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Green Bonds: क्या है ग्रीन बॉन्ड जो RBI ने आज जारी किया, निवेश का है अच्छा मौका

Green Bond के जरिए सरकार 16,000 करोड़ रुपये जुटाएगी. इसे 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी किया जाएगा.

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भारत सरकार 25 जनवरी को सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड (Sovereign Green Bonds) की पहली किस्त जारी कर रही है, इसकी दूसरी किस्त 9 फरवरी को जारी की जाएगी. ग्रीन बॉन्ड (Green Bond) के जरिए सरकार 16,000 करोड़ रुपये जुटाएगी. इसे 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी किया जाएगा. बजट 2022 (Budget 2022) को पेश करते समय सरकार ने घोषणा की थी कि, ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे.

लेकिन ग्रीन बॉन्ड क्या होते हैं, इसके आगे सॉवरेन लग जाने का क्या फायदा है, सरकार को ये बॉन्ड जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी और इससे निवेशकों को क्या फायदा मिलेगा?

Green Bonds: क्या है ग्रीन बॉन्ड जो RBI ने आज जारी किया, निवेश का है अच्छा मौका

  1. 1. क्या है सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड? 

    बॉन्ड एक ऐसा जरिया है जिसके माध्यम से कर्ज लिया जा सकता है. इसे आम लोगों के लिए भी जारी किया जा सकता है. सॉवरेन बॉन्ड वो होते हैं, जो सरकार कर्ज लेने के लिए जारी करती है. बॉन्ड में निवेश करने वालों को एक फिक्स ब्याज मिलता है और फिर सारा पैसा तय सीमा के बाद लौटा दिया जाता है.

    बॉन्ड के जरिए जब कर्ज लिया जाता है, तो यह किसी एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए लिया जाता है. ग्रीन बॉन्ड से मतलब है कि यह कर्ज क्लाइमेट चेंज से लड़ने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए जुटाया जाएगा. यह बॉन्ड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जारी करेगी. यानी यह सुरक्षित बॉन्ड है.
    Green Bond के जरिए सरकार 16,000 करोड़ रुपये जुटाएगी. इसे 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी किया जाएगा.

    Sovereign Green Bonds

    फोटो- क्विंट हिंदी

    सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 16,000 करोड़ रुपय का जारी किया जा रहा है, यानी ये सारा पैसा सरकार अपनी ऐसी योजनाओं में लगाएगी जो कार्बन उत्सर्जन को कम करती है या नहीं करती है जैसे सोलर एनर्जी प्लांट.

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  2. 2. सरकार को ग्रीन बॉन्ड जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी? 

    हाल ही में दुनियाभर में कई देश ग्रीन बॉन्ड जारी कर रहे हैं, ताकि क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से लड़ा जाए. विशेषज्ञों के मुताबिक, खेती, खाने-पीने की चीजें, पानी के सप्लाय समेत क्लाइमेट चेंज असर कई चीजों पर है. वर्ल्ड बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट भी यह चेतावनी दे चुकी है और इससे लड़ने पर जोर डाल चुकी है.

    अब इन्हीं चुनौतियों से लड़ने के लिए सरकार को बहुत ज्यादा फंड की जरूरत है. अब हमारी सरकार कोई बहुत ज्यादा मुनाफे में तो नहीं चल रही. पहले ही सरकार की आय कम और खर्च ज्यादा है. ऐसे में फंड की कमी को पूरा करने के लिए ग्रीन बॉन्ड काफी अच्छा जरिया माना जा रहा है.
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  3. 3. ग्रीन बॉन्ड से निवेशकों को कैसे होगा फायदा?

    बॉन्ड में निवेश का ये अच्छा मौका है. सॉवरेन बॉन्ड की खासियत ये है कि इसे आरबीआई का सपोर्ट है और यह पूरी तरह से सुरक्षित निवेश है. इस बॉन्ड में से निवेशकों को फिक्स ब्याज दर पर रिटर्न दिया जाएगा. इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे.

    पांच साल वाले ग्रीन बॉन्ड पर 7.38 फीसदी यील्ड तय की गई है, जबकि दस साल वाले बॉन्ड की यील्ड 7.35 फीसदी तक है.

    एक्सपर्ट का मानना है कि निवेशकों को इन बॉन्ड के जरिए कम समय में बेहतर और सेफ रिटर्न मिलते हैं, क्योंकि इसमें मिलने वाला रिटर्न पहले ही तय हो जाता है. रिजर्व बैंक एक प्रेस रिलीज में बता चुका है कि इन बॉन्ड्स को यूनिफॉर्म प्राइस नीलामी के माध्यम से जारी किया जाएगा. बॉन्ड की कुल राशि में से 5 फीसदी के बराबर की राशि के बॉन्ड रिटेल इंवेस्टर्स के लिए रिजर्व रखे जाएंगे.

    Green Bond के जरिए सरकार 16,000 करोड़ रुपये जुटाएगी. इसे 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी किया जाएगा.

    ग्रीन बॉन्ड से निवेशकों को कैसे होगा फायदा?


    फोटो- क्विंट हिंदी 

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  4. 4. ग्रीन बॉन्ड के जरिए सरकार किस तरह के लक्ष्यों को हासिल करना चाहती है?

    भारत सरकार समेत देश के कई उद्योगपति भी अब ग्रीन एनर्जी की ओर काम कर रहे हैं, अपना निवेश उस तरफ शिफ्ट कर रहे है. भारत सरकार ग्लोबल मंच पर कह चुकी है कि वह ऊर्जा बनाने के उन माध्यमों को बढ़ावा देगी जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है और जो पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते. जैसे सोलर प्लांट, विंड एनर्जी.

    सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान साल 2023 तक 50 फीसदी बिजली उत्पादन ऐसे माध्यमों से हो जो कार्बन उत्सर्जन नहीं के बराबर करते हैं. सरकार ने ग्लोबल स्तर पर यह भी कहा है कि, वह 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसदी की कमी लाएगी और साल 2070 तक भारत जीरो फीसदी कार्बन उत्सर्जन वाला देश बन जाएगा.

    (हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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क्या है सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड? 

बॉन्ड एक ऐसा जरिया है जिसके माध्यम से कर्ज लिया जा सकता है. इसे आम लोगों के लिए भी जारी किया जा सकता है. सॉवरेन बॉन्ड वो होते हैं, जो सरकार कर्ज लेने के लिए जारी करती है. बॉन्ड में निवेश करने वालों को एक फिक्स ब्याज मिलता है और फिर सारा पैसा तय सीमा के बाद लौटा दिया जाता है.

बॉन्ड के जरिए जब कर्ज लिया जाता है, तो यह किसी एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए लिया जाता है. ग्रीन बॉन्ड से मतलब है कि यह कर्ज क्लाइमेट चेंज से लड़ने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए जुटाया जाएगा. यह बॉन्ड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जारी करेगी. यानी यह सुरक्षित बॉन्ड है.
Green Bond के जरिए सरकार 16,000 करोड़ रुपये जुटाएगी. इसे 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी किया जाएगा.

Sovereign Green Bonds

फोटो- क्विंट हिंदी

सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड 16,000 करोड़ रुपय का जारी किया जा रहा है, यानी ये सारा पैसा सरकार अपनी ऐसी योजनाओं में लगाएगी जो कार्बन उत्सर्जन को कम करती है या नहीं करती है जैसे सोलर एनर्जी प्लांट.

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सरकार को ग्रीन बॉन्ड जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी? 

हाल ही में दुनियाभर में कई देश ग्रीन बॉन्ड जारी कर रहे हैं, ताकि क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से लड़ा जाए. विशेषज्ञों के मुताबिक, खेती, खाने-पीने की चीजें, पानी के सप्लाय समेत क्लाइमेट चेंज असर कई चीजों पर है. वर्ल्ड बैंक के इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन की रिपोर्ट भी यह चेतावनी दे चुकी है और इससे लड़ने पर जोर डाल चुकी है.

अब इन्हीं चुनौतियों से लड़ने के लिए सरकार को बहुत ज्यादा फंड की जरूरत है. अब हमारी सरकार कोई बहुत ज्यादा मुनाफे में तो नहीं चल रही. पहले ही सरकार की आय कम और खर्च ज्यादा है. ऐसे में फंड की कमी को पूरा करने के लिए ग्रीन बॉन्ड काफी अच्छा जरिया माना जा रहा है.
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ग्रीन बॉन्ड से निवेशकों को कैसे होगा फायदा?

बॉन्ड में निवेश का ये अच्छा मौका है. सॉवरेन बॉन्ड की खासियत ये है कि इसे आरबीआई का सपोर्ट है और यह पूरी तरह से सुरक्षित निवेश है. इस बॉन्ड में से निवेशकों को फिक्स ब्याज दर पर रिटर्न दिया जाएगा. इसमें 4000 करोड़ वाले ग्रीन बॉन्ड 5 साल के लिए और दूसरे 4000 करोड़ रुपए वाले बॉन्ड 10 साल के लिए जारी किए जाएंगे.

पांच साल वाले ग्रीन बॉन्ड पर 7.38 फीसदी यील्ड तय की गई है, जबकि दस साल वाले बॉन्ड की यील्ड 7.35 फीसदी तक है.

एक्सपर्ट का मानना है कि निवेशकों को इन बॉन्ड के जरिए कम समय में बेहतर और सेफ रिटर्न मिलते हैं, क्योंकि इसमें मिलने वाला रिटर्न पहले ही तय हो जाता है. रिजर्व बैंक एक प्रेस रिलीज में बता चुका है कि इन बॉन्ड्स को यूनिफॉर्म प्राइस नीलामी के माध्यम से जारी किया जाएगा. बॉन्ड की कुल राशि में से 5 फीसदी के बराबर की राशि के बॉन्ड रिटेल इंवेस्टर्स के लिए रिजर्व रखे जाएंगे.

Green Bond के जरिए सरकार 16,000 करोड़ रुपये जुटाएगी. इसे 8,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में जारी किया जाएगा.

ग्रीन बॉन्ड से निवेशकों को कैसे होगा फायदा?


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ग्रीन बॉन्ड के जरिए सरकार किस तरह के लक्ष्यों को हासिल करना चाहती है?

भारत सरकार समेत देश के कई उद्योगपति भी अब ग्रीन एनर्जी की ओर काम कर रहे हैं, अपना निवेश उस तरफ शिफ्ट कर रहे है. भारत सरकार ग्लोबल मंच पर कह चुकी है कि वह ऊर्जा बनाने के उन माध्यमों को बढ़ावा देगी जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होता है और जो पर्यावरण को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते. जैसे सोलर प्लांट, विंड एनर्जी.

सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान साल 2023 तक 50 फीसदी बिजली उत्पादन ऐसे माध्यमों से हो जो कार्बन उत्सर्जन नहीं के बराबर करते हैं. सरकार ने ग्लोबल स्तर पर यह भी कहा है कि, वह 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसदी की कमी लाएगी और साल 2070 तक भारत जीरो फीसदी कार्बन उत्सर्जन वाला देश बन जाएगा.

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