Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019भारत का 'बुलडोजर राज': अगला घर आपका हो सकता है

भारत का 'बुलडोजर राज': अगला घर आपका हो सकता है

जावेद मोहम्मद के घर पर अवैध अतिक्रमण का बैक डेटेड नोटिस शनिवार को चिपकाया गया, अगले दिन घर पर बुलडोजर चला दिया गया

रोहित खन्ना
वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>ये जो इंडिया है ना</p></div>
i

ये जो इंडिया है ना

फोटो: क्विंट हिंदी

advertisement

वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह/मयंक चावला

वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

ये जो इंडिया है ना... यहां बीजेपी की निलंबित राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा( Nupur Sharma) की कट्टरता की कीमत, प्रयागराज में जावेद मोहम्मद (Javed Mohammad) और उनके परिवार वाले क्यों चुका रहे हैं?

किस कानून के तहत ये बुलडोजर (Bulldozer) प्रयागराज, सहारनपुर, कानपुर में घरों को गिरा रहे हैं? IPC या भारत के संविधान में कहां कहा गया है कि ट्रायल से पहले किसी को सजा दी जा सकती है?

और जब बुलडोजर आपे से बाहर हो जाते हैं, तो हमारी अदालतें इस बारे में चुप क्यों हैं? और क्या हम इस तरह का भारत चाहते हैं... एक अराजक भारत, जहां हम अपने अल्पसंख्यकों को सेकेंड क्लास सिटिजन के रूप में टारगेट करते हैं ...

उनके रीति-रिवाज, उनकी शिक्षा, उनकी आजीविका, उनके घरों को टारगेट करते हैं, कानून की सहायता से उन्हें वंचित रखते हैं, उनके खिलाफ हेट स्पीच और लिंचिंग की घटनाओं को नजरअंदाज करते हैं

दुर्भाग्य से, ये बुलडोजर इसी के प्रतीक हैं. कि ये जो बुलडोजर है, ये तुम्हें अपनी जगह बता रहे हैं. कि आप एक बहुसंख्यक सरकार की दया पर हैं. ये बुलडोजर आप पर कभी भी चलाए जा सकते है... तो अपनी जगह जान लीजिए. और चुप रहिए. एकदम चुप.

क्या जावेद मोहम्मद प्रयागराज में हुए पथराव में शामिल थे, क्या उन्होंने इसकी योजना बनाई, इसका नेतृत्व किया? जब तक ये कानून की अदालत में साबित नहीं हो जाता, उन्हें दंडित नहीं किया जा सकता.

तो उनका घर क्यों तोड़ा गया? सिर्फ इस धारणा पर कि वो दोषी हैं, क्योंकि उनका नाम FIR में है? और अगर वो दोषी पाए जाते हैं - किसी के घर को गिराने की सजा, जो उनके पूरे परिवार को दंडित करता है -

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऐसी सजा का प्रावधान हमारे कानून में कहां है?

और मुझे गलत मत समझिए.. सोशल मीडिया पर कुछ लोग नूपुर शर्मा के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन ये गलत होगा. कुछ लोग पूछ रहे हैं - 5 लोगों की हत्या के आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के घर पर बुलडोजर क्यों नहीं चलाया गया, जिसकी जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी थी. कुछ पूछते हैं - क्यों न हेट स्पीच के अपराधी यति नरसिंहानंद और उनके जैसे अन्य लोगों के घर पर बुलडोजर चलाया जाए?

लेकिन बात ये है –कि बिना मुकदमे के बुलडोजर न्याय का ये रूप.. भारत में किसी भी कथित अपराधी के लिए गलत होगा. जावेद मोहम्मद के लिए, नूपुर शर्मा के लिए, आशीष मिश्रा और नरसिंहानंद के लिए.

क्योंकि ये जो इंडिया है ना... इसे कानून के शासन में विश्वास करना चाहिए न कि बुलडोजर कानून में!

लेकिन समस्या ये है... कि आज भारत में, कानून समान रूप से लागू नहीं किया जा रहा है. यति नरसिंहानंद कम से कम दो बार नूपुर शर्मा के पक्ष में बोल चुके हैं, एक वीडियो में बीजेपी नेताओं का अपमान कर रहे हैं, दूसरे में मुसलमानों पर गाली-गलौज कर रहे हैं. हरिद्वार में दिए गए नफरत भरे भाषणों के लिए पहले से ही जमानत पर बाहर, नरसिंहानंद ने अपनी जमानत की शर्तों को बार-बार तोड़ा है, लेकिन कानून ने उन्हें छुआ तक नहीं है. क्यों?

