Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Joshimath: उत्तराखंड का एक इलाका फट रहा, हजारों की जान खतरे में -ग्राउंड रिपोर्ट

Joshimath: उत्तराखंड का एक इलाका फट रहा, हजारों की जान खतरे में -ग्राउंड रिपोर्ट

Joshimath की सड़कों, मकानों, होटलों और सरकारी इमारतों में 2 इंच से लेकर 1 फिट तक की दरारें देखी जा सकती हैं.

पीयूष राय
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>उत्तराखंड का एक इलाका फट रहा, हजारों की जान खतरे में</p></div>
i

उत्तराखंड का एक इलाका फट रहा, हजारों की जान खतरे में

(फोटो: Altered by Quint Hindi)

advertisement

किसी ने पूरी जिंदगी पाई-पाई जोड़कर एक घर बनाया. किसी की पूरी जिंदगी की यादें उसके घर की दीवारों में है. लेकिन अब ये घर जमीन में धंस रहे हैं. घर ही नहीं, घर के बाहर की सड़क भी दरक रही है. होटल, दफ्तर सब टूट रहे हैं. ये हो रहा उत्तराखंड के जोशीमठ में. यहां लोगों के पास दो ही विकल्प हैं. या तो अपने आशियाने छोड़कर विस्थापित हो जाएं तो फिर अपनी और अपने बच्चों की जिंदगी को खतरे में डालें. तो आखिर उत्तराखंड का एक पूरा इलाका क्यों धंस रहा है? क्या कुछ किया जा सकता है? स्थानीय लोगों पर क्या बीत रही है? एक्सपर्ट क्या कहते हैं? प्रशासन क्या कर रहा है. देखिए क्विंट की इस ग्राउंड रिपोर्ट में

चमोली जिले के कस्बे में जमीन धंसने और लैंड स्लाइड की वजह से कई जगहों पर दरार पड़ गई है. नगर पालिका क्षेत्र के 9 वार्डों में सड़कों, मकानों, होटलों और सरकारी इमारतों में 2 इंच से लेकर 1 फिट तक की दरारें देखी जा सकती है. ऐसे में 550 से ज्यादा परिवार बेघर होने की कगार पर आ गए हैं. वहीं, मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए हैं.

टनल के लिए खुदाई को बताया जा रहा बड़ा कारण

जोशीमठ के स्थानीय लोग इसके पीछे एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इस योजना के तहत पहाड़ों को काटकर लंबी सुरंग बनाई जा रही है. 2 साल पहले शुरू हुई जल विद्युत परियोजना के बाद से ही यहां जमीन पर दरारें पड़ने का सिलसिला शुरू हुआ है.

नवंबर 2021 में भी स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी. जोशीमठ के व्यापारी विनय रावत बताते हैं कि जोशीमठ का अस्तित्व बचाना जरूरी है. सरकारी परियोजनाओं के चलते पूरे शहर में टनल बनाने के लिए ब्लास्ट किए जा रहे हैं, जो खतरे की घंटी है.

"जोशीमठ में जगह-जगह ऐसा हो रहा है. इसकी जिम्मेदार एनटीपीसी है. एनटीपीसी द्वारा जोशीमठ के नीचे पूरा जाल बिछा रखा है. स्थानीय प्रशासन और यहां की सरकार जोशीमठ की कोई सुध नहीं ले रही है, जिसकी वजह से लोग सड़कों पर उतर आए हैं. दूसरी कंपनी निर्माण कंपनी है, जो जोशीमठ की जड़ों को ब्लास्ट कर के हिला रही है, जिस कारण यहां काफी ज्यादा भू धसाव है. कई के घर फट चुके हैं, कई में दरारें पड़ गई हैं."
विनय रावत, व्यापारी

जमीन धंसने से लोगों के घर में पड़ रही दरारें.

फोटो- क्विंट हिंदी

"पिछले एक साल से जमीन धंसने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. कई परिवार छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ सरकारी मदद के सहारे रातें काट रहे हैं. सरकार को इस समस्या के लिए ठोस नीति बनानी चाहिए."
संजय भंडारी, सभासद,
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

कई लोगों ने घर छोड़ा, कुछ खुले में रहने को मजबूर

जमीन धंसने से कई परिवार प्रभावित हो रहे हैं और अपने घरों में ताला लगाकर सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं. कई लोग तो खुले में ही रहने को मजबूर हैं. नगर पालिका क्षेत्र के 9 वार्डों के 550 से ज्यादा घर समस्या में है. इनमें से ज्यादातर घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जबकि कई घरों में मोटी दरारे पड़ गई हैं.

जोशीमठ में घर छोड़ने को मजबूर लोग

(फोटो: मधुसूदन जोशी)

स्थानीय प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक. करीब तीन से चार हजार लोग प्रभावित हैं. कुछ 25 परिवारों को प्रशासन ने सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली के डीएम को मामले की विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के साथ-साथ प्रभावित परिवारों के लिए जरूरी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं. सीएम ने कहा कि हालात का जायजा लेने के लिए जल्द ही वे खुद जोशीमठ का दौरा करेंगे. चमोली के डीएम हिमांशु खुराना ने अधिकारियों की टीम के साथ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया है.

"इलाके में कई घरों और खेतों में दरारें आ रही हैं. शासन ने कमेटी गठित की है, जो इसकी जांच में जुटी है. प्रभावित लोगों के लिए राहत कार्य शुरू कर दिया गया है. लोगों को नगर पालिका ऑफिस, प्राइमरी स्कूल और दूसरी सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर उनके रहने की अस्थाई व्यवस्था की गई है. घटना से कुल कितने घर और लोग प्रभावित हुए हैं उसके भी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं."
हिमांशु खुराना, डीएम, चमोली

जोशीमठ में लोग परेशान हैं, गुस्से में हैं और लगातार सरकार से मुआवजा देने और जल विद्युत परियोजना को बंद करने की गुहार लगा रहे हैं. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले मुख्य बाजार में इकट्ठा हुए लोगों ने मशाल जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन किया.

मशाल जलाकर लोगों ने किया प्रदर्शन

फोटो- क्विंट हिंदी

जोशीमठ नगर पालिका के चेयरमैन शैलेंद्र पवार का कहना है कि जल विद्युत परियोजना शुरू होने से पहले एनटीपीसी से सभी भवनों का बीमा कराने की बात कही गई थी. कंपनी ने इस बात को नहीं माना और इसका खामियाजा जोशीमठ की जनता को भुगतना पड़ रहा है. सरकार को भू- वैज्ञानिकों की स्वतंत्र कमेटी बनाकर जमीन धंसने की जांच करानी चाहिए.

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज के संस्थापक, अनूप नौटियाल ने उत्तराखंड सरकार को सुझाव देते हुए कहा, "जोशीमठ में रहने वाले लोगों को तुरंत वहां से निकाला जाए. वहां के रिहायशी इलाकों को कैटेगरी में डालकर वहां से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए. इस प्लान को लीड करने के लिए एक अफसर की जरूरत है, जो केवल इसपर काम करे."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 05 Jan 2023,01:01 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT