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जितिन प्रसाद द्वारा पाला बदलकर बीजेपी में जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के लिए खतरे की घंटी बज गई है और उसके केंद्रीय नेतृत्व ने अति-सतर्कता बरतते हुए नाराज सचिन पायलट को वादों से अपने पाले में बनाए रखने की कवायद तेज कर दी है.
हालांकि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व नियमित रूप से पायलट से संपर्क में था लेकिन बीजेपी में जितिन प्रसाद के दलबदल की घटना ने पार्टी पर राजस्थान की समस्या का समाधान खोजने का दबाव डाला है.
लगता है प्रियंका गांधी के कॉल ने अपना काम किया है, क्योंकि अगले ही दिन, 11 जून को पायलट ने कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित तेल के दामों में वृद्धि के खिलाफ सांकेतिक प्रदर्शन में भाग लिया. उससे पहले उन्होंने दौसा जिले के भड़ाना में अपने पिता को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी.
राजस्थान के स्थानीय मीडिया से बातचीत में पायलट ने बीजेपी नेताओं द्वारा संपर्क की खबरों को सिरे से नकार दिया. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी नेत्री रीता बहुगुणा जोशी पर भी कटाक्ष किया. रीता बहुगुणा जोशी कुछ साल पहले बीजेपी में दलबदल करने के पहले उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा थी. पायलट ने कहा "उन्होंने सचिन तेंदुलकर से बात की होगी, मुझसे नहीं.उनमें मुझसे बात करने की हिम्मत नहीं है".
सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी ने पायलट को आश्वासन दिया है कि उनके समर्थकों को प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) में जगह दिया जाएगा और उनमें से कुछ को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में भी स्थान मिलेगा. राजस्थान में राजनैतिक और संगठनात्मक नियुक्तियां होनी हैं
सूत्रों ने इस पत्रकार को बताया है कि प्रियंका गांधी ने पायलट को इस बात के लिए आश्वासन दिया कि 'अगले 1 या कुछ महीनों में रास्ता निकल आएगा'. नाम ना छापने की शर्त पर सीएम गहलोत के करीबी एक सूत्र ने बताया कि पार्टी संगठन में नियुक्तियों की प्रक्रिया के बारे में "सोच" रही है और मंत्रिमंडल के विस्तार तथा फेरबदल पर भी विचार कर रही है,जिसमें पायलट के समर्थकों को जगह दिया जा सकता है.
यहां पर यह याद दिलाना जरूरी है कि ऐसा ही आश्वासन पायलट को 10 महीने पहले जुलाई 2020 में भी मिला था जब उन्होंने अपने ही सरकार के खिलाफ बगावत करते हुए 19 समर्थक विधायकों को साथ लेकर बिना बताए जयपुर से आकर गुड़गांव,हरियाणा के पास के मानेसर के रिजॉर्ट में रुके हुए थे.तब पायलट और उनके समर्थकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यशैली के खिलाफ आवाज उठाई थी और समर्थक विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें नजरअंदाज और दरकिनार किया जा रहा है.
पायलट ने हाल ही में एक राष्ट्रीय दैनिक अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि 10 महीने गुजरने के बाद भी उन से किये गए वादों और आश्वासनों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है और उनके शिकायतों को भी दूर नहीं किया गया. इस खबर के तुरंत बाद गुरुवार, 10 जून को पायलट 6-8 विधायकों से मिले और अकेले में मीटिंग की.
बंद दरवाजे के पीछे हुई मीटिंग की मंत्रणा का अनुमान लगाना मुश्किल है लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों को लगता है कि यह पायलट खेमा द्वारा दबाव की रणनीति ज्यादा थी.राजनैतिक विश्लेषक बीके. झा ने कहा "मुझे लगता है कि यह केंद्रीय नेतृत्व पर पायलट को सुनने और उनके शिकायतों को दूर करने को बनाया गया दबाव था".
ऐसा लगता है कि पायलट की यह दबाव रणनीति और साथ ही जितिन प्रसाद का बीजेपी में दलबदल एक साथ मिलकर काम कर गया.सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ महीनों या शायद इसी महीने के अंत में राजस्थान के कैबिनेट में बदलाव देखने को मिल सकता है.
पायलट की टीम ने नवजोत सिंह सिद्धू से भी सीख ली होगी,जिन के दबाव में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को मतभेदों को सुलझाने के लिए दिल्ली तलब किया गया था. कांग्रेस के विधायक और पायलट खेमे के सदस्य वेद प्रकाश सोलंकी ने कहा कि "पंजाब और राजस्थान के लिए अलग-अलग नियमों का होना सही नहीं है.जनता का आक्रोश अब खतरनाक स्तर पर है. मंत्रिमंडल विस्तार पर निर्णय लेने का समय आ गया है.AICC कमेटी को अब राजस्थान का मामला सुलझा लेना चाहिए."
सोलंकी राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा किए गए अब तक के नियुक्तियों के बड़े आलोचक रहे हैं. उनके अनुसार अभी तक RPSC और सूचना आयोग जैसी नियुक्तियों में किसी भी कांग्रेस कार्यकर्ता को स्थान नहीं दिया गया है.
सोलंकी ने आरोप लगाया है कि कई विधायकों के फोन टैप किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि विधायकों को 'फंसाने' की कोशिश हो रही है.
AICC के जेनरल सेक्रेटरी और राजस्थान यूनिट के प्रभारी अजय माकन समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. अब तक वह इसमें सफल भी रहे हैं. वों विभिन्न प्लेटफार्मों पर पायलट और गहलोत को एक साथ लाने में सफल रहे हैं और यह धारणा बनाने में भी कि सब ठीक है,पार्टी राजस्थान में एकजुट है.
( लेखक जयपुर बेस्ड वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @anilsharma45. यह एक ओपिनियन पीस है .यहां लिखे विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट का उससे सहमयत होना जरूरी नहीं है)
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