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क्विंट इम्पैक्ट:बिहार अपने घर पहुंचे कश्मीर में फंसे सैकड़ों मजदूर

तीन महीने से कश्मीर के शोपियां में फंसे थे बिहार के मजदूर

कौशिकी कश्यप
वीडियो
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कश्मीर के शोपियां में लॉकडाउन के बाद से फंसे थे बिहार के मजदूर
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कश्मीर के शोपियां में लॉकडाउन के बाद से फंसे थे बिहार के मजदूर
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: कुनाल मेहरा

हर खबर के असर पर खुशी होती है, लेकिन इस बार हमारी खुशी दो गुनी,चार गुनी नहीं सैकड़ों गुनी ज्यादा है. 23 मई 2020 को क्विंट ने कश्मीर के शोपियां में कोरोना वायरस लॉकडाउन में फंसे बिहार के मजदूरों की कहानी दिखाई थी. उस रिपोर्ट में मजदूरों ने अपनी  दिक्कतों और दर्द के बारे में बताया था. उस खबर का असर हुआ है, ये मजदूर अब घर पहुंच गए हैं.

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सोशल एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने सोशल मीडिया पर क्विंट की वीडियो रिपोर्ट देखकर मजदूरों को घर पहुंचाने का बीड़ा उठाया. अब शोपियां में फंसे बिहार के 88 मजदूर अपने गांव पहुंच चुके हैं.

योगिता ने मजदूरों की दिक्कतों को देखा और क्विंट से संपर्क किया. इसके बाद प्रशासन से लगातार बातचीत कर मजदूरों की वापसी सुनुिश्चित कराई.

योगिता ने सिर्फ उन मजदूरों की ही मदद नहीं की. इसके बाद उन्होंने कश्मीर में अलग-अलग जगह फंसे 175 मजदूरों को भी एयरलिफ्ट कराया और उनके घर पहुंचाया.

“शोपियां में फंसे मजदूरों के लिए पहल करने के बाद से हमें काफी फोन आने लगे. हमने 25-30 की संख्या में मजदूरों को एक बार में एयरलिफ्ट कर बिहार और अन्य राज्यों तक पहुंचाने का काम करना शुरू किया. हम लॉकडाउन की शुरुआत से ही ये काम कर रहे हैं, उन लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं जिन्हें कोई इमरजेंसी हो. लेकिन क्विंट की रिपोर्ट देखकर, मुझे महसूस हुआ कि कश्मीर में मजदूरों के साथ दिक्कतें ज्यादा हैं. उन्हें ज्यादा मदद की जरूरत है. मैं आगे भी ये कोशिश करती रहूंगी.”
योगिता भयाना, सोशल एक्टिविस्ट

इन मजदूरों को योगिता की मदद मिलना, इनका शोपियां के कैंप से निकलकर अपने घर पहुंचना हमारा हौसला बढ़ा रहा है.

और हमें ये बता रहा है कि क्यों हमें ऐसी कहानियां आपके सामने लाते रहनी चाहिए. हम हम पूरी शिद्दत से ये करते रहें हैं और आगे भी करते रहें, इसलिए हमें आपका भी सपोर्ट चाहिए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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