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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
महाराष्ट्र में (Maharashtra) मूसलाधार बारिश, भूस्खलन, बाढ़ की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. महाराष्ट्र लगातार बाढ़ की मार झेल रहा है. आज भी हम इतनी बड़ी आपदा का अनुमान लगाने में असमर्थ क्यों हैं? क्विंट हिंदी से खास बातचीत में समझा रहे हैं मौसम वैज्ञानिक और PhD रिसर्चर अक्षय देवरास.
क्यों कोंकण और महाराष्ट्र झेल रहा लगातार बाढ़ की मार?
सह्याद्रि पर्वत के पश्चिम घाट भारी बारिश की एक बड़ी वजह हो सकते हैं. वहीं पिछले कुछ सालों में बारिश का पैटर्न भी बदला है. नदियों के प्रवाह में बनाए गए अवैध निर्माण बाढ़ की सबसे बड़ी जड़ हैं.
आज भी हम इतनी बड़ी आपदा का अनुमान लगाने में असमर्थ क्यों?
सटीक मेटेरोलॉजी और हैड्रोलॉजी का असर आपदा को भांप सकता है. लेकिन वहीं विशिष्ट जगहों का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है. महाबलेश्वर में एक दिन में 500 मिमी बारिश होगी, ये अनुमान है और ऐसा किसी ने नहीं सोचा था.
किन समस्याओं का तुरंत उपाय निकालना है जरूरी?
भारी बारिश की वजह से कई चीजें एकदम होती हैं, इसलिए पहले से भूस्खलन और बाढ़ संभावित क्षेत्रों की पहचान करना जरूरी है, ताकि नुकसान कम हो और ज्यादा से ज्यादा जानें बचाई जा सके. ऐसा करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को सुरक्षित स्थलों पर शिफ्ट करना जरूरी है. मानसून के ड्राई स्पेल्स के दौरान डैम से अतिरिक्त पानी का डिस्चार्ज करेंगे तो बड़ी मदद हो सकती है.
निकट भविष्य में ऐसी स्थिति को कैसे संभाला जाए?
डिजास्टर मैनेजमेंट और स्थानीय प्रशासन में समन्वय बढ़ाना जरूरी है, इससे गोल्डन हार में मदद पहुंचने में मदद होगी.
क्या इन घटनाओं के लिए क्लाइमेट चेंज जिम्मेदार है और क्या आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी?
हाल की घटनाएं क्लाइमेट चेंज का एम्प्लीफिकेशन हो सकती है. इस पर दीर्घकालीन रिसर्च की जरूरत है. छोटे-छोटे पर्यावरणीय बदलाव को रोकने की जरूरत है. अवैध निर्माण और नदी के बहाव को बदलना सबसे घातक बनता जा रहा है, ऐसा करने से बचना चाहिए.
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