ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP Election: हापुड़ के मजदूर बोले- 'मंदिर-मस्जिद नहीं, काम चाहिए'

एक मजदूर ने कहा कि मैं फैशन डिजाइनर हूं, 40 हजार महीना की नौकरी थी, लेकिन कोरोना में चली गई अब मजदूरी ढूंढ रहा हूं

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

यूपी विधानसभा चुनाव(UP assembly elections) में जमीनी हकीकत जानने के लिए क्विंट की चुनावी यात्रा हापुड़ पहुंची. हापुड़ के लेबर चौक पर जब हमने कुछ मजदूरों से बात की, तो उन्होंने बताया कि जिले में हम लोगों के लिए कोई काम नहीं है. सरकार सिर्फ मंदिर और मस्जिद बनाने पर जोर दे रही है लेकिन हम लोगों का क्या? हमें मदिंर-मस्जिद से रोटी नहीं मिलेगी, हमें काम चाहिए.

0

मजबूरी में हमें लेबर चौक पर आना पड़ा

अक्सर हमने देखा है कि भारत के हर शहर में आपको एक लेबर चौक देखने को मिलेगा. यहां पर वे मजदूर इकट्टे होते हैं जिन्हें काम चाहिए होता है. इन्हीं में से एक व्यक्ति ने बताया कि मैं फैशन डिजाइनर हूं लेकिन कोरोना काल के कारण लगे लॉकडाउन से मेरी कंपनी कारोबार ठप हो गया हो और मेरी 40 हजार प्रतिमाह की नौकरी चली गई, इसलिए मैं आज यहां लेबर चौक पर आकर काम तलाश रहा हूं.

वहीं, एक मजदूर ने बताया कि मेरे परिवार में छह लोग हैं ,तो हमने पूछा कि जब काम नहीं मिलता है, तो घर का गुजारा कैसे होता है, तो उस मजदूर ने बताया कि जब काम नहीं मिलता है फिर भी गुजारा करना पड़ता और किराए का मकान भी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मदिंर-मस्जिद खाने को नहीं देंगे

मजदूरों ने कहा कि सरकार मदिंर-मस्जिद के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है. इसमें मजदूरों और आम आदमी का कोई फायदा नहीं है. उन्होंने बताया कि जब मजदूरों को खाने को नहीं मिलेगा, तो क्या मदिंर-मस्जिद खाने को देंगे? मजदूरों ने बताया कि मजदूरी न मिलने से हमारे बच्चे भूखे सो रहे हैं. क्या मंदिर-मस्जिद में लेकर जाएं अपने बच्चों को?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×