उत्तराखंड (Uttrakhand) के जोशीमठ (Joshimath) में पिछले एक साल से ज्यादा से भूस्खलन (Landslide) की घटनाएं हो रहीं हैं. जिससे जोशीमठ के सैकड़ों घरों में दरारें आ गयी हैं, इससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं. लोगों के आशियाने उजड़ रहे हैं. लोग सालों की मेहनत से बनाए अपने घरों से सड़क पर आने को मजबूर हैं. मीडिया में यह मुद्दा सुर्खियों में भी रहा लेकिन उसके बावजूद शासन-प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया.
खुदाई से हिली घरों की नीवें
जोशीमठ के सैकड़ों घर, अस्पताल सेना के भवन, मंदिर, सड़कें, प्रतिदिन धंसाव की जद में हैं और यह हर दिन बढ़ रहा है. 20 से 25 हजार की आबादी वाला जिला अनियंत्रित अदूरदर्शी विकास (शार्ट-टर्म डेवलपमेंट) की भेंट चढ़ रहा है. एक तरफ तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना की एनटीपीसी की सुरंग ने जमीन को भीतर से खोखला कर दिया है दूसरी तरफ बायपास सड़क जोशीमठ की जड़ पर खुदाई करके पूरे शहर की बुनियाद को नीचे से हिला रही है.
एक तरफ जनता पिछले एक साल से ज्यादा से परेशान है, तो दूसरी तरफ जनता का आरोप है कि शासन-प्रशासन खामोश तमाशा देखता नजर आ रहा है. जोशीमठ के स्थानीय प्रशासन ने एक साल में तमाम बार लिखने और कहने के बावजूद घरों का सर्वे नहीं किया. दिसंबर के पहले हफ्ते में बहुत जोर डालने पर नगर पालिका को प्रभावितों की गिनती करने को कहा गया.
नगर पालिका ने आदेश के क्रम में 3000 लोगों को चिन्हित किया जो आपदा आने पर प्रभावित होंगे.
आपदा से बचाव के उपाय करने के बजाय आपदा की प्रतीक्षा करने का यह रवैया समझ से परे है. 24 दिसंबर को सरकार के इस कदम के खिलाफ हजारों की संख्या में जनता सड़कों पर उतरी. लोगों ने तत्काल पुनर्वास की मांग करते हुए प्रदर्शन किया.
लोग इस सर्दी के मौसम में दरारों से पटे घरों में बल्लियों के सहारे घर टिकाए रहने को मजबूर हैं. इसी संदर्भ में जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने विधायक बद्रीनाथ के साथ मुख्यमंत्री से समय लिया था. इस उम्मीद से कि मुख्यमंत्री जोशीमठ की जनता के इन हालात को जानेंगे सुनेंगे और तत्काल निर्णय लेंगे.
लेकिन समिति के लोगों का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने वर्तमान विधायक और संघर्ष समिति के लोगों, अध्यक्ष नगर पालिका जोशीमठ व अन्य लोगों को एक मिनट से कम समय में आधी अधूरी बात सुनकर मुख्य सचिव से बात करने को कहा और आगे बढ़ गए.
उत्तराखंड राज्य का सीमांत जनपद चमोली जो देश ओर दुनियाभर मे बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब, फूलो की घाटी के साथ साथ आदिगुरू शंकराचार्य के बसाये शहर ज्योर्तियमठ (जोशीमठ) के लिए प्रसिद्ध रहा है, लेकिन अब यह कस्बा धंसता जा रहा है.
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