सरकार आय प्राप्त करने के लिए कई तरीके के टैक्स(Tax) लगाती हैं.उनमें से ही एक टैक्स जिसका नाम है कैपिटल गेन टैक्स(Capital Gain tax) . ये टैक्स पहले घर, संपत्ति, जेवर, कार, बैंक एफडी, एनपीएस और बॉन्ड आदि की बिक्री से हासिल हुए मुनाफे पर लागू होता था लेकिन 2018 में इसे पहली बार स्टॉक मार्केट से जोड़ा गया. चलिए बजट की एबीसीडी में समझते है कैपिटल गेन टैक्स क्या है.
कैपिटल गेन टैक्स क्या है
कैपिटल गेन यानी पूंजी पर लाभ. कैपिटल गेन आपका घर, संपत्ति, जेवर, कार, शेयर, बॉन्ड आदि कुछ भी हो सकती है. ऐसी किसी भी चीज को खरीदने के बाद बेचने से जो लाभ होता है, उसे कैपिटल गेन कहते हैं. इसे सरकार आपकी आय का हिस्सा मानती है और इस पर टैक्स लेती है. किसी पूंजी यानी संपत्ति को बेचने पर होने वाले लाभ में जो टैक्स लगता है उसे कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं.
कैपिटल गेन के प्रकार
कैपिटल गेन अलग-अलग तरह की पूंजी पर अलग-अलग तरह से लगता है. कैपिटल गेन दो प्रकार का होता है. पहला शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स और दूसरा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स.
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स
कोई प्रॉपर्टी 3 साल से कम अवधि तक अपने पास रखकर बेची, उससे होने वाला प्रॉफिट शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन में गिना जाता है. इस पर लगने वाला टैक्स 15 से 30 फीसदी होता है.
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स
अगर कोई प्रॉपर्टी आप अपने पास कम से कम 3 साल तक अपने पाल रखकर बेचते हैं तो उससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स में गिना जाता है. इसमें टैक्स की दर 10 से 20 फीसदी होती है.
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