advertisement
क्विंट हिंदी दिल्ली में यमुना (Yamuna Flood) से आए बाढ़ पर लगातार रिपोर्ट कर रहा है. ग्राउंड जीरो से ये हमारी तीसरी रिपोर्ट है.
पहली रिपोर्ट में हमने आपको दिल्ली के उन रिहायशी इलाकों, कॉलोनियों और निचले क्षेत्रों का हाल दिखाया जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए. इसके अलावा छतों राहत शिविरों के अंदर का भी हाल और लोगों की परेशानी दिखाई.
दूसरी रिपोर्ट में हमने आपको ये दिखाया कि दिल्ली के पर्यटन स्थलों, महत्वपूर्ण इमारतों और पॉश इलाकों में बाढ़ का क्या प्रभाव है. इसमें जानवरों को रेस्क्यू और महिलाओं की परेशानी भी आपने देखी.
तीसरी रिपोर्ट में हम आपको दिल्ली के उन इलाकों का हाल बता रहे हैं जहां बाढ़ का पानी उतर चुका है. पानी उतरने के बाद दिख रहा है कि घर का सारा सामान बर्बाद हो चुका है. बिस्तर से लेकर कपड़ों तक और खाने के बर्तन से लेकर जरूरी दस्तावेज तक, ज्यादातर चीजें खराब हो चुकी हैं. घरों के फर्श उखड़ गए हैं और दीवर में दरारें पड़ गई हैं. लोग अपने रिश्तेदारों के घर जा रहे हैं. कई दिनों से लाइट नहीं है. लोगों को बीमारियां हो रही हैं. घर और गलियों में चारों तरफ कूड़ा, कीचड़ और बदबू है. मच्छर पनप रहे हैं. बाढ़ प्रभावित परिवारों में मायूसी और आंखों में आंसू है. बच्चे अपने खिलौने, किताबें घरों में छोड़कर आए हैं. कई बच्चों कों राहत शिविरों से ही पढ़ने के लिए स्कूल जाना पड़ रहा है और स्कूल से वापस राहत शिविर में आ रहे हैं.
इस बीच कई लोग, संस्थान और प्रशासन इनकी मदद के लिए सामने आया है, लेकिन लोगों की परेशानी इतनी ज्यादा है कि कोई भी मदद फिलहाल छोटी नजर आ रही है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)