advertisement
कतर में आयोजित हो रहा फीफा वर्ल्डकप (FIFA World Cup Qatar 2022) शुरू होने से पहले ही विवादों में आ गया था. 2010 में कतर पर मेजबानी खरीदने का आरोप लगा था. और 2022 में जब ये शुरू होने जा रहा था उससे ठीक पहले शराब पर बैन, मीडिया कवरेज से मना किया जाना, LGBTQ+ कम्युनिटी से आने वाले खिलाड़ियों और फैन्स की सुरक्षा के सवाल पर फिर विवादों में आ गया. दरअसल फुटबॉल वर्ल्ड कप से विवादों का पुराना नाता रहा है. आइए आपको वर्ल्ड कप से जुड़े कुछ सबसे बड़े विवादों के बारे में बताते हैं.
दूसरा विश्वयुद्ध तब शुरू नहीं हुआ था. लेकिन इस युद्ध की एक झलक 1938 के फीफा वर्ल्डकप में नजर आई थी, इटली और फ्रांस के बीच क्वार्टर फाइनल मैच के दौरान. उस वक्त इटली में मुसोलिनी का राज था, एक फासीवादी सरकार का और इस फीफा वर्ल्डकप की मेजबानी कर रहा था फ्रांस.
साफ तौर पर ये फ्रांस की टीम और दर्शकों का अपमान था. क्योंकि फ्रांस इटली में फासीवादी सत्ता का विरोधी था. जाहिर था दर्शकों को बहुत गुस्सा आया. लेकिन इटली की टीम ने फिर एक और काम किया… मैच शुरू होने से पहले फासीवादी सलामी भी दी. खैर मैच में कोई झगड़ा तो नहीं हुआ. दोनों टीमें खेलीं और इटली ने मैच जीता, फिर विश्वकप भी.
कोलंबिया में एक वार्म-अप मैच था. इंग्लैंड की टीम पूरी तैयारी में थी. मैच की शुरुआत से ठीक पहले कोलंबिया की पुलिस स्टेडियम में आती है और इंग्लैंड के कप्तान बॉबी मुअह को ले जाती है. उनपर एक ज्वैलरी शॉप से ब्रेसलेट चोरी करने का आरोप लगता है जिसकी कीमत 600 पौंड थी. इंग्लैंड के कप्तान बॉबी को 4 दिन तक होटल अरेस्ट रखा जाता है. फिर समझौते होते हैं उन्हें खेलने की अनुमति मिलती है. लेकिन ये केस दो साल तक चला था.
1994 के फीफा वर्ल्डकप में नॉक्आउट् राउंड में अमेरिका का मुकाबला कोलंबिया से था. एन्द्रेस एस्कोबार कोलंबिया के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे. मैच के दौरान अमेरिकी खिलाड़ियों के प्रहार का बचाव करते हुए इनसे अपने ही पाले में गोल हो जाता है. अमेरिका जीतता है और कोलंबिया टूर्नामेंट से बाहर हो जाता है. अमेरिका ही इस विश्वकप में विजेता बनता है. और इसके ठीक 10 दिन बाद एन्द्रेस एस्कोबार की गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी.
ये हादसा फुटबॉल इतिहास में इंग्लैंड के लिए दर्द भरी याद है. बात 1986 फीफा वर्ल्डकप की है. क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड की टीम का मुकाबला अर्जेंटीना से था. मैच के 51वें मिनट में बॉल हवा में उछलती है, अर्जेंटीना के मशहूर खिलाड़ी डिएगो माराडोना तेजी से हरकत करते हैं और गोल कर देते हैं जबकि इंग्लैंड की टीम के गोल कीपर पीटर शिल्टन, माराडोना से कद में 8 इंच लम्बे थे.
यहां बहुत साफ था माराडोना ने गेंद को धकेलने के लिए अपने हाथ का इस्तेमाल किया था. इंग्लैंड की टीम अपील करती है लेकिन तब तक रेफरी फैसला दे चुके थे, इसलिए इसे एक गोल गिना जाता है. इंग्लैंड ये मैच हार जाती है.
बाद में एक इंटरव्यू में जब माराडोना से पूछा गया कि ये गोल कैसे हुआ था तो उन्होंने जवाब दिया -
ये घटना है 1974 के वर्ल्डकप की है. टूर्नामेंट अपने अंत तक पहुंच चुका था. वेस्ट जर्मनी मेजबान देश था. नीदरलैंड का फाइनल में मुकाबला वेस्ट जर्मनी से ही होने जा रहा था. लेकिन मैच से ठीक एक रात पहले डच टीम के साथ स्कैंडल हो जाता है.
डच खिलाड़ी इसके बाद फोन पर घंटों बिताते हैं ताकि अपनी बीवियों को समझा सकें. अगले दिन नीदरलैंड वेस्ट जर्मनी से फाइनल भी हार जाती है.
बात 1966 के फीफा वर्ल्डकप की है. फाइनल इंग्लैंड और वेस्ट जर्मनी के बीच था. मैच के अंतिम क्षणों में इंग्लैंड के खिलाड़ी जोफ हर्स्ट शॉट लेते हैं गेंद गोल पोस्ट के ऊपरी हिस्से से टकरा कर गोल लाइन के बिलकुल करीब गिरती है. रेफरी कंफ्यूज था तो वो लाइनमैन की तरफ इशारा करता है. लाइनमैन सोवियत रूस से था, नाम था बाखरामोव. गेंद लाइन के करीब गिरकर ग्राउंड से बाहर हो गई थी फिर भी लाइनमैन इसे गोल बताता है. इंग्लैंड जीत जाता है, वेस्ट जर्मनी की हार होती है.
बाद में जब लाइनमैन बाखरामोव अपने पैर कब्र में लटकाए हुए थे तब उनसे इस विवादस्पद गोल के बारे में पूछा गया था. तो उन्होंने जवाब में एक शहर का नाम लिया था 'Stalingrad.' ये रूस का वो शहर है जहां दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी की नाजी सेना ने सोवियत रूस के 75000 सैनिकों की हत्या की थी.
2010 के फीफा वर्ल्डकप का ये काफी बड़ा विवाद था. फ्रांस की टीम मैक्सिको से 2-0 से मैच हारी थी. इसी मैच के दौरान फ्रेंच टीम के कोच रेमंड डोमेनिक और फ्रांसीसी टीम के स्ट्राइकर निकोलस अनेल्का के बीच ड्रेसिंग रूम में बहस हुई थी. अनेल्का पर आरोप था कि उन्होंने कोच को अपशब्द कहें हैं. फ्रांस का फुटबॉल महासंघ अनेल्का को वापस घर भेजने का फैसला लेता है.
लेकिन अगले मैच में फ्रांसीसी टीम अनेल्का के समर्थन में ट्रेनिंग से मना कर देती है और कोच डोमेनिक के खिलाफ हड़ताल कर देती है. ये कोच डोमेनिक के लिए काफी बड़ा अपमान था. इसके बाद फ्रांसीसी खिलाड़ियों की भी फ्रेंच मीडिया में काफी आलोचना हुई थी. उनकी इस हड़ताल को लोगों ने फ्रेंच कल्चर के खिलाफ बताया था और वर्ल्डकप के खत्म होने के बाद भी काफी दिन तक फ्रांस में ये बहस का मुद्दा बना रहा था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)