लंघन कर रहे हैं.
IPC सेक्शन 153ए: धर्म, नस्ल, और भाषा के आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच नफरत पैदा करना
सजा: 3-5 साल की जेल+जुर्माना
IPC सेक्शन 295ए: धर्म या धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना
सजा: 3 साल की जेल+जुर्माना
IPC सेक्शन 505(2): धर्म के आधार पर लोगों के बीच दुश्मनी फैलाना
सजा: 3 साल की जेल+जुर्माना
लेकिन इसके बावजूद ये सिंगर कमाई के लिए ऐसे गाने बनाते हैं और नफरती भावनाएं फैलाते हैं, उसे मजबूत करते हैं.
हम तो आपके सामने सिर्फ 3 ‘अनमोल रतन’ लाए हैं लेकिन इंटरनेट का समुद्र तो ऐसे मोतियों से भरा पड़ा है. दिक्कत ये है कि पुलिस बेफिक्र है जबकि ये कानून-व्यवस्था कि जिम्मेदारी है कि वो ऑनलाइन कंटेंट पर निगरानी रखे. खासकर वो वीडियो जिसपर हजारों-लाखों व्यूज आते हैं और जो जानबूझकर मनोरंजन के नाम पर नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं.
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