advertisement
(क्या पीएम मोदी के स्टार सांसदों के गांवों को गोद लेने से उनके ‘अच्छे दिन’ आ गए? सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इन गोद लिए गए गांवों का क्या हाल है, देखिए क्विंट की ग्राउंड रिपोर्ट.)
नवंबर 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर का पाचगांव गांव गोद लिया था. इस गांव की आबादी 5000 है.
उन्होंने गांव में पक्की सड़कें बनवाने, साफ सफाई सुविधाएं और साफ पानी मुहैया कराने के साथ एक वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगवाने का वादा किया. मूल रूप से बात ये थी कि इस गांव को कम से कम बुनियादी सुविधाएं जरूर मिलें.
गोद लेने के बाद गांव में 15 प्रोजेक्ट शुरु किए गए जिसके लिए अब तक 18 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. गांव में प्रोजेक्ट की जानकारी सार्वजनिक की गई है जिससे गांव वाले खुश नजर आएं.
हमारे सांसदों के गांव:अच्छे दिन? क्विंट हिंदी की इस खास सीरीज में ये आठवां गांव है जिसके हालात हम आपको दिखा रहे हैं. इससे पहले हमने पीएम नरेंद्र मोदी, मथुरा से सांसद हेमा मालिनी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद प्रधान , विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के गोद लिए गांवों पर भी रिपोर्ट पेश की थी.
सांसदों से उम्मीद की जाती है कि वो अपने गोद लिए गांवों को बेहतर और आदर्श बनाने की दिशा में काम करेंगे. इनमें से कुछ लक्ष्य हैं:
इस योजना के तहत सरकार का उद्देश्य मार्च 2019 तक हरेक संसदीय क्षेत्र में तीन गांवों को आदर्श ग्राम बनाना था जिसमें से कम से कम एक गांव को 2016 तक ही ये लक्ष्य हासिल करना था.
क्विंट के ग्राउंड रिपोर्ट में पाचगांव में चल रहे विकास कार्य का ब्योरा निकलकर सामने आया.
हॉस्पिटल के लिए 1.5 करोड़ रुपये बजट दिए गए थे जिसका निर्माण कार्य दिसंबर 2018 तक होना था लेकिन काम की रफ्तार धीमी चल रही है.
1.44 करोड़ रुपए की लागत से स्कूल भी बन चुका है लेकिन पानी की सप्लाई न होने से बेकार पड़ा है.
गांव में 6 करोड़ की लागत से ई-लाइब्रेरी बनी है. 6 करोड़ खरेच कर सीमेंट की सड़कें बनवाई गई हैं. 12 लाख एंबुलेंस सर्विस पर खर्च किए गए हैं. गांव में हुए कुछ ‘विकास’ से लोग खुश हैं लेकिन प्रोजेक्ट में देरी से थोड़े फिक्रमंद भी हैं.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)