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(Union Budget 2023 से जुड़े सवाल? 3 फरवरी को राघव बहल के साथ हमारी विशेष चर्चा में मिलेंगे सवालों के जवाब. शामिल होने के लिए द क्विंट मेंबर बनें)
Budget 2023: यह सब जानते हैं कि जिन देशों में लोगों के स्वास्थ्य को अहमियत देते हुए उनपर ज्यादा पैसे खर्च किए जाते हैं, वहां बेहतर रिजल्ट देखने को मिलता है. उदाहरण के लिए, भारत की तुलना में ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड जन्म के समय बच्चों के जिन्दा रहने की संभावना और चाइल्ड-सर्वाइवल की बेहतर स्थिति रिपोर्ट करते हैं.
भारत में हेल्थ पर सार्वजनिक खर्च का निम्न स्तर खराब स्वास्थ्य परिणामों और बुरे आर्थिक प्रदर्शन का एक कारण है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में यह स्वीकार किया गया है कि स्वास्थ्य में अधिक निवेश करना उत्पादकता बढ़ाकर भारत के GDP को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा. नीति में परिकल्पना की गई है कि 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य में व्यय GDP के 1.15% से बढ़ाकर 2.5% किया जाएगा.
बजट से अपेक्षा यह है कि केंद्रीय बजट 2023-24 इस अंतर को स्वीकार करेगा और सामान्य रूप से स्वास्थ्य पर और विशेष रूप से लड़कियों पर सार्वजनिक खर्च को बढ़ाएगा.
स्वास्थ्य के लिए बजट का आवंटन 2025 तक GDP के 2.5% के सार्वजनिक व्यय लक्ष्य को सुनिश्चित करने से लगातार कम रहा है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में, उदाहरण के लिए, भारत का बजटीय आवंटन कुल GDP का केवल 1.8% था. हालांकि पिछले कुछ दशकों में सुधार हुआ है फिर भी यह 2025 तक 2.5% तक पहुंचने के लक्ष्य से काफी कम है.
बजटीय आवंटन बढ़ाना जरूरी है, लेकिन इसे कैसे खर्च किया जाए यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है.
तत्काल प्राथमिकताएं होनी चाहिए:
प्रीवेंटिव प्राथमिक हेल्थकेयर में पर्याप्त निवेश करना
विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, मार्जिनलाइज्ड लोगों और गरीबों के लिए अच्छी क्वालिटी वाली स्वास्थ्य देखभाल तक आसान पहुंच सुनिश्चित करना
स्वास्थ्य में सार्वजनिक क्षेत्र की पहुंच को बढ़ाना ताकि सरकार स्वास्थ्य पर निजी आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च के असमान रूप से उच्च स्तर को कम कर सके, जो हर साल लाखों भारतीयों को प्रभावित करता है
उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने कई परिवारों को या तो किसी प्रियजन को खोने या स्वास्थ्य देखभाल पर अपने जीवन की बचत खर्च करने से बचाने में मदद की है. हालांकि, यह योजना अभी भी बड़ी संख्या में उन भारतीयों के लिए उपलब्ध नहीं है, जो गरीब हैं या गैर-गरीब श्रेणी में आने पर भी निजी चिकित्सा देखभाल का खर्च उठाने में असमर्थ हैं.
पिछले कुछ सालों में भारत के लोगों की स्वास्थ्य को लेकर प्राथमिकता और उनकी जरूरतें पहले से ज्यादा विकसित हुई हैं. परिवार नियोजन सहित यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं, स्वास्थ्य सेवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो संपूर्ण जनसंख्या के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं.
हालांकि किशोरों को अलग जरूरतों वाले एक समूह के रूप में स्वीकार किया गया है. इस समय यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और परिवार नियोजन पर जानकारी और सेवाओं तक पहुंचने के लिए उन्हें सशक्त बनाने के लिए पर्याप्त निवेश नहीं किया गया है.
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके), जिसका उद्देश्य लगभग 243 मिलियन किशोरों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संबोधित करना है, में भी अधिक से अधिक निवेश करना उतना ही महत्वपूर्ण होगा. कार्यक्रम की इम्प्लीमेंटेशन स्ट्रैटिजी को मजबूत करने और देश की युवा आबादी की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस अतिरिक्त निवेश की बहुत आवश्यकता है.
लेकिन आवश्यकता केवल उचित आवंटन की नहीं है. एक जरूरी पहलू यह भी है कि कैसे ग्रामीण भारत में अच्छी क्वालिटी वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, विशेष रूप से मार्जिनलाइज्ड लोगों और गरीबों के लिए, अभी भी एक चुनौती है. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों को स्वास्थ्य पर भारी खर्च करना पड़ रहा है.
किशोर लड़कियां, विशेष रूप से जो मार्जिनलाइज्ड समुदायों से हैं, कई चुनौतियों का सामना करती हैं. सशक्त बनकर भारत को आर्थिक और सामाजिक ताकत के अगले चरण में ले जाने की बजाय, वे पिछड़ी सामाजिक प्रथाओं का शिकार हो जाती हैं.
शिक्षा और रोजगार के लिए संघर्ष किशोर लड़की के जीवन का एक आम हिस्सा है. साथ ही उन्हें हर वक्त कम उम्र में शादी, कम उम्र में गर्भावस्था और बच्चे के जन्म का डर लगा रहता है. यहां तक की वे अपने शरीर के बारे में स्वयं निर्णय लेने में भी असमर्थ होती हैं. भारत की आधे से अधिक महिलाएं और बच्चे एनीमिक हैं.
केंद्रीय बजट 2023-24 को पर्याप्त संसाधन आवंटित करने की आवश्यकता है क्योंकि भारत को एक बेहतर कामकाजी स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता है, जो एक प्रशिक्षित और प्रेरित हेल्थ वर्कफोर्स, एक अच्छी तरह से मेंटेन्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर, दवाओं और टेक्नॉलजी की रिलायबल सप्लाई, सबूतों पर आधारित नीतियां, और पर्याप्त फंडिंग पर आधारित हो.
इस साल का बजट भारत के लिए, G20 के अध्यक्ष के रूप में, एक अवसर है कल्याण और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य में सरकारी निवेश की महत्वपूर्ण भूमिका को सामने लाने का. G20 महिलाओं के मुद्दों को संबोधित करने से जुड़ा एक समूह है. यह W20 (महिला 20) के एजेंडा, किशोर लड़कियों के विकास के एजेंडे को बढ़ावा देना या आगे बढ़ाने का भी एक अवसर है.
(यह लेख पूनम मुतरेजा, कार्यकारी निदेशक, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा लिखा गया है. यह एक विचार है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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