11 जून को, बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, जो कुछ समय पहले योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार थे, उन्होंने एक वायरल वीडियो शेयर किया, जिसमें यूपी के 2 पुलिसकर्मी कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल नौ लोगों को बेरहमी से पीट रहे थे. वीडियो के लिए उनका कैप्शन था "बलवाइयों, यानी दंगाइयों को, रिटर्न गिफ्ट". एक विधायक खुलेआम हिरासत में टॉर्चर का समर्थन कर रहा है..

जो भारत में गंभीर अपराध है. लेकिन त्रिपाठी के खिलाफ भी, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. क्यों?

भारत के क्रिकेट हीरो, गौतम गंभीर, जो बीजेपी सांसद भी हैं, उनका कहना है कि नुपुर शर्मा को जान से मारने की धमकी देने वालों को दंडित किया जाना चाहिए. वो सही हैं. लेकिन फिर, क्या ये सही है कि आज भारत में, हम चुन सकते हैं कि किसे दंडित करना है, और किसे छोड़ना है? ये कानून का राज नहीं है.

और इसे भी समझिए - कायदे से, अदालत में.. पुलिस कहेगी.. घर अवैध था, ये अतिक्रमण था. तो हमने. लेकिन जनता के सामने मंत्री कहंगे - ये उनकी सजा थी विरोध करने की, हमारी आलोचना करने की हिम्मत करने की. यानी दोहरी बातें. क्योंकि शासक और नेता जानते हैं कि कोई भी अदालत सिर्फ सरकार के खिलाफ विरोध करने के लिए 'सजा' के रूप में घर तोड़े जाने का समर्थन नहीं करेगी. क्योंकि विरोध हर नागरिक का कानूनी अधिकार है.

जावेद मोहम्मद के मामले में भी - अवैध अतिक्रमण का बैक डेटेड सरकारी नोटिस शनिवार की रात को घर पर चिपकाया गया, और अगले दिन ही, घर पर बुलडोज़र चला दिया गया.

जैसा कि पूरे देश ने टीवी और कई वायरल वीडियो में देखा. अब ये भी सामने आया है कि घर के असली मालिक जावेद मोहम्मद नहीं बल्कि उनकी पत्नी परवीना फातिमा हैं. लेकिन सरकार जावेद मोहम्मद को अपने बुलडोजर कानून के तहत दंड देने के लिए इतनी उतावली कि उन्होंने इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं दिया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस गोविंद माथुर ने साफ तौर पर कहा है… कि ये कानून का शासन नहीं है

और ये हमें एक आखिरी, लेकिन महत्वपूर्ण प्वाइंट पर लाता है - हमारे कानून और अदालतों से अपील की वो इस पर एक्शन लें. हमारी अदालतें कुछ बीजेपी शासित राज्यों में पारित विवादास्पद कानूनों के खिलाफ कई याचिकाओं पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं?

यूपी, एमपी और कर्नाटक के धर्मांतरण विरोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाएं, एमपी और यूपी में बुलडोजर राज की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाएं, कर्नाटक हाई कोर्ट के हिजाब बैन के खिलाफ याचिका.

हम पूछ रहे हैं कि हम इन फैसलों में देरी क्यों देख रहे हैं? निश्चित रूप से अदालतें देख सकती हैं कि इससे कई भारतीय नागरिकों को अपने घर गंवाने पड़ रहे हैं. जिन घरों को हम जानते हैं, कोई भी अदालत कभी वापिस खाड़ा नहीं कर सकती.

ये जो इंडिया है ना... यहां कानून के शासन की सख्त जरूरत है.. इस अमानवीय बुलडोजर राज का अंत जरूरी. अगर ऐसी नहीं हुआ, तो कल की सरकार, टारगेट करने के लिए नए लोगों की नई लिस्ट बना सकती है.

और फिर, कौन जानता है, आपका घर, मेरा घर .. बुलडोजर की सूची में अगला हो सकता है

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT