भारत में अब तक 4.29 लाख से भी अधिक लोगों की कोरोना से मौत के बाद सबका सिर्फ एक सवाल है "क्या तीसरी लहर आएगी, अगर हां तो कब तक ? ".
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने 13 जुलाई को कहा कि हमारा ध्यान 'कोरोना की तीसरी लहर कब आएगी' की बजाए उसे टालने पर होना चाहिए. लेकिन क्या तीसरी लहर को टाला जा सकता है? जुलाई की शुरुआत में ही प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजय राघवन ने तीसरी लहर को 'ना टाले जा सकने' वाला बताया था.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट का डैशबोर्ड बताता है कि भारत में पिछले एक दिन में 38,792 नए कोविड केस आए हैं और 624 लोगों की संक्रमण से मौत हुई है. इस बीच एक्टिव केसों की संख्या में 2832 मामलों की कमी आई है.
पहली नजर में कोरोना की दूसरी लहर से तुलना करने पर यह आंकड़ें बहुत गंभीर नहीं लगते लेकिन केरल, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से आते नये केसों की संख्या, अन्य देशों में डेल्टा वेरिएंट की तबाही और विभिन्न एक्सपर्टों की राय ने तीसरी लहर की चेतावनी देनी शुरू कर दी है.
भारत में वर्तमान केस लोड क्या तीसरी लहर की आहट देते हैं?
भारत में संक्रमण एशिया में सबसे अधिक है और पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर .अब तक 3.06 करोड़ से भी अधिक लोग कोविड-19 संक्रमित हो चुके हैं और आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो इससे लगभग 4.3 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.भारत में अभी रिकवरी रेट 97.3% है.
हालांकि कम होते एक्टिव केस की बीच तीसरी लहर की आहट सुनाई नहीं देती लेकिन कुछ राज्यों से आते मामलों की संख्या अत्यधिक चिंताजनक है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार आज केरल अकेले भारत के कुल कोरोना मामलों का 30.3% हिस्सेदार है, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा मात्र 6.2% का ही था और जून में यह क्रम से बढ़ते हुए 10.6% और 17.1 % हो गया.
इसके अलावा महाराष्ट्र से भी आते कोविड-19 केस तीसरी लहर के खतरे की ओर इशारा करते हैं. वर्तमान में देश के कुल केस का 20.8% महाराष्ट्र में है.अप्रैल में यह 26.7% ही था, जबकि उस समय दूसरी लहर अपने चरम पर थी.
महाराष्ट्र में R- Value (रिप्रोडक्शन वैल्यू) मई मध्य में जहां 0.79 था वही मई अंत में वह 0.84 और जून अंत तक 0.89 हो गया. लेटेस्ट डाटा के अनुसार महाराष्ट्र में अभी R- Value 1 के करीब है. इसी तरह केरल में इस महीने की शुरुआत में R- Value 1 को पार कर गया और अभी भी उसी के आसपास है. जहां भी ये एक से ऊपर गया तो समझिए खतरे की घंटी. एक से ऊपर मतलब एक संक्रमित एक से ज्यादा को संक्रमित कर रहा है.
इसके साथ ही तमिलनाडु,आंध्रप्रदेश, उड़ीसा में भी अप्रैल-मई की अपेक्षा वर्तमान में भारत के कुल केसों में हिस्सेदारी बढ़ गई है. मणिपुर, मिजोरम ,त्रिपुरा ,आंध्र प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भी कोविड-19 केसों में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
जब वैक्सीनेशन की हो धीमी रफ्तार,तीसरी लहर के लिए रहो तैयार
जहां तक वैक्सीनेशन की बात है तो अब तक 38.76 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं. लगभग 22.5% जनसंख्या को वैक्सीन का एक डोज लगा है और दोनों डोज लेने वालों का आंकड़ा मात्र 5% के आस पास है.जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि हर्ड इम्यूनिटी के लिये 70% जनसंख्या का वैक्सीनेटेड होना जरूरी है.
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब नये वेरिएंट पर वैक्सीनों के प्रभाव से जुड़े प्रश्न हमारे सामने हों.बार बार अपना गुण बदलते कोविड वेरिएंट के ऊपर मौजूदा वैक्सीन के असर पर कई एक्सपर्ट ने सवाल उठाया है.सरकार का, वैक्सीन निर्माताओं का स्टैंड है कि अब भी वैक्सीन कारगर है.
"तीसरी लहर कब आएगी" : एक्सपर्ट की राय
जुलाई महीने की शुरुआत में प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजय राघवन ने कोरोना की तीसरी लहर को 'ना टाले जाने योग्य' कहा था. हालांकि उनके मुताबिक यह कब आएगी,इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है. विजय राघवन ने उसके 2 दिन बाद एक चेतावनी देते हुए कहा कि 'मजबूत उपायों' के माध्यम से तीसरी लहर से बचा जा सकता है.
27 जून को केंद्रीय कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एन.के अरोड़ा ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर इस साल दिसंबर तक आ सकती है. उन्होंने यह दावा के ICMR की एक स्टडी के आधार पर किया था. उनके अनुसार कोविड के नये वेरिएंट, डेल्टा प्लस को तीसरी लहर से अभी नहीं जोड़ा जा सकता.
SBI ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर अगस्त तक आएगी और सितंबर महीने में यह अपने पीक पर होगी. 'कोविड-19: द रेस टू फिनिशिंग लाइन' नामक इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि तीसरी लहर में दूसरी लहर की अपेक्षा मरने वालों की संख्या कम रहेगी.
भले ही 'तीसरी लहर कब आएगी' इस पर आम सहमति ना हो लेकिन अधिकतर एक्सपर्ट का मानना है कि तीसरी लहर आनी ही है. ऐसे में जरूरत है अत्यधिक सतर्कता की.लेकिन इसके विपरीत वर्तमान में कोविड-19 के संदर्भ में आम धारणा यह है कि 'सब चंगा सी'. हिल स्टेशनों से आते बिना मास्क के घूमते टूरिस्टो की तस्वीर और बड़े स्तर पर आयोजित होते धार्मिक कार्यक्रम तीसरी लहर की संभावना को और मजबूती देते हैं.
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