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दुर्गोत्सव (Durga Puja) के सात दिन बीत चुके हैं. पिछले सात दिन मां के विभिन्न रूपों की पूजा-उपासना हुई. नौ दिवसीय शरदीय नवरात्र का आज आठवां दिन मां महागौरी का है. यह उत्सव शक्ति पूजा का प्रतीक है, इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में हम आपको नव दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों के साथ-साथ देश की नारी शक्ति की भी कहानियां बताएंगे.
नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं, माता महागौरी नौ रूपों में आठवां रूप हैं. आज उपासक और साधक मां महागौरी की पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यताओं के मुताबिक, जो स्त्री माता की पूजा करती हैं, देवी उनके सुहाग की रक्षा करती हैं. महागौरी की पूजा से कुंवारी लड़कियों को योग्य वर मिलता है. वहीं, जो पुरूष इन देवी की पूजा करते हैं उनका जीवन सदा ही सुखमय रहता है. इनके प्रभाव से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. इनकी पूजा से असंभव काम भी पूरे हो जाते हैं. महागौरी की पूजा करने से मनोवांछित फल भी मिलते हैं. माता की पूजा से सारे पाप खत्म जाते है, जिससे मन और शरीर शुद्ध हो जाता है. महागौरी की आरती के बाद मां दुर्गा के साक्षात स्वरूप कन्याओं का पूजन करें.
पौराणिक कथा के मुताबिक, मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या के इतनी कठोर थी कि माता का शरीर काला पड़ गया. जब मां की कठोर तपस्या के कारण भगवान शिव का सिंहासन हिलने लगा, तो उन्होंने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और उनके पूरे शरीर को गंगाजल से धोया. गंगाजल से माता पार्वती का शरीर कांतिवान और गौरा हो गया तब ही से मां का नाम गौरी पड़ा.
महागौरी मां का यह स्वरूप अत्यंत करुणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल है. माता के इस रूप का ऋषिगणों ने जो वर्णन किया है वह इस प्रकार है:
सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।
माता ने सिंह को अपना वाहन क्यों बनाया इसपर भी एक पौराणिक कथा है. इस कथा के अनुसार, जब माता पार्वती जंगल में तप कर रहीं थीं तब लंबे समय से एक भूखा शेर भोजन तलाशते हुए मां के पास पहुंच गया. वह शेर अत्यंत ही भूखा था, लेकिन वह वहीं बैठकर मां की तपस्या का खत्म होने का इंतजार कर रहा था. जब माता की तपस्या पूरी होने के बाद उनकी आंखे खुली, तो उन्होंने देखा कि उनके सामने एक सिंह दयनीय स्थिति में पड़ा है. शेर को देखकर मां को दया आ गई और मां ने उसे अपनी सवारी के रूप में स्वीकार कर लिया. मां का मानना था कि उनके साथ-साथ उस सिंह ने भी तपस्या की है. इसलिए माता महागौरी के वाहन के रूप में बैल के साथ-साथ सिंह को भी गिना जाता है.
सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।
मां महागौरी का स्वरूप:
ॐ महागौर्यै नमः॥
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
मां महागौरी का रूप पूर्णतः गौर वर्ण है. इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं, इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है. माता की 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है, इसलिए इनको वृषारूढ़ा भी कहा गया है. मां का ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है तथा नीचे वाले हाथ में त्रिशूल धारण है. ऊपर वाले बायें हाथ में डमरू है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. इनकी आयु आठ साल की मानी गई है. माता की पूरी मुद्रा बहुत ही शांत है. महागौरी के पूजन में चमेली व केसर का फूल मां को चढ़ाएं.
अपने इंस्टाग्राम बायो में अनम हासिम ने लिखा है कि 'बाइक को जेंडर का पता नहीं होता.' शायद यही वजह है कि 2015 में महज 16 साल की उम्र में वो देश की पहली और सबसे युवा प्रोफेशनल बाइक स्टंट परफॉर्मर बनी. आज 21 साल की अनम हासिम की उपलब्धियों को देखते हुए उन पर फीचर फिल्म तक बन रही है. द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, डायरेक्टर सौमित्र सिंह, अनम पर फिल्म बना रहे हैं. इस फिल्म की टैग लाइन भी अनम के स्टेटस को मैच करती है “A Bike Doesn’t Know Your Gender”.
अनम बताती हैं कि उन्होंने 12वीं कक्षा के दौरान ही तय कर लिया था कि लाइफ में उन्हें क्या करना है. अनम को स्टंट राइडिंग के क्षेत्र में जाना या स्ट्रीट बाइक फ्रीस्टाइल एथलीट बनना था. अनम को उनके पिता ने बाइक चलाना सिखाया, लेकिन मां को हमेशा चिंता लगी रहती थी कि कहीं बेटी को चोट न लग जाए. अनम को बाइक से प्यार और लगाव तो बचपन से ही था, लेकिन MTV पर टेलीकास्ट होने वाले शो स्टंट मैनिया (Stunt Mania) से वो इतना प्रभावित हुईं कि खुद स्टंट करने की ठान ली. BITS गोवा में हुए TEDx कार्यक्रम में अनम ने कहा था कि कभी भी चैलेंज छोटा मत रखो. अपनी काबिलियत से सभी बाधाओं को तोड़ते हुए आगे बढ़ना सीखना होगा, क्योंकि हम जिस समाज में रह रहे हैं, वहां आपको संदेहभरी निगाहों से देखा जाता है. "लोग कई तरह की बातें बनाते हैं, लेकिन बातों में उलझने की बजाय आगे बढ़ना है."
आज पुणे में रहने वाली अनम उन लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो समाज के डर से अपनी पसंद का प्रोफेशन या करियर नहीं चुन पा रही हैं. अनम ने समाज की परवाह नहीं कि, बल्कि खुद के भरोसे पर खरी उतरीं. आज समाज में कई लड़कियां ऐसी हैं जो अपनी खुशियों या पसंद को कुर्बान कर देती हैं. ऐसे में अगर किसी भी कां के प्रति आप में विश्वास और दृढ़ इच्छा हो, तो उसे जरूर पूरा करें.
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